सुप्रीम कोर्ट- हमें न बताइए कि विकास दुबे क्या था, वकील बोले- जांच हुई तो टूटेगा पुलिस का मनोबल

याचिकाकर्ताओं की याचिका पर हुई सुनवाई में सीजेआई ने जांच कमेटी के पुर्नगठन को दिया आदेश, बुधवार को योगी सरकार अदालत को सौंपेगी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन, उसके बाद होगी सुनवाई, कोर्ट ने सिस्टम की नाकाम होने की बात भी कही

Vikas Dubey
Vikas Dubey

PoliTalks.News. हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले की सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान सीजेआई एसएस बोबड़े सॉलिसिटर पर खीज उठे. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी की तरफ से हरीश साल्वे और प्रदेश सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों को सुनकर कहा कि हमें न बताइए कि विकास दुबे क्या था? चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि हैदराबाद एनकाउंटर और विकास दुबे के मामले में बड़ा अंतर है. साथ ही विकास दुबे के क्राइम रिकॉर्ड को देखकर हैरानी भी जताई. अदालत ने कहा कि इतने मामलों वाला व्यक्ति जमानत पर रिहा कैसे हो रहा है.

कोर्ट ने सॉलिसिटर को सभी आदेशों की एक सटीक रिपोर्ट देने के निर्देश देते हुए कहा कि यह सिस्टम की नाकामी दिखाता है. इस पर हरीश साल्वे ने कहा कि जांच हुई तो पुलिस का मनोबल टूटेगा. जिस पर चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि कानून का शासन हो तो पुलिस कभी हतोत्साहित होगी ही नहीं. अदालत ने विकास दुबे एनकाउंट जांच कमेटी के पुनर्गठन की बात भी कही है.

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कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी विकास दुबे 10 जुलाई को कानुपर के पास एक एनकाउंट में मारा गया था. इस मुठभेड़ पर तमाम सवाल उठे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका लगाई गई. उस संबंध में सोमवार को हुई सुनवाई में यूपी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि मुठभेड़ सही थी. वो पैरोल पर था और हिरासत से भागने की कोशिश की. तुषार मेहता की इस दलील के बाद सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि विकास दुबे के खिलाफ मुकदमे के बारे में बताएं. आपने अपने जवाब में कहा है कि तेलंगाना में हुई मुठभेड़ और इसमें अंतर है, लेकिन आप कानून के राज को लेकर ज़रूर सतर्क होंगे. आपने रिटायर्ड जज की अगुआई में जांच भी शुरू की है. प्रशांत भूषण ने भी पीयूसीएल की ओर से मुठभेड़ पर सवाल उठाए हैं.

सीजेआई ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि हैरानी की बात है कि इतने केस में शामिल शख्स बेल पर था और उसके बाद ये सब हुआ. कोर्ट ने इस पूरे मामले पर तफ्सील से रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि ये सिस्टम का फेल्योर दिखाता है. कोर्ट ने कहा कि इससे सिर्फ एक घटना दांव पर नहीं है, बल्कि पूरा सिस्टम दांव पर है. वहीं, यूपी सरकार जांच कमेटी के पुनर्गठन पर सहमत हो गई है.

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चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि विकास दुबे के एनकाउंटर की तुलना हैदराबाद के रेप आरोपियों के एनकाउंटर से नहीं की जा सकती. हैदराबाद एनकाउंटर और विकास दुबे के मामले में बड़ा अंतर है. वे एक महिला के बलात्कारी एवं हत्यारे थे लेकिन विकास दुबे और उसके सहयोगी पुलिसकर्मियों के हत्यारे थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून का शासन कायम करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. गिरफ्तारी, ट्रायल और फिर अदालत से सजा, यही न्यायिक प्रकिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केस की जांच के लिए जांच कमेटी के पुनर्गठन का आदेश दिया जिसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को शामिल किया जाएगा. यूपी सरकार जांच कमेटी के पुनर्गठन पर सहमत भी हो गई है.

इसके अलावा संजय पारिख ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के मीडिया में आए बयानों से भी साफ है कि मुठभेड़ स्वाभाविक नहीं थी. इस पर सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बयानों को भी देखा जाए. अगर उन्होंने कोई ऐसा बयान दिया है और उसके बाद कुछ हुआ है तो इस मामले को भी देखना चाहिए.

बता दें, विकास दुबे ने कथित तौर पर उज्जैन के महाकाल मंदिर में सरेंडर किया था लेकिन विकास दुबे को न तो कोर्ट में पेश किया गया और न ही कोई अन्य कार्रवाई हुई. एमपी पुलिस ने विकास को सीधे यूपी पुलिस को सौंप दिया. कानपुर लौटते हुए पुलिस की गाड़ी पलट गई और विकास ने पुलिस की पिस्टल लेकर भागने की कोशिश की. जवाबी फायरिंग में विकास दुबे मारा गया. हालांकि इस कहानी में काफी पेंच हैं जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई.

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याचिकाकर्ता ने कहा कि न्यायिक आयोग के गठन को अवैध बताते हुए कहा कि सरकार ने इसके लिए विधानसभा की मंजूरी नहीं ली न ही अध्यादेश पारित किया है. जस्टिस शशिकांत अग्रवाल हाईकोर्ट के रिटायर जज नहीं हैं. उन्होंने विवादास्पद हालात में अपने पद से इस्तीफा दिया था. पुलिस ने 16 साल के प्रभात मिश्रा का भी एनकाउंटर कर दिया. आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने बदला लेने के लिए गैंगवार जैसा रवैया अपनाया.

याचिकार्ताओ ने एनकाउंटर को लेकर दिए बयानों का हवाला दिया है और इसके आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये पहलू भी देखा जाए कि सीएम, डिप्टी सीएम जैसे लोगों ने क्या बयान दिए? क्या उनके कहे मुताबिक, वैसा ही पुलिस ने भी किया? मामले में एनकाउंटर मामले की जांच के लिए बनाई गई कमेटी दोबारा बनाई जाएगी और बुधवार को राज्य सरकार ड्राफ्ट नोटिफिकेशन कोर्ट को सौंपेगी. इसके बाद कोर्ट उसे देखकर पास करेगा.

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