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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ईवीएम और वीवीपैट के मिलान का दायरा बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को आदेश दिया है कि लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सभी विधानसभाओं के पांच बूथों पर ईवीएम और वीवीपैट का मिलान किया जाए। इससे पहले हर विधानसभा के एक पोलिंग बूथ पर ही पर्चियों का मिलान होता था। इस व्यवस्था के खिलाफ 21 विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इससे पहले तक सभी विधानसभा क्षेत्रों के केवल एक पोलिंग बूथ पर ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों का मिलान होता रहा है.

इससे पहले चन्द्रबाबू नायडू के अलावा शरद पवार, केसी वेणुगोपाल, डेरेक ऑब्रान, अखिलेश यादव, सतीश चंद्र मिश्रा, एमके स्टालिन, टीके रंगराजन, मनोज कुमार झा, फारुख अब्दुल्ला, एस एस रेड्डी, कुमार दानिश अली, अजीत सिंह, मोहम्मद बदरुद्दीन अजमल, जीतन राम मांझी, प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याचिका में लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले 50 फीसदी ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करने की मांग गई थी.

इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से 25 मार्च को जवाब मांगा था. चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा कि ‘वीवीपैट की पर्चियों के मिलान का वर्तमान तरीका सबसे उपयुक्त है. हर विधानसभा क्षेत्र में 50 फ़ीसदी ईवीएम के वोटों की गणना वीवीपैट पर्चियों से करने में लोकसभा चुनाव के नतीजे पांच दिन की देरी से आएंगे. कई विधानसभा क्षेत्रों में 400 पोलिंग बूथ है. जिनके वीवीपैट पर्ची से मिलान करने में आठ से नौ दिनों का वक़्त लग सकता है.’ बता दें कि 11 अप्रैल से देश में लोकसभा चुनाव शुरू हो रहे हैं. कुल 543 सीटों पर होने वाले चुनाव सात चरणों में संपन्न होंगे.

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