Politalks.News/UttarPradesh. अभी दो दिनों पहले तक भाजपा खेमे में पांच राज्यों और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव के परिणामों को लेकर भारी उत्साह छाया हुआ था. कोरोना की दूसरी लहर में खराब हेल्थ सिस्टम और देर से लिए गए फैसलों पर अंतरराष्ट्रीय जगत में हुई किरकिरी और सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली समेत कई राज्यों के हाईकोर्ट की फटकार के बाद केंद्र की भाजपा सरकार बैकफुट पर आ गई थी. अब भारतीय जनता पार्टी को देश की जनता का जनादेश का बेसब्री से इंतजार था, लेकिन जो परिणाम आए उसने देश के नक्शे पर बढ़ते भगवा के रंग को फीका कर दिया.
असम और कुछ हद तक पुडुचेरी राज्य को अगर हम छोड़ दें तो बंगाल, तमिलनाडु, केरल और उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव के परिणामों ने भाजपा के भगवा एजेंडे की लहर को ‘कमजोर‘ कर दिया है. इसका असर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह के साथ पार्टी के ‘फायर ब्रांड‘ नेता और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सीधे तौर पर देखा जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी ने पश्चिम बंगाल और केरल में भी कई चुनावी रैली की थी. बंगाल के नतीजों ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा हाईकमान ‘मंथन‘ करने में लगा हुआ है. वहीं यूपी पंचायत चुनाव के अब तक घोषित हुए परिणामों ने अगले लगभग 9 महीने के अंदर होने वाले विधानसभा चुनाव में सीएम योगी के लिए ‘खतरे की घंटी‘ जरूर बजा दी है.
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आज हम बात करेंगे कोरोना के महासंकटकाल में उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव की, यह चुनाव सत्ताधारी बीजेपी के साथ-साथ विपक्षी समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस के लिए भी अहम थे. हालांकि जिला पंचायत की तीन हजार से ज्यादा सीटों के नतीजों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन उसे समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर मिली है. वहीं वेस्ट यूपी में राष्ट्रीय लोक दल ने बढ़त बनाई. यही नहीं इन पंचायत चुनाव के सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे बीजेपी की राजनीति के केन्द्र अयोध्या, वाराणसी और मथुरा के रहे जहां बीजेपी हार गई है.
कोरोना के कहर और किसानों के आंदोलनों के बीच यूपी में हुए पंचायत चुनाव ने बीजेपी को ‘चेतावनी‘ दे दी है. दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को बिना किसी तैयारियों के पंचायत चुनाव ने ‘बड़ा नेता‘ बना दिया है. भारतीय जनता पार्टी अपने गढ़ में ही ढेर हो गई. पंचायत चुनाव में झटका लगने से बीजेपी कैंप में दिल्ली तक चिंता बढ़ गई है. इसका कारण है कि ये पंचायत चुनाव अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखे जा रहे थे. आपको बता दें, पंचायत चुनाव में योगी आदित्यनाथ को अपने ही गढ़ गोरखपुर में अखिलेश यादव की सपा से कड़ी टक्कर मिली. यही नहीं कई जिलों में मायावती की बसपा ने भी शानदार प्रदर्शन किया है. चार पदों के लिए हुए इस पंचायत चुनाव के अभी तक आए नतीजों में बिना तैयारियों के सपा पास होती दिख रही है. अयोध्या, वाराणसी, लखनऊ जैसे जिलों में अखिलेश यादव की पार्टी ने भाजपा को पछाड़ दिया है. हालांकि, अभी पूरे नतीजे घोषित नहीं किए गए हैं, फिर भी मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी खेमे में इन चुनाव नतीजों के बाद जश्न छाया हुआ है.
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अयोध्या, वाराणसी और मथुरा में भाजपा का नहीं चला भगवा कार्ड
पिछले वर्ष अयोध्या में हुए राम मंदिर शिलान्यास के बाद योगी सरकार इस मुद्दे को विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से बनाने की तैयारी कर रही थी, लेकिन पंचायत चुनाव के बाद राम नगरी अयोध्या ने योगी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. बता दें कि यूपी की योगी सरकार अयोध्या को अपने बेहतर कामकाज का आईना बताती रही है. यहीं से उसका ‘हिंदुत्व का भी एजेंडा चलता है‘. दीवाली पर राम नगरी में लाखों दीए जलाने की परंपरा योगी सरकार ने ही शुरू की है. उसके बाद अयोध्या नगरी में इन पंचायत चुनाव में भाजपा को ‘नापसंद‘ कर दिया है. यहां जिला पंचायत सदस्य की 40 में से 24 सीटों पर सपा ने कब्जा जमाया है. भाजपा के खाते में सिर्फ 6 सीटें आई हैं. मायावती की बसपा ने 5 सीट पर जीत हासिल की है.
ऐसे ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जिला पंचायत सदस्य की 40 सीटों पर बीजेपी के सिर्फ 8 उम्मीदवार जीते हैं और सपा ने 14 पदों पर अपना कब्जा जमाया है. इसके अलावा निर्दलीय 1, अपना दल 1, बसपा 1, आम आदमी पार्टी 1 सीट जाती है. बची हुई सीटों पर वोटों की गिनती जारी है. मथुरा में बसपा ने 12 उम्मीदवारों के जीतने का दावा किया है. जबकि भाजपा के खाते में 9 सीट और समाजवादी पार्टी को एक सीट से काम चलाना पड़ा है. 3 निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं. सबसे बड़ी बात यहां कांग्रेस का तो सूपड़ा साफ हो गया है.
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इसी प्रकार रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र और राजधानी लखनऊ में जिला पंचायत की 25 सीटों के परिणाम आ चुके हैं. इनमें बीजेपी को 3, सपा को 10, बसपा को 4 और अन्य को मिली 8 सीटों पर जीत मिली है. योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच कांटे का मुकाबला रहा है. गोरखपुर में कुल 68 जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 868 उम्मीदवार मैदान में किस्मत आजमा रहे थे. अभी तक के जिला पंचायत के चुनावी नतीजे में सपा और बीजेपी से कहीं ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. जिसमें निर्दलीयों की भूमिका काफी अहम होगी.
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दूसरी ओर पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाली अजीत सिंह की पार्टी रालोद का जनाधार इन पंचायत चुनाव में एक बार फिर लौट आया है. आज देर शाम तक उत्तर प्रदेश पंचायत के सभी नतीजे घोषित की जा सकते हैं. यहां हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, प्रधान और ग्राम पंचायत वार्ड सदस्य पदों के 12 लाख 89 हजार 930 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है.