Politalks.News/Rajasthan. मरुधरा की ‘सुलगती सियासत’ में सबसे बड़ा मुद्दा है- मंत्रिमंडल ‘पुनर्गठन’. लेकिन फिलहाल तो ऐसा होता दिख नहीं रहा है. जिन-जिन विधायकों के मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए नाम चले हैं, वे ऑनलाइन मीम और ऑफलाइन मजाक बन गए हैं. सिर्फ जनता ही नहीं सियासी हलकों में भी सीएम गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, भावी मंत्रियों को कटाक्ष झेलने पड़ रहे हैं. सोशल मीडिया पर ऐसी ही कुछ पोस्ट इन दिनों वायरल हैं. पोस्ट इन दिनों वायरल है-
पायलट कैंप के हालात पर एक यूजर उन्हें राम मनोहर लोहिया जी की एक बात याद दिलाते हैं. ‘जिंदा कोमैं कभी 5 साल का इंतजार नहीं करती.…आपको अपने हक की लड़ाई को लड़ना है, समाज में हो रहे अत्याचार को रोकना है, तो आपको उसके खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा, और अभी एक बहुत सुनहरा मौका है.
मंत्रिमंडल पुनर्गठन पर तंज कसते हुए एक यूजर ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि ‘राजस्थान कांग्रेस का गृहक्लेश- मंत्रिमंडल पुनर्गठन की हसरतें हुई धुआं-धुआं…!. एक यूजर ने पायलट की असाधारण चुप्पी पर और राजस्थान के हालात पर लिखा है कि, ‘सचिन पायलट अब मौन तोड़ दीजिए और विश्वास कीजिए हम व्यंग्य नहीं कर रहे, आपको सुनना चाहते हैं’.
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सीएम गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के झगड़े को नासुलझा पाने को लेकर राहुल गांधी के लिए एक यूजर व्यंग्य लिख रहे हैं. सीएम गहलोत और सचिन पायलट के झगड़े को देखते हुए राहुल गांधी ने कहा है कि, ‘घना नाटक करिया तो मुख्यमंत्री पाछी वसुंधरा ने बना दुला, थे हाली जानो कोनी मने मारो नाम पप्पसा छे.
मंत्रिमंडल पुनर्गठन पर वायरल पोस्ट में जो आजकल सबसे ज्यादा चर्चाओं में है. ‘सावो काढ्यो, गीत गाया, समधी नटग्यो सगाई ने. सूट खातर नाप दुआयो, टेलर खाग्यो साई न’. इसका अर्थ है कि शादी के लिए मुहुर्त निकलवा लिया, गीत गाए गए, लेकिन समधी ने सगाई से ही इनकार कर दिया. सूट सिलवाने के लिए नाप दिलवाया, लेकिन एडवांस दिया पैसा अब टेलर ने जब्त कर लिया है. सोशल मीडिया पर मंत्रिमंडल पुनर्गठन को लेकर कहा जा रहा है कि ये तो राजस्थान की ‘सियासी पनौती’ बन गया है.
एक यूजर ने मंत्रिमंडल पुनर्गठन और पायलट कैंप के हालात लिखा है कि, ‘समधी नटग्यो ब्याव न, दुसरो समधी तैयार बैठ्यो, हां कर भा की ढील है, नहीं नकटा और ढीठ बणर पड्या रह्यो’, इसका अर्थ है कि जब समधी ने शादी के लिए मना कर दिया है, तो दूसरा समधी तैयार बैठा है. बस आप हां करो बस, वरना नालायकों की तरह निष्ठुर होकर बैठ रहो..
एक अन्य यूजर ने सीएम गहलोत और पायलट के लिए लिखा है कि, ‘दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुमने, बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं– अशोक गहलोत, इस पर सचिन पायलट का जवाब लिखा है कि, ‘बहुत अजीब हैं ये मोहब्बत करने वाले, बेवफाई करो तो रोते हैं और वफा करो तो रुलाते हैं.’
एक यूजर ने सीएम गहलोत पर निशाना साधते हुए लिखा है कि ‘कांग्रेस में कई दरबारी नेता ऐसे भी हैं जिनकी खुद की वैलिडिटी खत्म हो चुकी है लेकिन वो राजमाता के कान भरकर “पायलट” का लाइसेंस कैंसल कराना चाहते हैं’
बीच बीच में बीजेपी के दिग्गज भी अपने बयानों से सियासी कलह पर तड़का लगाते रहते हैं. बीजेपी के दिग्गज राजेन्द्र राठौड़ ने मंत्रिमंडल पुनर्गठन पर तंज कसते हुए कहा था कि, ‘कई विधायकों की शेरवानी तो टंगी की टंगी ही रह गई’.
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मंत्रिमंडल पुनर्गठन एक यूजर ने लिखा है कि, ‘राजस्थान स्टेट मोटर गैराज में 15 नई सफारी गाड़ी तैयार करवाई गई थी! पर अब सुनने मैं आया है की जो गाड़ी तैयार हुई थी उनको वापस पीछे गैराज में खड़ा करवा दिया गया है!
सोशल मीडिया पर ऐसे ही सैंकड़ों पोस्ट अभी वायरल हो रहे हैं. ये तो एक बानगी भर है. इस खबर का उद्देश्य ये है कि आपको पता लगे कि सोशल मीडिया पर सीएम गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम पायलट के बीच चल रही खींचतान और दिल्ली आलाकमान की कैसे खिंचाई हो रही है.
वैसे राजस्थान में सियासी कलह का अंत ही नहीं हो रहा है. देश में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. पंजाब-उत्तराखंड और असम कांग्रेस का मसला भी सुलझ चुका है. राजस्थान में उपचुनाव और पंचायत राज चुनाव हो चुके. कोरोना की दूसरी लहर लगभग राजस्थान में काबू में है. बीजेपी ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए उत्तराखंड में तीन बार मुख्यमंत्री बदल दिए. कर्नाटक का मुख्यमंत्री बदला जा चुका है. लेकिन राजस्थान के सियासी कलह की सुलटारा नहीं हो पाया है. हालात ये हैं कि राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने तो AICC में बैठना ही बंद कर दिया है. क्योंकि उनसे भी यहीं सवाल पूछा जाता है कि- ‘क्यों हो रही है राजस्थान में इतनी देर, क्यों नहीं बन पा रही है सहमति’. अब इसका जवाब उनके पास तो है नहीं. राजस्थान की राजनीति को जानने वाले दिल्ली के एक पत्रकार का कहना है कि, ‘राजस्थान में कब क्या होगा ये केवल दो लोगों को पता है पहले अशोक गहलोत दूसरी हैं सोनिया गांधी’. जाहिर है मंत्री बनने का इंतजार करने वाले विधायकों के सब्र का बांध टूट रहा है. अब ऐसे में उनका दिन कैसे कटता है, मनोभाव कैसे रहते हैं, इस सबको लेकर सोशल मीडिया पर चुहलबाज सक्रिय हैं.