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Rajasthan Cricket Association: सियासत और क्रिकेट का चोली दामन का साथ है और इसके गठजोड़ से इनकार नहीं किया जा सकता. शरद पवार ने भी बीसीसीआई अध्यक्ष बनकर अपनी राजनीति चमाई. वहीं अनुराग ठाकुर ने भी बीसीसीआई अध्यक्ष बनकर ही राजनीति में कदम रखा. नेताओं के बेटे भी क्रिकेट की पिच पर अपना प्रभुत्व जमाने की कवायत में लगे रहते हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सुपुत्र जय शाह भी क्रिकेट की पिच पर सियासत का दांव खेल रहे हैं. इसी बीच पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के सुपुत्र पराक्रम राठौड़ की भी क्रिकेट की सियासत में एंट्री हो गयी है. टारगेट राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष पद है जिस पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत के सुपुत्र वैभव गहलोत विराजमान है. अब पराक्रम पर विवादों के बाउंसर पड़ते नजर आ रहे हैं.

दरअसल, तीन दिन पहले चूरू क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बनने के बाद आरसीए की सियासत में आमूल- चूल बदलाव की अटकलें तेज हो गयी हैं. चूरू क्रिकेट के के अध्यक्ष जरिए उनकी एंट्री ने क्रिकेट की सियासत में चर्चाओं का दौर शुरू कर दिया है. हालांकि वैभव गहलोत का अभी पौने दो साल का कार्यकाल शेष है और पराक्रम राठौड़ जिले को क्रिकेट के क्षेत्र में आगे लाने और नए खिलाड़ियों की पौध तैयार करने की बात कह रहे हैं लेकिन सियासी विशेषज्ञों की माने तो आने वाले समय में जूनियर राठौड़ वैभव गहलोत के खिलाफ सियासी बैटिंग करते हुए आरसीए पद के लिए दावेदारी कर अपना ‘पराक्रम’ जरुर दिखाएंगे.

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राजस्थान की सत्ता बदलते ही अब कांग्रेस नेता या उनके परिवार के लोग जहां भी ​काबिज हैं, वहां भी बदलावों को लेकर चर्चाओं का दौर तेज होने लगा है. चूरू क्रिकेट के संघ के अध्यक्ष बने पराक्रम राठौड़ी की एंट्री के बाद पूरे सूबे में सबकी जुबान पर यही खबर है कि अब सियासत के बजाए शायद पराक्रम क्रिकेट पिच पर बैटिंग करने की कोशिश कर रहे हैं. अब उनकी नजर आरसीए अध्यक्ष पद पर गढ़ी है. कारण है कि सियासत बदलते ही क्रिकेट की सियासत भी करवट बदलने लगी है. इसके चलते आरसीए की सत्ता में भी बदलाव की अटकलें लगने लगी है. वैसे भी एडहॉक कमेटी में बदलाव होना तो तय है. हालांकि पराक्रम भी एक मंजे हुए खिलाड़ी की तरह पिच रूपी सियासत को समझते हुए धीरे धीरे बैटिंग करने की कोशिश कर रहे हैं.

इधर, आरसीए में एक बार फिर विवादों के बाउंसर आने शुरू हो गए हैं. तीन दिन पहले चूरू जिला क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ के सुपुत्र पराक्रम सिंह ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी. इस चुनाव में आरसीए के उपाध्यक्ष शक्ति सिंह राठौड़ खुद पर्यवेक्षक के तौर पर मौजूद थे. इसके बावजूद चूरू जिला क्रिकेट संघ के चुनाव को असंवैधानिक करार देकर पदाधिकारियों के निर्वाचन को ही सिरे से खारिज कर दिया. आरसीए के सचिव भवानी समोता ने बताया​ कि चूरू ने 20 और 22 फरवरी के दिन चुनाव आयोजन की स्वीकृति मांगी थी. चूरू डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन को चुनाव के लिए 22 फरवरी दी लेकिन नियमों के विपरीत 20 फरवरी को चुनाव का आयोजन करवा दिया जो गलत है.

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हालांकि आरसीए उपाध्यक्ष ने इस चुनाव प्रक्रिया को वैध करार दिया है. वहीं पराक्रम सिंह का कहना है कि आरसीस बेवजह विवाद पैदा कर रहा है. चूरू जिला क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव नियमों के तहत हुआ है जिसमें आॅब्जर्वर के रूप में शक्ति सिंह भी मौजूद थे. पराक्रम यह भी कह रहे हैं कि आरसीए की गाइड लाइन एवं उनके अधिकारियों की देखरेख में हुआ है लेकिन कुछ लोग बेवजह ही विवाद ​पैदा करना चाहते हैं.

वैसे सभी को मालूम है कि आरसीए कार्यकारिणी का समय अभी पौने दो साल का बचा हुआ है. बावजूद इसके सूबे में पराक्रम की क्रिकेट की सियासी पिच पर एंट्री पर सभी की नजर है. दोनों धड़ों के नेता इस मामले को कांग्रेस और बीजेपी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. कहना गलत न होगा कि क्रिकेट की सियासी पिच पर दो ‘राजकुमार’ आमने-सामने एक-दूसरे का ‘पराक्रम’ दिखा रहे हैं जिसमें काफी मजा आने वाला है.

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