पॉलिटॉक्स न्यूज/गोवा. गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक अपने बयानों के चलते सुर्खियों में बने रहते हैं. ऐसे में एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के अपने अनुभव के आधार पर सत्यपाल मलिक का दिया एक बयान जबरदस्त चर्चा में है. गवर्नर सत्यपाल मलिक ने कहा कि गवर्नर का कोई काम नहीं होता, साथ ही जम्मू-कश्मीर गवर्नर पर निशाना साधते हुए मलिक ने कहा कि वहां कोई काम नहीं होता. कश्मीर के गवर्नर दारू पीते हैं और आराम से रहते हैं, कभी किसी झगड़े में नहीं पड़ते. बता दें, धारा 370 हटाने और राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने के वक़्त सत्यपाल मलिक ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे. वहीं मलिक बिहार के भी राज्यपाल रह चके हैं.
रविवार को महामहीम सत्यपाल मलिक बागपत स्थित अपने पैतृक गांव हिसावदा पहुंचे थे, जहां एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ये सब बातें बताईं उन्होंने कहा कि गवर्नर का कोई काम नहीं होता. कश्मीर के गवर्नर तो अक्सर दारू पीते हैं और बस गोल्फ खेलते हैं. बाकी जगह जो गवर्नर होते हैं वो आराम से रहते हैं, किसी झगड़े में नहीं पड़ते हैं.
गवर्नर सत्यपाल मलिक का इस तरह का बयान कोई नई बात नहीं है. कुछ महीनों पहले उन्होंने राममंदिर पर भी एक बयान देकर सनसनी फैला दी थी. उन्होंने कहा कि पूरे देश मे राम मंदिर के भव्य निर्माण की बहस चल रही है. रोज मैं बड़े-बड़े संतो और महात्मा के भाषण सुनता हूं, लेकिन मैं इनको ज्ञानी नहीं मानता. जब वो बताते हैं कि कैसा मंदिर होगा तो कहते हैं कि नीचे रामलला की मूर्ति होगी और ऊपर राम दरबार होगा. किसी की जबान से मैंने नहीं सुना कि उस मंदिर में केवट की भी मूर्ति होगी या फिर मंदिर में सबरी की भी मूर्ति होगी. जब माता सीता का अपहरण हुआ तो एक सैनिक अयोध्या से माता सीता की मदद करने के लिए नहीं आया था.
इससे पहले उन्होंने व्याप्त भ्रष्टाचार पर कहा था कि राज्य में भ्रष्टाचार इतना है कि उनका खून खौलता है. उन्होंने कहा कि कई नेता और नौकरशाह भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं. साथ ही आतंकवादियों को भी नसीयत देते हुए कहा कि मारना है तो राज्य में फैले भ्रष्टाचार को मारें. उन्हें मासूम लोगों को मारने की बजाए भ्रष्टाचारियों को निशाना बनाना चाहिए.
इधर मध्यप्रदेश में उलझी रही कांग्रेस, उधर गुजरात में भी हो गया खेल
बता दें, बीती 3 नवंबर 2019 को सत्यपाल मलिक को गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. गोवा के राज्यपाल पद की शपथ लेते हुए उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को बेहद समस्याग्रस्त माना जाता रहा है लेकिन उन्होंने यहां की परेशानियों का सामना सफलतापूर्वक किया और राज्य की सभी समस्याएं दूर कर दी.
वहीं बागपत में सत्यपाल मलिक ने बिहार में बतौर राज्यपाल शिक्षा के क्षेत्र में उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जब वे बिहार के राज्यपाल थे तो राज्य में 100 कॉलेज ऐसे थे जो राजनेताओं के थे. उनके यहां एक टीचर तक नहीं था, वहां हर साल बीएड में एडमिशन करवाया जाता और पैसे देकर परीक्षा होती और डिग्रियां बांटी जाती थी. मैंने सारे कॉलेज खत्म किए और एक केंद्रीयकृत परीक्षा प्रणाली विकसित की.
सात महीने बाद बाहर आए फारुख अब्दुल्ला परिवार से मिलकर हुए भावुक
गौरतलब है, 5 अगस्त 2019 को नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को प्रभावहीन बनाने का फैसला किया तो उस वक्त सत्यपाल मलिक वहां के राज्यपाल थे. इस दौरान राज्य की प्रशासनिक मशीनरी और सुरक्षा का जिम्मा उनकी के हाथ में था. उन्हीं के कार्यकाल में जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लदाख में बांटा गया.