Parsadi Meena’s big statement regarding RTH: राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल को लेकर सरकार व निजी चिकित्सकों में गतिरोध बरकरार है. निजी चिकित्सक जहां एक स्वर में राइट टू हेल्थ बिल को वापिस लेने की मांग पर अडिग है वहीं सरकार इस बिल को वापस लेने को तैयार नहीं है. इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार मीटिंग कर चुके है और चिकित्सकों से मुलाकात कर रहे है, लेकिन हर बार वार्ता विफल हो रही है. वही इस मामले में अब राजस्थान के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने निजी चिकित्सकों को दो टूक लहजे में कहा कि किसी भी हालत में यह बिल वापस नहीं होगा चाहे वह काम करें या नहीं करें.
चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने आज पत्रकारों से राइट टू हेल्थ बिल को कहा कि पूरे देश में राजस्थान ऐसा पहला स्टेट है जिसने राइट टू हेल्थ लागू किया है. हम पिछले 3 साल से इस बिल को लेकर काम कर रहे थे, 22 सितंबर को जब पहली बार यह बिल सदन में रखा गया तो पूरी बहस के बाद इसे कमेटी के पास भेजा गया. इस बिल को लेकर हमने पहले सभी डॉक्टर्स व एनजीओ को सुनाया था. सभी कि आम राय बनी कि इस बिल को आमजन के हित को देखकर इसे लागू किया जाना चाहिए. परसादी लाल मीणा ने आगे कहा कि बिल को पास करने से पहले डॉक्टर्स ने इस बिल को लेकर अपनी जो समस्याएं बताई थी, उसमें भी हमने सुधार किया है. डॉक्टर्स से बात करने के बाद विधानसभा में सर्वसम्मति से हमने इस बिल को पास किया है, बिल अभी लागू नहीं हुआ उससे पहले ही डॉक्टर बवाल मचा रहे हैं, अभी तो राज्यपाल महोदय की सहमति आएगी, रूल्स बनेंगे, हमने कह दिया है कि इसमें ऐसी कोई भी बात नहीं जिसमें डॉक्टर्स की सहमति नहीं है.
यह भी पढ़ें: PM मोदी की छवि नष्ट करना ही राहुल का मकसद, स्मृति ईरानी ने कांग्रेस पर लगाए बड़े आरोप
मंत्री मीणा ने आगे कहा कि डॉक्टर्स इस बिल को लेकर वादा खिलाफी कर रहे हैं. डॉक्टर्स अपनी बात कह कर, अपनी बात मनवा कर, वादा खिलाफी कर रहे हैं. राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के 2 प्रतिनिधि प्रदेश के सभी जिलों में रखे हैं, जो कि डॉक्टर्स की समस्याओं को सुनेंगे, इसको हमने एक्ट में रखा है. जैसा डॉक्टर्स ने कहा हमने 100 प्रतिशत, उसी तरह का कानून बनाया है. डॉक्टर्स अपने धर्म से बिक गए है, यह उनकी वादाखिलाफी है. एक चिकित्सक को अपना धर्म निभाना चाहिए, यह अपने धर्म से बिक गए है. भगवान डॉक्टर्स को कभी माफ नहीं करेगा वो अपना धर्म नहीं निभा रहे हैं.
चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने आगे कहा कि निजी चिकित्सक काम करें, नहीं करें, यह उनकी मर्जी है, जिनको हमने जमीनें निशुल्क दी है, उनको काम करना ही पड़ेगा, चिरंजीवी योजना में काम करना है, नहीं करना है यह उनके ऊपर है. पिछले 2 साल में 7 हज़ार करोड़ रुपए का भुगतान सरकार निजी अस्पतालों को कर चुकी है, तब तो उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं थी, आज कानून लागू भी नहीं हुआ है, तब उनको तकलीफ हो रही है, क्या तकलीफ हो रही है उन्हें, कानून के आने से पहले ही, सरकार सुनने को तैयार है, पर वह बात करने को तैयार नहीं है. चिकित्सा मंत्री ने आगे कहा कि आंदोलन करने से पहले हमें आकर कहना चाहिए कि हमारी यह बातें आपने नहीं मानी है. डॉक्टर्स कहते हैं, बिल वापस ले लो, इनको यह कहने का अधिकार नहीं है, क्या डॉक्टर जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों से ऊपर है, इनको शर्म क्यों नहीं आती, इनको अपनी समस्याएं सरकार को आकर बतानी चाहिए, हम हर समय सुनने को तैयार हैं.
यह भी पढ़ें: भगौड़े दोनों मोदी OBC हैं क्या? सिर्फ चुनावी मुद्दा बनाने का है सारा षड्यंत्र- बीजेपी पर गहलोत का वार
अपने बयान में आगे मंत्री मीणा ने कहा कि दो साल से निजी चिकित्सक चिरंजीवी योजना में काम कर रहे थे, तब उन्हें कोई तकलीफ नहीं थी, राइट टू हेल्थ बिल किसी कीमत पर वापस नहीं होगा, यह बिल आमजन के हित के लिए लाया गया है. प्रदेश की जनता इस बिल के पक्ष में है. यह राजस्थान का बहुत बड़ा मुद्दा है. देश में सबसे पहले कहीं राइट टू हेल्थ बिल पास किया गया तो वह प्रदेश राजस्थान है. भारत सरकार भी इतना बड़ा अधिकार नहीं दे सकी, विपक्षी पार्टियों ने भी इस पर हमारा साथ दिया है, कोई भी इस पर खुलकर नहीं बोल रहा है. उन्होंने आगे कहा कि हम डॉक्टर के हित के लिए नहीं, हम जनता के हित के लिए चुनकर आए हैं. जनता के हित में जो काम होगा वही काम हम करेंगे, निजी चिकित्सक काम करें या नहीं करें, यह उनकी मर्जी है, किसी भी कीमत पर यह बिल वापस नहीं होगा.
मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि इस बिल को लेकर राजस्थान मॉडल स्टेट बनेगा, इस बिल को प्रदेश में लागू करेंगे, प्राइवेट डॉक्टर चिरंजीवी योजना में काम करना चाहते हैं, तो करें, नहीं करना है तो नहीं करें, उन्हें कौन कह रहा है, नहीं काम करना है तो घर जाओ, उनसे कौन प्रार्थना कर रहा है. कानून लागू होकर रहेगा और उस कानून का पालन निजी चिकित्सकों को करना पड़ेगा