Politalks.News/Congress/BJP. भारतीय राजनीति की अगर बात की जाए तो लंबे समय से वह दो राजनीतिक दलों कांग्रेस और बीजेपी के इर्द गिर्द ही घूमती नजर आती है. हालही में देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में जहां सभी राज्यों में कांग्रेस को जबरदस्त मुंह की खानी पड़ी है वहीं पांच में से चार राज्यों में भाजपा ने जोरदार जीत दर्ज की है. ऐसे में अब देश के 12 राज्यों में भाजपा की सरकार है तो वहीं 4 राज्य ऐसे हैं जिनमें भाजपा गठबंधन के साथ सत्ता में शामिल है. वहीं दूसरी तरफ कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी का दम भरने वाली कांग्रेस पार्टी की महज 2 राज्यों में सरकार बची है और 2 राज्यों की सत्ता में कांग्रेस गठबंधन में शामिल है. ऐसे में सियासी गलियारों में ये चर्चा जोरों पर है कि बीते 8 सालों में जिन-जिन नेताओं ने कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी के ‘कमल‘ को थामा है उन्होंने भाजपा सरकार बनाने में महती भूमिका निभाई है. इसमें असम के सीएम हेमंत बिस्वा, मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह और एमपी से ज्योतिरादित्य सिंह सिंधिया सबसे बड़े उदाहरण हैं.
आपको याद दिला दें, उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कई दिग्गजों ने बीजेपी का दामन थामा था. इनमें दिग्गज कांग्रेसी नेता जितिन प्रसाद ने जहां विधानसभा चुनाव से चंद महीनों पहले ही बीजेपी का दामन थामा और योगी आदित्यनाथ के पिछले कार्यकाल के मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद हासिल कर बीजेपी के लिए जमकर काम किया. जितिन प्रसाद उत्तरप्रदेश में ब्राह्मणों का बड़ा चेहरा माने जाते हैं जिसका फायदा कहीं न कहीं बीजेपी को 2022 विधानसभा चुनाव में जरूर मिला है. तो वहीं चुनाव से ठीक पहले कांग्रेसी के एक और दिग्गज RPN सिंह बीजेपी में शामिल हो गए. RPN सिंह का ही जलवा रहा कि पडरौना में भारतीय जनता पार्टी को महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई. इन नेताओं ने अपने अपने तरीके से बीजेपी के लिए वोट बैंक साधने में महती भूमिका निभाई.
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वहीं बात करें उत्तराखंड की तो यहां भी कई कांग्रेसी दिग्गजों ने कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी से नाता जोड़ा. इनमें सुबोध उनियाल, रेखा आर्य, सतपाल महाराज, उमेश शर्मा काऊ, सौरभ बहुगुणा जैसे नेता 2017 में ही BJP में शामिल हो गए थे. वहीं सरिता आर्य और किशोर उपाध्याय 2022 में BJP में शामिल हुए. इन सभी नेताओं ने भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तो वहीं सतपाल महाराज और रेखा आर्य को तो इसका बड़ा वाला फल भी मिला. दोनों नेताओं को उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद मिला. हालांकि कांग्रेस के नेताओं के दल बदल की रणनीति को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ कहते हैं कि, ‘कुछ लोग राजनीति को प्रोफेशन के तौर पर देखते हैं. कंपनियां बदलने की तरह पार्टियां बदलते हैं. ऐसे लोगों का कोई आइडियोलॉजिकल कमिटमेंट नहीं होता, ये कायर किस्म के लोग होते हैं.’
अब बात करें गोवा और मणिपुर की तो यहां कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए नेताओं ने अपना जलवा बरक़रार रखा है. दोनों ही जगहों पर कांग्रेस से आए नेताओं ने सूबों में बीजेपी की सरकार बनवाने में अपनी भूमिका निभाई है. बात करें मणिपुर की तो यहां 60 सीटों वाले मणिपुर में BJP ने 32 सीटें जीतीं. यहां भी 8 विधायक ऐसे हैं, जो पहले कांग्रेस में थे. बता दें, मणिपुर में भाजपा ने एन बिरेन सिंह को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया है, वो 2004 से 2016 तक, यानी 12 साल कांग्रेस में रहे. बिरेन सिंह ने 2017 में कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी. वहीं बात की जाए गोवा की तो 40 विधानसभा सीटों वाले देश के सबसे छोटे राज्य में BJP ने इस बार 20 सीटें जीत लीं. लेकिन जीत दर्ज करने वाले विधायकों में सबसे ज्यादा संख्या कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विधायकों की रही. 20 में से 8 नेता ऐसे हैं जिन्होंने जीत दर्ज की. इन्हीं कांग्रेसी विधायकों के दम पर प्रमोद सावंत एक बार फिर सूबे के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.
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ऐसे में इन चुनावी नतीजों को लेकर अब सियासी गलियारों में ये चर्चा भी चरम पर पहुंच गई है कि क्या आने वाले समय में राज्यों में होने वाले चुनावों में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस दिग्गजों का जलवा बरक़रार रहेगा? दो साल पूर्व मध्यप्रदेश में दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पाला बदलते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया था. सिंधिया के साथ आए कांग्रेस के 22 विधायक भी बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसके कारण प्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और मप्र में BJP की सरकार बन गई. वहीं कुछ सियासी दिग्गजों का मानना है कि हो सकता है कि आगामी चुनाव में अगर बीजेपी जीती तो प्रदेश की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ में दे दी जाए.
इसके साथ ही सियासी जानकारों का मानना है कि जिन जिन कांग्रेसी दिग्गजों ने पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थामा उन्हें कहीं न कहीं सफलता जरूर मिली है. अब सियासी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा में शामिल हुए लोगों को मिल रहे प्रतिफल को देखते हुए आने वाले समय में कई कांग्रेस दिग्गज अपने पुराने साथियों की राह पकड़ते हुए भाजपा का दामन थाम सकते हैं. कांग्रेस के कई नाराज नेताओं को लेकर समय-समय पाला बदलने की चर्चा उड़ती रहती है. इसी कड़ी में राजस्थान में सचिन पायलट को लेकर भी इस तरह के कयास लगातार लगाए जाते रहे हैं.