विशेष रिपोर्ट: राजस्थान की राजनीति में भावी बदलाव का संकेत दे रहा कटारिया को राज्यपाल बनना

गहलोत सरकार को कई बार उसकी नीतियों पर जोरदार तरीके से घेरने का काम कर चुके राजस्थान बीजेपी में वरिष्ठ नेता एवं विस में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को चलते बजट सत्र में चुनावों से ठीक पहले प्रदेश की राजनीति से दूर करने का फैसला कितना सही?

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Gulabchand Kataria became the Governor of Assam: राजस्थान बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है. 79 वर्षीय कटारिया बीजेपी से 8 बार के विधायक रहे हैं. कटारिया पिछले 40 साल बीजेपी में सक्रिय हैं. गृह जिला उदयपुर से संबंध रखने वाले गुलाबचंद कटारिया लोकसभा में भी उदयपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है. हालांकि कटारिया की नियुक्ति से राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हुआ है लेकिन पॉलिटिकल एक्सपर्ट का मानना है कि गुलाबचंद कटारिया जैसे वरिष्ठ, कद्दावर और प्रभावी नेता को राजस्थान से दूर करते हुए भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की राजनीति में भावी बदलाव का संकेत दे रही है. माना ये भी जा रहा है कि नए नेता प्रतिपक्ष के नाम के साथ ही आगामी विस चुनावों में बीजेपी के भावी मुख्यमंत्री दावेदार का चेहरा भी सामने आ सकता है.

राजस्थान बीजेपी में वरिष्ठ नेता एवं विस में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया वर्तमान सरकार को कई बार उनकी नीतियों पर जोरदार तरीके से घेरने का काम कर चुके हैं. हाल में गलत बजट की कॉपी पढ़ने पर भी कटारिया ने विस में जमकर हंगामा किया था. चूंकि यह चुनावी साल है और आगामी 8-10 महीनों में प्रदेश में विस चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी के मन में ये सवाल कोंध रहा है कि क्या गुलाबचंद कटारिया जैसे वरिष्ठ एवं दिग्गज नेता को प्रदेश की राजनीति से हटाना सही फैसला है?

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इसका जवाब है ‘हां’ क्योंकि इस बदलाव के बहाने भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में बदलाव की शुरूआत करने जा रही है. यहां से संकेत मिल रहे हैं कि अब बीजेपी को कटारिया की जगह नई लीडरशिप मिलने जा रही है. कहने का मतलब ये है कि बीजेपी में उम्रदराज नेताओं को सम्मानित तरीके से मार्गदर्शक मंडल में भेजने की शुरुआत मान रहे हैं. कटारिया को प्रदेश की राजनीति से दूर करने का स्पष्ट संकेत है कि अब उम्रदराज नेता मार्गदर्शक मंडल में बैठेंगे और सक्रिय राजनीति में नई पीढ़ी के नेता आएंगे. गुजरात और हिमाचल में ऐसा होते हुए देखा जा चुका है. हिमाचल में वरिष्ठ नेता एवं दो बार के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह धूमल को इस बार विस में टिकट न देकर स्थानीय राजनीति से दूर किया गया था. गुजरात में भी सीएम रह चुके वरिष्ठ नेता विजय रूपाणी की जगह किसी अन्य को टिकट थमाया गया था.

अब गुलाबचंद कटारिया के बहाने वरिष्ठ नेताओं को यह साफ मैसेज दिया गया है कि अब टिकटों से लेकर उन्हें सक्रिय राजनीति में जगह खाली करनी होगी. इस लिस्ट में अगला नाम वर्तमान प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठतम विधायक कैलाश चंद्र मेघवाल का हो सकता है. मेघवाल पूर्व राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष और वर्तमान में भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं. वे राजस्थान सरकार में अनेक बार मंत्री पद पर रह चुके हैं. ऐसे में अब 88 वर्षीय मेघवाल को अब मार्गदर्शक मंडल में बैठाना निश्चित है.

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जयपुर की मालवीय नगर विधानसभा से बीजेपी के विधायक कालीचरण सर्राफ (71) भी इस सूची में आ सकते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेत्री अर्चना शर्मा के सामने कालीचरण सर्राफ को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था और दोनों के बीच जीत का अंतर केवल दो हजार वोटों का रहा. इसी तरह कई अन्य बीजेपी के नेता जो कि कटारिया वाली पीढ़ी में शामिल हैं, उनमें से अधिकांश को प्रदेश की सक्रिय राजनीति से सियासी संन्यास पर भेजा जा सकता है.

बीजेपी में अभी केंद्रीय हाईकमान बहुत मजबूत है. नए नेता प्रतिपक्ष से लेकर अगले विधानसभा चुनावों में चेहरे तक पर फैसला वहीं से होगा. ऐसे में बीजेपी के इस तरह के कठिन फैसले का विरोध करने की हिम्मत उम्रदराज नेताओं में नहीं है. पिछले विधानसभा चुनाव में कद्दावर नेता ज्ञानचंद आहूजा और बीजेपी में फिर से वापसी करने वाले घनश्याम तिवाड़ी को भी प्रदेश की राजनीति से पहले ही दूर किया जा चुका है.

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अगले नेता प्रतिपक्ष से मिलेगा सीएम चेहरे का संकेत!
आपको बता दें कि गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल का चार्ज संभालने से पहले प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ना होगा. चूंकि विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है. ऐसे में इसी सप्ताह में नए नेता प्रतिपक्ष का नाम जल्द तय हो सकता है और इसी से बीजेपी के सीएम चेहरे के संकेत भी स्पष्ट होंगे. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी सक्रियता दिखाते हुए अपना नाम अभी भी मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे रखा है लेकिन प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां और केंद्रीय मंत्री जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी सीएम पद की इच्छा को मन में दबाए बैठे हैं. यूपी की तर्ज पर अलवर सांसद बाबा बालकनाथ का नाम भी रह रह कर मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सामने आ रहा है. लेकिन फिर भी नए नेता प्रतिपक्ष पर आने वाले चेहरे से भावी राजनीति के संकेत मिलेंगे.

हालांकि बीजेपी ने पहले ही ये साफ कर दिया है कि सभी विधानसभा चुनावों में मुख्य चेहरा पीएम मोदी का ही होगा. इससे ये तो साफ है कि बीजेपी राजस्थान में भी मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं करेगी. इसके बावजूद गुलाबचंद कटारिया का ये कहना कि ‘राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे की भूमिका रहनी चाहिए’, के बाद राजे के पास बजट सत्र में टेकओवर लेने का अधिक अवसर बन सकता है. अगर वसुंधरा राजे सदन में लीडरशिप करती हैं तो निश्चित तौर पर राजे ही आगामी चुनावों में बीजेपी की लीडर और मुख्यमंत्री चेहरा होंगे. अगर वर्तमान उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ या राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सतीश पूनियां को सरकार को घेरने की जिम्मेदारी दी जाती है तो यहां से भावी मुख्यमंत्री चेहरे के संकेत मिल सकते हैं.

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