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Manipur violence: मणिपुर में पिछले ढाई महीनों से चल रही हिंसा और पिछले दिनों गैंगरेप के बाद महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने वाले वीडियो के वायरल होने की शर्मनाक घटना के बाद वहां की तपिश राजस्थान की धरती तक भी पहुंच रही है. यह तपिश इतनी गर्मा रही है कि राजस्थान की विधानसभा में इसकी धधक और धुंआ उठाते दिख रहा है. इसकी बढ़ती गर्माहट के चलते सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को अपने मंत्री पद से हाथ तक धोना पड़ा। विपक्ष ने भी मणिपुर हिंसा का रूख राजस्थान की ओर मोड़ते हुए सरकार के गृहमंत्री और सीएम अशोक गहलोत को जमकर कोसा और प्रदेश में हो रहे महिला अत्याचार के बढ़ते आंकड़ों पर मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगा. वहीं ओसियां विधायक दिव्या मदरेणा ने अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हुए कह दिया कि मैं खुद भी प्रदेश में सुरक्षित नहीं हूं. एक मंत्री और एक महिला विधायक के अपनी ही सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने के बाद गहलोत सरकार खुद ही विपक्ष के निशाने पर आ गई है.

दिव्या और गुढ़ा ने अपनी सरकार को घेरा

राजस्थान विधानसभा में न्यूनतम आय गारंटी बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस और बीटीपी के 13 विधायकों ने वैल में आकर मणिपुर घटनाक्रम संबंधी तख्तियां दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. इस दौरान बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए और सियासी संकट के समय प्रदेश की कांग्रेस सरकार को बचाने में साथ रहे राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कहा कि हमें मणिपुर की बजाय अपने गिरेबां में झांकना चाहिए. हम महिलाओं की सुरक्षा में विफल रहे हैं. यहां महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं. सरकार के खिलाफ बोलने के लिए सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को सीएम अशोक गहलोत ने मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया है.

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वहीं ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने विधानसभा में बोलने की कोशिश की तो विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें बोलने नहीं दिया. इसके बाद दिव्या मदरेणा ने जोधपुर हत्याकांड को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ सवाल उठाते हुए कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. दिव्या ने कहा कि मैं तो खुद ही सुरक्षित नहीं हूं. इस पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि प्रदेश में महिला अत्याचार चरम पर है और सरकार को इस कुर्सी पर बैठने का हक नहीं है. उन्होंने सीएम गहलोत पर तंज कसते हुए कहा कि शर्म होती तो रिजाइन कर जाते.

गैंगरेप के बाद महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाया था मणिपुर में

हिंसाग्रस्त मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अचानक फिर से प्रदेश में हिंसा बढ़ गई. यह वीडियो 4 मई का बताया जा रहा है. यह वीडियो कांगपोकमी जिले का और दोनों महिलाएं कुकी समुदाय की बताई जा रही है. दावा किया जा रहा है कि इनमें से एक महिला के साथ गैंगरेप भी हुआ है. दो पुरूष भी भीड़ के हत्थे चढ़ गए थे जिनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने पीड़िताओं को न्याय दिलाने के हरसंभव प्रयास किए जाने की बात कही है. इस वीडियो के वायरल होने के बाद घाटी के 5 जिलों में पूर्ण कफ्र्यू लगाया गया है. पुलिस ने मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है. प्रदेश के कई जिलों में इंटरनेट बंद किया गया है.

ढाई महीने से जातीय हिंसा में 150 लोगों की मौत

मणिपुर मं बीते ढाई महीने से जातीय हिंसा में 37 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जानलेवा नफरत में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा इतनी ज्यादा हो रही है कि हालात बेकाबू हो चुके हैं. हालात इसके भयावह हो चुके हैं कि दोनों समुदाय के हजारों युवा बंकर बनाकर हाईटेक हथियारों से एक दूसरे के बंकरों पर नजर रखे हुए हैं. दोनों समुदायों के लोगों ने अपने अपने चैक पोस्ट बनाए हुए हैं. पिछले ढाई माह में सरकारी मालखाने से तीन हजार से अधिक बंदूकें और 6 लाख गोलियों की लूट हुई है. पुलिस ने सभी से हथियारों को जमा कराने की अपील की है लेकिन अब तक के सभी प्रयास विफल साबित हुए हैं.

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कुकी को पहाड़ और मैतेई को अपना वर्चस्व खोने का डर

मणिपुर में आदिवासी कुकी समुदाय और बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के बीच तनाव चल रहा है. राज्य में मैतेई समुदाय की तादात 55 फीसदी है. मैतेई समुदाय ने पहाड़ों की वन भूमि पर हक और सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में सीटों में आरक्षण की मांग की है. मैतेई समुदाय के ज्यादातर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं. एसटी का दर्जा मिलने के बाद उनकी पहाड़ी क्षेत्रों में पहुंच बढ़ेगी. इनके अलावा, 35 फीसदी आबादी कुकी है जिनमें से ज्यादातर लोग पहाड़ों पर रहते हैं. 10 फीसदी आबादी नगा एवं अन्य जनजातीय समूहों की है, जो कुकी के करीबी हैं. आदिवासी समुदाय को डर है कि यदि मैतेई को विशेष दर्जा मिला तो उनका पहाड़ी क्षेत्रों पर कब्जा हो जाएगा. इन सभी समुदायों की संस्कृति एवं परंपराएं अलग अलग हैं. वे जमीन, संसाधन और राजनीतिक वर्चस्व के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं. विवाद के मूल में पहाड़ी बनाम घाटी की पहचान का संघर्ष और असमान विकास है. मैतेई राजनीतिक प्रभुत्व वाला समुदाय है और राज्य का विकास घाटी तक ही सीमित है जिस पर मैतेई का वर्चस्व है.

यहां के कानून के कारण इस समुदाय के लिए पहाड़ों में जमीन खरीदने पर रोक है लेकिन अन्य जनजाति के लोग राज्य के किसी भी हिस्से में जमीन खरीद सकते हैं. इसी कारण से मैतेई समुदाय के लोगों को लगता है कि राज्य के कानून में जनजातियों को उनकी आबादी की तुलना में अनुपातहीन लाभ प्रदान किए गए हैं. एक वजह ये भी है कि मणिपुर की 350 किमी. सीमा म्यांमार से लगती है जिसमें से ज्यादातर हिस्से में किसी तरह की फेंसिंग नहीं है जिससे घुसपैठ और बढ़ेगी. रिफ्यूजी का मणिपुर के कुकी लोगों के साथ जुड़ाव है जिससे मैतेई और नगा लोगों में भय है कि आने वाले शरणार्थियों के कारण कुकी लोगों की आबादी तेजी से बढ़ जाएगी. इस वजह से भी मैतेई और कुकी समुदाय आपस में एक दूसरे के खून के प्यासे बन गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र एवं मणिपुर सरकार को चेताया

प्रदेश में हो रही हिंसा पर शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार को लताड़ लगाई है. 28 जुलाई को होने वाली सुनवाई से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय और मणिपुर के मुख्य सचिव को हलफनामा दायर करने को कहा है. कोर्ट ने कहा है कि हम दोनों सरकारों को कुछ समय दे रहे हैं. अगर कार्रवाई नहीं हुई तो कोर्ट को दखल देना पड़ेगा.

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