Politalks.News/Congress. हाल ही में हुए 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस की हालत बहुत ही ज्यादा खस्ता कर दी है. भाजपा लगातार जहां संसद के बाहर और अंदर दोनों जगह मजबूत होती दिखाई दे रही है तो वहीं कांग्रेस लगतार कमजोर होती नजर आ रही है. ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि संसद के उच्च सदन में कांग्रेस विपक्ष के नेता का दर्जा खो सकती है. इस तरह की संभावना इसलिए भी होती दिखाई दे रही है क्योंकि उच्च सदन में कांग्रेस के सांसदों की संख्या अपने ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर होने की उम्मीद है और विपक्ष के नेता की स्थिति को बनाए रखने के लिए आवश्यक न्यूनतम संख्या के करीब होने की संभावना है.
आपको बता दें, बीते रोज गुरुवार को आए उत्तरप्रदेश, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड और पंजाब के विधानसभा चुनाव परिणामों में मिली करारी हार ने कांग्रेस आलाकमान की चिंता बढ़ा दी है. उत्तरप्रदेश के साथ साथ जहां मणिपुर, गोवा, उत्तराखंड में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली. तो वहीं पंजाब में कांग्रेस पार्टी सत्ता में रहते हुए भी जीत का परचम नहीं लहरा पाई. पंजाब में चली आप की आंधी के बीच कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के कई बड़े दिग्गज चुनाव हार गए. खुद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दो जगह से, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और प्रकाश सिंह बादल भी चुनाव नहीं जीत पाए. ऐसे में कांग्रेस के सामने राज्यसभा में एक नई मुसीबत सामने आ खड़ी हुई है.
बता दें, राज्यसभा में कांग्रेस के फिलहाल 34 सांसद हैं. लेकिन इस साल कांग्रेस के हाथ से कम से कम 7 सीटें ऐसी हैं जो उसके हाथ से निकलती दिख रही है. इस साल असम, केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के ख़राब प्रदर्शन के कारण उसके सांसदों की संख्या में कमी आएगी. जबकि सदस्यों के सेवानिवृत्त होने के कारण उच्च सदन में अगले वर्ष कुछ सीटें रिक्त भी रहेंगी. ऐसे में कांग्रेस को अब पूरी उम्मीद आने वाले दो राज्यों गुजरात और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव से है. अगर कांग्रेस इन दोनों विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई तो अगले साल राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों में कांग्रेस राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा खो सकती है.
आपको बता दें कि नियमों के अनुसार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा बनाए रखने के लिए, सदन में एक पार्टी के 25 प्रतिशत सदस्य होने चाहिए. वर्तमान में कांग्रेस के सिर्फ 34 सदस्य हैं और कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे सदन में विपक्ष के नेता हैं. वहीं अगर लोकसभा की बात करें तो कांग्रेस के पास लोकसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा नहीं है क्योंकि सदन में उसकी वर्तमान संख्या सदन की सदस्यता के 10 प्रतिशत से कम है, जो कि आवश्यक सीमा है. ऐसे में अब कांग्रेस को पूरी आस कर्नाटक और गुजरात विधानसभा चुनाव से बची है.
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चुनाव आयोग ने इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा में 13 रिक्त पदों को भरने के लिए 31 मार्च को चुनाव करवाने की घोषणा की थी. 31 मार्च को पंजाब की 5 और हिमाचल प्रदेश, असम, केरल, नागालैंड और त्रिपुरा की 8 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होगा. पंजाब से अगले महीने सेवानिवृत्त होने वाले सदस्यों में कांग्रेस के दो सदस्य शामिल हैं. ऐसे में पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी खुशखबरी है. पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 92 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की और पंजाब विधानसभा में उनके पास तीन-चौथाई बहुमत है. ऐसे में आम आदमी पार्टी उच्च सदन में अपनी संख्या में काफी वृद्धि करेगी और राज्य की सात सीटों में से कम से कम छह सीटें जीतने की स्थिति में होगी.
इन सभी आशंकाओं के बीच पांच राज्यों में मिली करारी हार पर मंथन और आने वाले राज्यों की चुनावी रणनीति को लेकर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने जल्द ही CWC की बैठक बुलाई है. CWC की इस बैठक में 5 राज्यों में मिली करारी हार और आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन होगा. वहीं पार्टी में पहले से ही बगावती सुर अख्तियार कर चुके G-23 गुट के नेता भी एक मीटिंग करने वाले हैं. सियासी दिग्गजों का मानना है कि जब तक कांग्रेस पूरी ताकत और मेहनत के साथ पुरे देश में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट नहीं करेगी तब तक उसकी स्थिति सुधरने वाली नहीं है.