BJP की जीत के ‘शिल्पकार’- बंसल, प्रधान, वाजपेयी, चंदेल और बालियान ने संभाली विजय रथ की कमान

उत्तरप्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत पर शुरू हुईं सियासी चर्चाएं, बीजेपी में पर्दे के पीछे काम करने वाले 5 चेहरे, 'चाणक्य' सुनील बंसल की रणनीति का चला जादू, बालियान ने पश्चिमी UP में अकेले पलट दी बाजी, वाजपेयी ने जनता से जुड़े नेताओं को भाजपा करवाई जॉइन तो आईटी सेल की जिम्मेदारी संभाली थी चंदेल ने, माना जा रहा है इन सभी को मिलेगा जल्द ही इसकायह उचित ईनाम

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Politalks.News/UttraPradeshResult. उत्तरप्रदेश में भाजपा ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर सूबे का 37 साल पुराना वो रिकॉर्ड तोड़ा है जब कोई पार्टी फिर से बहुमत में लौटी है. BJP ने 403 सीटों में 273 सीटें जीतकर एक बार फिर से सत्ता हासिल कर ली है. सियासी जानकारों का कहना है कि कानून-व्यवस्था का बहुत बड़ा मुद्दा था, जिस पर लोगों ने वोट किया. कुछ का कहना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले लाभार्थी वर्ग ने नमक का हक अदा किया और मजबूत नेता के तौर पर योगी आदित्यनाथ को लोगों ने पसंद किया.

 

इन तीन बड़े कारणों के अलावा चौथी कॉमन बात यह है कि भाजपा के पास ऐसा संगठन है, जो लास्ट माइल डिलीवरी सुनिश्चित करता है. यानी केंद्रीय योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने, उन्हें इस बारे में बताने और मतदान के समय उनको बूथ पर ले जाकर उनका वोट डलवाने की बहुत शानदार मशीनरी भाजपा के पास है, जो बाकी दूसरी पार्टियों के पास नहीं है. इन तरह इन चारों बातों से इनकार नहीं किया जा सकता है. उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत में इन बातों का योगदान है. लेकिन पॉलिटॉक्स आपको बताएगा कि बीजेपी की इस ऐतिहासिक जीत में पर्दे के पीछे के असली शिल्पकार कौन हैं?

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सबसे पहले आपको याद दिला दें कि 10 मार्च यानी नतीजों वाले दिन की शाम 6.49 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट में लिखा कि, ‘यह प्रचंड बहुमत प्रधानमंत्री जी की लोक कल्याणकारी नीतियों पर आमजन के अटूट विश्वास की मुहर है’ 12 मिनट बाद योगी ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा कि ‘UP की जीत गृह मंत्री अमित शाह के ऊर्जावान मार्गदर्शन, कुशल रणनीति का प्रतिफल है’. तीसरे ट्वीट में जेपी नड्डा, चौथे में राजनाथ सिंह और पांचवें ट्वीट में योगी ने जीत का श्रेय स्वतंत्र देव सिंह को दिया. इसके बाद उन्होंने छठे ट्वीट में पार्टी कार्यालय पर मनाए जा रहे जश्न का वीडियो पोस्ट करते हुए पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को बधाई दी. लेकिन इन सबके बीच BJP की इस जीत में 5 नाम और हैं, जिनकी चर्चा नहीं होती, वो चुपचाप अपना काम करते हैं और निकल जाते हैं किसी और राज्य में कमल का फूल खिलाने. आइए एक-एक करके उन्हें जानते हैं…
सुनील बंसल- संगठन के ‘शिल्पी’
आपको बता दें, सुनील बंसल उत्तरप्रदेश के निवासी नहीं हैं बल्कि राजस्थान के जयपुर ग्रामीण में स्थित कोटपूतली के रहने वाले हैं. लेकिन 2013 से बंसल यूपी में प्रदेश महामंत्री संगठन के पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. यहां आपको बता दें, 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जितने भी प्रदेशों में बीजेपी जीती है वहां बैकरूम रणनीति में सुनील बंसल जरूर नजर आए हैं. BJP का जनाधार बूथ लेवल पर किए गए काम की वजह से बढ़ा और जब बूथ मैनेजमेंट की कल्पना की गई तब इसका जिम्मा सुनील बंसल को ही सौंपा गया.

बताया जा रहा है कि उत्तरप्रदेश में सुनील बंसल ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा से पहले सर्वे एक करवाया, जातीय समीकरण को समझा, विधानसभाओं के पदाधिकारियों से बात की और उसके बाद जाकर प्रत्याशियों के नाम तय किए. कई बार बंसल ने पार्टी के विधायकों को फोन करवाकर कहा था कि, ‘तुम्हारा कैंपेन पिछड़ रहा है, उसे और ताकत चाहिए’. चुनाव से पहले ‘100 दिन-100 काम’ योजना बंसल के ही दिमाग की उपज बताई जाती है.
बंसल का विस्तारक मॉडल रहा हिट
सुनील बंसल ने बूथ लेवल पर दलित, OBC और महिलाओं को पार्टी से जोड़ा. नियमित समय पर उनकी मीटिंग करवाई. इन सबको मैनेज करने के लिए विस्तारक नियुक्त किए गए. नतीजा ये रहा कि जिन सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान देर में हुआ या फिर किसी दूसरी विधानसभा में उन्हें प्रत्याशी बनाया गया, वहां भी पार्टी ने जीत हासिल की.

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धर्मेंद्र प्रधान- CM योगी को केशव प्रसाद के घर पहुंचाया
ओडिशा से आने वाले बीजेपी दिग्गज धर्मेंद्र प्रधान को एक साल पहले UP का प्रभारी बनाया गया था. जब प्रभारी बने तो पार्टी के अंदर खेमेबाजी की खबर थी. प्रधान ने सबसे पहले इसे खत्म किया. 2017 में CM योगी CM बने लेकिन डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य के घर 22 जून 2021 को पहली बार गए. जबकि CM योगी और केशव का आवास 5 कालीदास मार्ग पर स्थित है, सिर्फ एक आवास की दूरी पर है. इस मुलाकात के जरिए “सब कुछ बेहतर है” का जो संदेश दिया गया उसके पीछे भी धर्मेंद्र प्रधान को बताया जाता है. प्रधान UP के हर हिस्से में गए. माइक्रो मैनेजमेंट पर काम बांटने की रणनीति बनी. काशी, गोरक्ष, अवध, कानपुर-बुंदेलखंड, ब्रज, और पश्चिम क्षेत्र में प्रभारी तय किए. मैजिक पांच की शुरूआत की. यानी चुनाव रणनीति से लेकर चुनाव प्रबंधन तक, जो भी जिम्मेदारी होगी एक क्षेत्र में 5 लोगों को नियुक्त किया जाएगा. इस काम में धर्मेंद्र प्रधान का साथ बिहार के राधा मोहन सिंह ने भी दिया.
संजीव बालियान- पश्चिम उत्तर प्रदेश में नाराज जाटों को मनाने की जिम्मदारी उठाई
चुनाव से ठीक पहले किसान आंदोलन भाजपा के लिए बड़ी चुनौती था. हाथरस में राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत सिंह को लाठी मारी गई थी. इससे जाटों में BJP को लेकर नाराजगी थी. उन्हें मनाने का जिम्मा दिया गया मुजफ्फरनगर जिले के रहने वाले केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को. संजीव ने पश्चिमी UP की 136 सीटों की गुणा-गणित को अपने हिसाब से सेट किया. चुनाव से ठीक पहले 25 जनवरी को प्रमुख 50 जाट नेताओं के साथ अमित शाह की बैठक करवाई. उन्हें अपने भरोसे में लिया. 10 मार्च को नतीजे आए तो हैरान करने वाले थे. पहले चरण की जिन 58 सीटों पर वोट हुआ, वहां की 46 सीटें BJP ने जीत ली. दूसरे चरण की जिन 55 सीटों पर मतदान हुआ वहां भी 30 सीट जीत ली. पहले और दूसरे चरण के बाद कहा जा रहा था कि सपा ने दोनों चरणों में ही 80 सीट जीत ली पर नतीजे आए तो यह संख्या 37 थी.
लक्ष्मीकांत वाजपेयी- पार्टी में जॉइनिंग कमेटी का काम संभाला
इस पूरे चुनाव में मेरठ जिले के लक्ष्मीकांत वाजपेयी की भूमिका सबसे जुदा थी. उन्हें पार्टी ने जॉइनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया. लक्ष्मीकांत ने दूसरे दलों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया. खास ये कि उन्होंने पार्टी में शामिल हो रहे नेताओं को इस शर्त पर नहीं शामिल किया कि उन्हें चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाएगा. मुलायम सिंह की बहू अपर्णा यादव इसका बड़ा उदाहरण हैं. लक्ष्मीकांत किसी रैली में नहीं जाते, लेकिन CM योगी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में अक्सर नजर आते हैं. संगठन की मजबूती के लिए जिलों का दौरा किया. प्रभावी चेहरों को पार्टी में शामिल किया. नतीजा ये रहा कि पार्टी को दोबारा बड़ी जीत मिली. BJP के ही एक वरिष्ठ पदाधिकारी की मानें तो लक्ष्मीकांत वाजपेयी को योगी सरकार नई कैबिनेट में जगह दे सकती है.
अंकित सिंह चंदेल- लोगों के वाट्सएप पर पहुंचाया BJP का वीडियो
अयोध्या जिले के अंकित सिंह चंदेल UP BJP के सोशल मीडिया हेड हैं. कोरोना के चलते जब लोगों के बीच पहुंचकर प्रचार कर पाना मुश्किल था, तब उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक BJP की उपलब्धियों और बातों को पहुंचाया. BJP IT सेल की केंद्रीय टीम को गुरूग्राम से लखनऊ शिफ्ट किया गया. किसानों से जुड़े पोस्ट की संख्या बढ़ा दी गई. ग्राफिक और वीडियो को वॉट्सऐप के जरिए लोगों तक पहुंचाया गया. BJP IT सेल ने चुनाव से 6 महीने पहले “फर्क साफ है” नाम से हैशटैग चलाया. इसके जरिए पुरानी सरकारों से योगी सरकार की तुलना की जाती थी. यह बहुत पॉपुलर हैशटैग रहा. इसके पीछे अंकित सिंह का नाम बताया जाता है. इसके अलावा BJP के नेता इस बार सोशल मीडिया पर सबसे अधिक एक्टिव दिखे, लाइव आकर लोगों के सामने अपनी बात रखी. इस फैसले के पीछे भी अंकित का नाम आता है.

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