पायलट की एक साल की तपस्या के बाद मिले राहुल के आशीर्वाद पर भारी न पड़ जाए जादूगर की बाज़ीगरी

जिला प्रमुख चुनाव की बगावत व पायलट के शक्ति प्रदर्शन के बीच राहुल के संदेश के बाद निगाहें दिल्ली पर, कांग्रेस की सियासी कलह का क्लाइमैक्स, राहुल के मैसेज ने बढ़ाई पायलट कैंप की आशाएं, शक्ति प्रदर्शन के बीच गहलोत कैंप की घेराबंदी, अब सबकी नजरें आलाकमान पर, सिर पर विधानसभा का सत्र, पूरे घटनाक्रम के बीच मंत्रिमंडल विस्तार फिलहाल टलना तय

तपस्या, तथास्तु और बगावत का चक्रव्यूह
तपस्या, तथास्तु और बगावत का चक्रव्यूह

Politalks.News/Rajasthan. क्या राजस्थान कांग्रेस की कलह का क्लाइमैक्स चल रहा है. पिछले दिनों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो लगता है कि जल्द ही कुछ बड़ा होने वाला है. इस बात संकेत सचिन पायलट के जन्मदिन पर राहुल गांधी के मैसेज से मिल रहे हैं. मंगलवार को पायलट ने अपने जन्मदिन पर जमकर शक्ति प्रदर्शन किया. लेकिन सबसे खास रहा राहुल गांधी का बर्थडे का बधाई सन्देश. राहुल गांधी ने सचिन पायलट के लिए एक सोशल मीडिया पोस्ट किया. उसमें उन्होंने बधाई देते हुए आने वाले साल शुभ होने की कामना की. अब सियासी गलियारों में इस बधाई संदेश के कई मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि इस संदेश के जरिए राहुल गांधी ने सचिन पायलट को आने वाले समय में बड़ी जिम्मेदारी मिलने के संकेत दिए हैं. राहुल गांधी के इस छोटे से बधाई संदेश ने सूबे का सियासी पारा बढ़ा दिया है.

हालांकि जयपुर जिला प्रमुख के चुनाव में बगावत के बाद पायलट खेमे के खास सिपहलसालार की गहलोत कैंप ने कड़ी घेराबंदी कर दी है. संभाग प्रभारी मुमताज मसीह द्वारा चाकसू विधायक सोलंकी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं. आलाकमान को भेजी जा रही रिपोर्ट में भी पूरे घटनाक्रम का जिम्मेदार वेदप्रकाश सोलंकी को बताए जाने की बात सामने आ रही है. जिला प्रमुख चुनाव में क्रॉस वोटिंग को लेकर कांग्रेस में विवाद गहरा चुका है. सीएम गहलोत और पायलट कैंप के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. ऐसे में माना जा रहा हैं कि राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार फिर से अटकेगा और राजनीतिक नियुक्तियों का मामला भी लंबा खिंच सकता है. वर्तमान हालात को देखते हुए कहा जा रहा है कि मंत्री बनने का इंतजार कर रहे विधायकों का इंतजार अब और आगे बढ़ेगा!

राहुल का पायलट को बर्थडे गिफ्ट, आशाओं को लगे पंख
अब हम क्रमवार पिछले तीन दिन के राजस्थान कांग्रेस के सियासी घटनाक्रम पर चर्चा करते हैं, जिससे भविष्य की इमारत खड़ी होनी है. राहुल गांधी के बधाई संदेश ने पायलट कैंप की आशाओं को पंख लगा दिए है. राहुल गांधी के बधाई संदेश के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द सचिन पायलट को हाईकमान से गिफ्ट मिल सकता है. सूत्रों की माने तो सचिन पायलट को काफी लंबे समय से पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की चर्चा हो रही थी. पायलट कैंप ने जो शर्ते पार्टी के सामने पहले रखी थी, उनका अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है. कुछ दिन पहले मीडिया से चर्चा करते हुए था कि किसे क्या बनना है, यब हाईकमान तय करता है. हम अजय माकन और सीनियर नेताओं के साथ संपर्क में हैं.

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बगावत ने राजस्थान कांग्रेस में शुरू करवाई ‘महाभारत’

वहीं दूसरी तरफ जयपुर जिला प्रमुख चुनाव में बगावत मामले में कांग्रेस की हार को लेकर कुछ नेताओं की शिकायत दिल्ली तक की गई है और पार्टी इसे गंभीरता से ले रही है. बताया जा रहा है कि सेंधमारी से दिल्ली आलाकमान खासा नाराज है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि यह मामला अब दूर तक जाएगा. जयपुर जिला प्रमुख चुनाव में कांग्रेस में क्रॉस वोटिंग से हार के बाद पार्टी में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट समर्थकों के बीच विवाद शुरू हो गया है. खेल मंत्री अशोक चांदना के पायलट समर्थकों को जयचंद बताने वाले बयान पर पायलट समर्थक विधायक इंद्राज गुर्जर, रामनिवास गावड़िया ने चांदना पर पलटवार करते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं.

पायलट समर्थक इंद्रराज ने पूछा-जैसलमेर में जयचंद कौन था?

पायलट कैंप के खास ‘सेनानी’ विराट नगर विधायक इंद्रराज गुर्जर ने कहा कि, ‘जैसलमेर में कांग्रेस का बहुमत होने के बाद भी जिला प्रमुख क्यों नहीं बन पाया और क्रॉस वोटिंग हुई थी उस समय जयचंद कौन था. इसका जवाब खेल मंत्री अशोक चांदना को जरूर देना चाहिए’.

जोशी-राठौड़ का मिलन, ये रिश्ता क्या कहलाता है?: गावड़िया
वहीं पायलट कैंप के ‘युवा तुर्क’ विधायक रामनिवास गावड़िया ने कहा कि, ‘अगर क्रॉस वोटिंग ही करवानी होती तो अन्य जगहों भी करवा सकते थे. रही बात जयचंद की तो जो महेश जोशी परिणाम से 5 मिनट पहले राजेंद्र राठौड़ पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगा रहे थे, वे उन्हीं की गाड़ी में बैठकर गए. ये रिश्ता क्या कहलाता है’

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पायलट कैंप को बदनाम करने की साजिश- सोलंकी
उधर कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि जिला प्रमुख चुनाव में बगावत करने वाले दोनों जिला परिषद सदस्यों को सचिन पायलट समर्थक विधायक वेद प्रकाश सोलंकी के कहने पर टिकट दिए थे. वेद प्रकाश सोलंकी ने खुद पर लगे आरोपों को गलत बताया है. सोलंकी ने कहा कि स्थानीय कांग्रेस नेता गड़बड़ी करेंगे. इस बारे में पहले ही प्रदेशाध्यक्ष को बता दिया था. फिर भी संगठन ने कोई कदम नहीं उठाया. अब उन्हें जिम्मेदार ठहराना गलत है. बाकी जिलों में भी क्रॉस वोटिंग हुई है. यह महज पायलट कैंप को बदनाम करने की साजिश है.

सीएम गहलोत और डोटासरा ने दिए थे तल्ख संकेत

इससे पहले जिला प्रमुख चुनाव में बगावत पर सीएम गहलोत ने कहा था कि, ‘जयपुर जिला प्रमुख चुनाव में भाजपा ने हॉर्स ट्रेंडिंग का सहारा लिया. हॉर्स ट्रेडिंग में वहीं लोग शामिल हैं, जिन्होंने पहले भी राजस्थान में सरकार गिराने का प्रयास किया था’. वहीं पीसीसी चीफ डोटासरा ने चेतावनी के लहजे में कहा कि, ‘जयपुर में हमारे लोगों के द्वारा हमें धोखा दिया गया विश्वासघात किया गया. जिन लोगों ने पार्टी के साथ धोखा किया उन बेईमानों को अंजाम तक पहुंचाएंगे’. जिला प्रमुख चुनाव में बगावत के बाद सीएम अशोक गहलोत के इस हॉर्स ट्रेडिंग वाले बयान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. पिछले साल सियासी कलह के दौरान सचिन पायलट की बगावत के समय सीएम गहलोत ने बीजेपी नेताओं पर पायलट गुट के विधायकों के साथ मिलकर हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए सरकार गिराने की कोशिशों के गम्भीर आरोप लगाए थे. ऐसे में सियासी चर्चा इस बात की है कि सीएम गहलोत ने बीजेपी के साथ-साथ पायलट गुट के वेदप्रकाश सोलंकी पर भी निशाना साधा था. अगर ऐसा है तो जादूगर से बाजीगर बने सीएम गहलोत एक छोटी बाजी हारकर बड़ी जीत जीतना चाह रहे हैं.

सोलंकी ने फेंका ‘ऑडियो बम’, लेकिन सालते हैं कई सवाल

इसी बीच विवादों के घेरे में आए चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी का एक ऑडियो वायरल होने की बात भी सामने आ रही है, जिसमें सोलंकी जयपुर के संभाग प्रभारी गोविंद मेघवाल से कह रहे हैं कि उनका ब्लॉक अध्यक्ष दो जिला परिषद सदस्यों को लेकर भाग गया है. यह उसके फ़ोन नंबर हैं, उसे धमकाओ. यह ऑडियो 5 सितंबर का बताया जा रहा है. दूसरी तरफ सोलंकी के चाकसू और जयपुर ग्रामीण के जिला अध्यक्ष सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने भी गंभीर आरोप लगाए हैं. इनके अनुसार सोलंकी और राजेन्द्र राठौड़ के बीच सांठगांठ हो गई थी. दोनों कांग्रेस के जीते हुए प्रत्याशियों को पार्टी की बाड़ाबंदी में क्यों नही लेकर पहुंचे थे सोलंकी? पार्टी के कुछ नेताओं ने सोलंकी पर पैसे के लेन-देन के भी आरोप लगाए हैं.

सीएम हाउस से 200 मीटर की दूरी पर शक्ति प्रदर्शन, रौत और हुडला की मौजूदगी ने चौंकाया

इधर, सचिन पायलट के जन्मदिन के बहाने सीएम हाउस से मात्र 200 मीटर की दूरी पर जोरदार शक्ति प्रदर्शन किया. हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने पायलट का अभिवादन किया. लेकिन सबसे खास रहा राहुल गांधी मैसेज और बीटीपी विधायक राजकुमार रौत व निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला का पायलट के घर जाकर बधाई देना. बीटीपी विधायक राजकुमार रौत को लेकर चर्चाएं चल रही हैं कि वो कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. वहीं हुड़ला के लिए कहा जाता है कि वो राजनीति के मौसम के वैज्ञानिक हैं हवाओं का रुख भांप लेते हैं कि राहत की बौछार किस और होने वाली है.

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सपनों के राजस्थान के जरिए युवाओं के सामने रखा अपना विजन

साथ ही सचिन पायलट की ओर से जन्मदिन से पहले एक वीडियो पर भी जारी किया था जिसका टाइटल ‘आओ दिखाऊं तुमको मेरे सपनों का राजस्थान’ था. खास बात यहा है कि ये इस वीडियो में पायलट ने युवाओं और प्रदेश के विकास की झलक दिखाने की कोशिश की. वीडियो में कहा गया है कि युवाओं के साथ उड़ान को तैयार है राजस्थान. सपनों के राजस्थान के बहाने पायलट अभी की चिंता नहीं करते हुए अगले पांच साल की पारी की तैयारी कर रहे हैं. बड़ी बात यह है कि इस वीडियो में ना तो राजस्थान सरकार की किसी योजना का जिक्र है ना ही गहलोत सरकार की कोई कमी निकाली गई है. पायलट ये मैसेज देना चाहते हैं कि राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार की उनको चिंता नहीं है और अपने सपनों के जरिए वो बताना चाहते हैं कि मेरा तो विजन ये है.

सारी बातों का सार यह है कि पिछले साल सचिन पायलट गुट की बगावत के बाद से कांग्रेस आलाकमान नाराज चल रहा है. ऐसे में सचिन पायलट की लगभग सालभर की चुप्पी वाली तपस्या के बाद राहुल गांधी से इस साल में अच्छा होने वाले मिले इस आशीर्वाद पर सियासी जादूगर की बाजीगरी भारी नहीं पड़ जाए. ऐसे में अब एक बस फिर सभी की निगाहें दिल्ली पर होंगी. अब अगर जिला प्रमुख चुनाव में बगावत पर आलाकमान सख्त एक्शन लेता है तो सियासत गर्माना तय है. हालांकि पायलट कैंप ने भी जैसलमेर का पत्ता डाल दिया है. पायलट कैंप ने साफ किया है कि अगर ये बगावत है तो जैसलमेर में तो मंत्री के परिवार ने ही क्रॉस वोटिंग की थी. ऐसे में जिला प्रमुख चुनाव की बगावत, सचिन पायलट के शक्ति प्रदर्शन और गहलोत कैम्प की घेराबंदी के बीच आए राहुल गांधी के बधाई संदेश ने आलाकमान को भी मुश्किल में डाल दिया है.

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