पॉलिटॉक्स ब्यूरो. शुक्रवार 24 जनवरी से शुरू होने वाला साल का पहला और राजस्थान की पन्द्रवी विधानसभा का चतुर्थ सत्र बहुत ही हंगामेदार रहने वाला है. इसकी बानगी इसी बात से पता चलती है कि शुरू होने से पहले ही इस सत्र को लेकर भारी हंगामा शुरू हो गया है. सत्र की शुरुआत को लेकर गुरुवार को पीसीसी चीफ और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बयान, “कल से विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला है जिसकी शुरूआत राज्यपाल महोदय के अभिभाषण से होगी उसके बाद शनिवार को भी विधानसभा की कार्रवाई रहेगी….” पर उपनेता प्रतीपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि, “डिप्टी सीएम का सार्वजनिक तौर पर यह कहना सदन की कार्यवाही शनिवार तक चलेगी यह संसद के नियमों के प्रतिकूल है इसके सचिन पायलट को माफी मांगनी चाहिए.”
राजेन्द्र राठौड़ ने बताया कि, “विधानसभा की कार्य सलाहकार समिति यह तय करती है कि सदन कब तक चलेगा और उसके बाद उसका प्रतिवेदन सदन में मंजूरी के लिए आता है, प्रतिवेदन के मंजूर होने के बाद ही यह सार्वजनिक होता है कि सदन चलेगा या नहीं. इससे पहले जब भी कार्य सलाहकार समिति के किसी सदस्य ने कोई बात सार्वजनिक रूप से कही है तो उसे माफी मांगनी पड़ी है. ऐसे में उपमुख्यमंत्री का सार्वजनिक रूप से कहा कि सदन की कार्यवाही शनिवार तक चलेगी, मैं मांग करूंगा कि उपमुख्यमंत्री इसके लिए माफी मांगें.” राठौड़ ने आगे कहा कि, “सरकार राज्यपाल के अभिभाषण को 21 दिन के नोटिस के बजाय 4 दिन के नोटिस पर करवा रही है इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ हो नहीं सकता.”
बता दें, शुक्रवार से शुरू होने वाले इस सत्र के लगभग एक महिने चलने के आसार है. साल का यह पहला सत्र होगा इसलिए इसकी शुरूआत राज्यपाल कलराज मिश्र के अभिभाषण से होगी. इस सत्र में कई अहम प्रस्ताव पारित किए जाएंगे. केरल और पंजाब विधानसभा की तर्ज पर राजस्थान विधानसभा में भी नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ प्रस्ताव पारित करवाने की सरकार पूरी तैयारी कर चुकी है. वहीं विपक्ष में बैठी भाजपा कोटा में हुई नवजात बच्चों की मौत सहित अन्य मुददों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर चुकी है.
15वीं विधानसभा के चौथे सत्र में सरकार को घेरने के लिए गुरूवार को भाजपा विधायक दल की बैठक आयोजित हुई. बैठक के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि शुक्रवार से विधानसभा का सत्र बुलाना सरकार की सबसे बडी असफलता है. कटारिया ने बताया कि लोकसभा व राज्यसभा में एससी-एसटी एक्ट पास हो गया था जिसमें राज्यों की सहमती की भी आवश्यक होती है. इस पर सहमती देने की अंतिम तारीख 25 जनवरी थी. दुर्भाग्य से नींद से सोई हुई सरकार वोट बैंक की राजनीति के कारण अचानक जागी और इस कारण आनन फानन में यह सत्र बुलाया गया है.
गुलाब चंद कटारिया ने बताया कि राज्यपाल का अभिभाषण 21 दिन की पूर्व सूचना के बगैर नहीं होता है. इस 21 दिन के समय के दौरान सभी विधायक अपने प्रश्न डालने का काम करते है. एक कमेटी राज्यपाल के अभिभाषण के लिए सभी विभागों के साथ बैठकर इस भाषण की तैयारी करती है. बिना पूर्व नोटिस के राज्यपाल का अभिभाषण करवाने से गहलोत सरकार ने राजस्थान विधानसभा का मजाक बनाया है. कटारिया ने आगे कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को भी सरकार इस सत्र में लेकर आएगी जो कि इनके अधिकार में ही नहीं है. नागरिकता देना और ना देना यह केंद्र का विषय है, राज्य का विषय ही नहीं है. इस कानून पर सुप्रीम कोर्ट में केस पेंडिंग है जिसमें 4 सप्ताह का समय सरकार को दिया गया है. जो केस उच्चत्तम न्यायालय में पेंडिंग है उसमें किसी प्रकार की कोई चर्चा विधानसभा में हो ही नहीं सकती. गहलोत सरकार सभी प्रकार के कानून तोड रही है, इसका भाजपा के विधायक सदन में माकूल जवाब देंगे.
इससे पहले पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने कहा कि भले ही नागरिकता संशोधन अधिनियम लोकसभा व राज्यसभा में पारित होकर कानून बन चुका है. लेकिन इस पर अगर किसी की असहमति है तो उसको जाहिर करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. देशभर में इस कानून को लेकर विरोध हो रहा है इस पर केंद्र सरकार को संज्ञान लेना चाहिए. ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी कानून को संशोधित किया गया है. हम इस कानून पर केंद्र सरकार से पुर्नविचार का आग्रह कर रहे हैं.
इसके साथ ही सचिन पायलट ने कहा कि विरोध करने का अधिकार लोकतंत्र में सभी को है. बिना कानून को अपने हाथों में लिए अगर कोई विरोध करता है तो उस पर आक्रमण करना, देश द्रोही बोलना, बाते नहीं सुनना सही नहीं है. लोकतंत्र में अगर संवाद नहीं होगा विचार-विमर्श नहीं होगा तो लोकतंत्र कमजोर होगा. संख्या बल के आधार पर केंद्र सरकार लगातार कानून बनाती जा रही है. आज पूरे देश में सीएए के खिलाफ आंदोलन हो रहे है इस पर लोगों के मन की बात सुनने का कलेजा केंद्र सरकार को दिखाना चाहिए. लोगों की बात नहीं सुनना, संवाद नहीं करना यह लोकतंत्र को कमजोर करता है.
पायलट ने केंद्र सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि अगर कहीं पर विरोध होता है, लोगों में असहमती है. इतना बडा देश है असहमत होने का अधिकार सभी को है. देश में अलग-अलग राज्यों की विधानसभा सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर रही है, केंद्र सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. कई राज्य सरकारें इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गई हैं, लीगल स्क्रुटनी में यह पास हो होगा या नहीं होगा यह काम सुप्रीम कोर्ट करेगा. लेकिन हर व्यक्ति, संगठन व पार्टी को अधिकार है कि वह अपनी असहमति शांतिपूर्ण तरीके से व्यक्त करें. विरोध करने की आजादी लोकतंत्र में सभी को है और इस संदर्भ में हमारी सरकार एआईसीसी के निर्देशानुसार राजस्थान विधानसभा में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करेगी.