महागठबंधन सरकार के लिए पहली अग्निपरीक्षा बना उपचुनाव, एक पर BJP तो दूसरी सीट पर RJD भारी

बिहार की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का हुआ एलान, मोकामा और गोपालगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को होगी वोटिंग और 6 तारीख को आएंगे नतीजे, चुनाव के लिए बीजेपी और महागठबंधन में शामिल जेडीयू-आरजेडी समेत अन्य पार्टियों ने कसी कमर

महागठबंधन की अग्निपरीक्षा
महागठबंधन की अग्निपरीक्षा

Politalks.News/Bihar. बिहार में सत्ता परिवर्तन हुए करीब एक महीने से ज्यादा का समय बीत चूका है. बीजेपी से नाता तोड़ राजद के साथ आने वाले नीतीश कुमार लगातार 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को एकसाथ लाने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन महागठबंधन की पहली अग्निपरीक्षा तो बिहार से ही शुरू होने वाली है. चुनाव आयोग ने सोमवार को देश के 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी है. बिहार की मोकामा और गोपालगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. बीजेपी और महागठबंधन में शामिल जेडीयू-आरजेडी समेत अन्य पार्टियों ने बिहार उपचुनाव के लिए कमर कस ली है. मौजूदा समीकरणों के मुताबिक मोकामा में महागठबंधन और गोपालगंज में बीजेपी मजबूत दिख रही है. ऐसे में दोनों सीटों पर जीत हासिल करना ही महागठबंधन की परीक्षा से कम नहीं है.

सोमवार को चुनाव आयोग ने 6 राज्यों की 7 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है. सोमवार को चुनाव आयोग ने सूचना जारी करते हुए बताया कि, महाराष्ट्र की अंधेरी ईस्ट, बिहार की मोकामा और गोपालगंज, हरियाणा की आदमपुर, तेलंगाना की मुनूगोड़े, उत्तरप्रदेश की गोला गोकर्णनाथ और ओडिशा की धामनगर सीट के लिए 3 नवंबर को मतदान किया जाएगा. इन सभी सातों सीटों के परिणाम 6 नवंबर को घोषित कर दिए जाएंगे. बात करें बिहार की तो इन दोनों सीटों पर मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प होने वाला है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार चुनावी माहौल बन रहा है. एक तरफ तो नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव उपचुनाव को जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाकर सरकार को मजबूती देंगे. तो वहीं बीजेपी किसी भी कीमत पर इस चुनाव में जीत हासिल कर के महागठबंधन को पटखनी देने की तैयारी कर रहा है.

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बात करें मोकामा कि तो ये राष्ट्रीय जनता दल का गढ़ मानी जाती है. काफी लंबे समय से मोकामा पर राजद नेता पटना एवं बाहुबली अनंत सिंह का राज रहा है. वे कभी राजद से तो कभी निर्दलीय मोकामा से चुनाव लड़कर जीत हासिल कर चुके हैं. जेल में बंद बाहुबली नेता अनंत सिंह का इस क्षेत्र में खासा प्रभाव है. लेकिन अनंत सिंह के एके47 मामले में जेल जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी और उपचुनाव की नौबत आई है. सियासी जानकारों की माने तो भले ही अनंत सिंह अभी जेल में हो लेकिन अब इस क्षेत्र में उनका दबदबा कायम है. यही कारण है कि इस सीट पर महागठबंधन की ओर से आरजेडी का ही उम्मीदवार उतारा जा सकता है, जिसे जेडीयू, कांग्रेस समेत अन्य सत्ताधारी दलों का समर्थन होगा. वहीं पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी के लिए ये सीट जीतना सबसे बड़ी चुनौती होगी.

वहीं बात करें दूसरी सीट गोपालगंज की तो यहां से पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता सुभाष सिंह के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी. गोपालगंज बीजेपी का गढ़ माना जाता है. सुभाष सिंह यहां से लगातार चार बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनावी माहौल को देखते हुए बीजेपी सुभाष सिंह के परिवार से ही कोई उम्मीदवार घोषित कर दे. ऐसे में सुभाष सिंह के प्रति क्षेत्र की जनता में जो आस्था है उसका पूरा का पूरा फायदा बीजेपी को मिल सकता है. बात करें महागठबंधन की तो यहां से गठबंधन के दोनों ही दल जदयू और राजद दोनों का कोई मजबूत जनाधार नहीं है. इस सीट पर हमेश से ही कांग्रेस और बीजेपी के मुकाबला देखा गया है. ऐसे में महागठबंधन यहां से कांग्रेस प्रत्याशी के नाम पर भी दांव खेल सकता है. हालांकि ये बीजेपी का गढ़ है ऐसे में महागठबंधन को यहां अपनी पूरी ताकत लगनी पड़ेगी.

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बता दें कि बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार चुनावी माहौल बन रहा है. एक तरफ नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव उपचुनाव को जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाकर सरकार को मजबूती देंगे. वहीं आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपने दम पर बिहार जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही बीजेपी के लिए भी यह उपचुनाव अहम माना जा रहा है. बीजेपी की ओर से केंद्रीय स्तर के नेता उपचुनाव में प्रचार के लिए आ सकते हैं. वहीं, दोनों सीटों पर नीतीश-तेजस्वी समेत महागठबंधन नेताओं की संयुक्त रैलियां हो सकती है.

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