शिवपाल का बधाई संदेश बना चर्चा का विषय, ‘कंस’ किसको कहा समझ आया लेकिन कौन होगा ‘कृष्ण’?

मेरे यदुवंशी भाइयों और बहनों, आप सभी धरा पर धर्म रक्षक श्रीकृष्ण के ध्वजवाहक हैं, इसलिए हे श्रेष्ठ यदुवंशी वीरों! समाज में धर्म की स्थापना, शांति, सुरक्षा, सद्भाव, समरसता, समन्वय व एकता और लोक कल्याण हेतु मैं आप सभी का करता हूं आह्वान- शिवपाल यादव

शिवपाल का बड़ा सियासी आव्हान
शिवपाल का बड़ा सियासी आव्हान

Politalks.News/UttarPradesh. आज पूरा देश जन्माष्टमी के पावन पर्व पुरे हर्ष और उल्लास के साथ मन रहा है. आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया था. श्री कृष्ण के जीवन का हर प्रसंग, हर कथा, हर बात आज भी प्रत्येक इंसान की जिंदगी के लिए उतनी ही काम की है, जितनी महाभारत या उसके बाद के समय में रही होगी. अब आप सोच रहे होंगे कि सिर्फ और सिर्फ राजनीति की बात करने वाला आपका पॉलिटॉक्स न्यूज़ आज राजनीति से हटकर भक्ति में कैसा आ गया, लेकिन हम अपने पाठकों से कहना चाहेंगे कि इस खबर में जैसे जैसे आप आगे बढ़ेंगे राजनीति नजर आने लगेगी. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर प्रदेश और देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं. वैसे तो नेताओं का तीज-त्योहार पर शुभकामना देना आम है लेकिन जन्माष्टमी के अवसर पर शिवपाल यादव के दिए गये संदेश में एक बड़ा सियासी संदेश छिपा हुआ है. सियासी जानकारों का मानना है कि शिवपाल ने अपने पत्र में कंस का जिक्र कर अपने भतीजे और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर निशाना साधा है.

आपको बता दें, जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हर आम आदमी या राजनेता की तरह प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव ने एक शुभकामना संदेश जारी किया है. लेकिन शिवपाल के इस संदेश के भरपूर सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. इस बधाई संदेश को अखिलेश यादव के खिलाफ शिवपाल का बिगुल माना जा रहा है. शिवपाल यादव ने अपने शुभकामना संदेश में द्वापरयुग में मथुरा के राजा कंस का जिक्र किया है. लेकिन शिवपाल यादव ने वर्तमान के कलियुग में एक और कंस से लड़ने के लिए अपने पत्र के जरिये यदुवंशियों से समर्थन मांगा है. प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने लिखा कि ‘अलौकिक ‘गीता’ के उद्घोषक योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की आप सभी को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं. कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्.’

Shivpal Yadav 01
Shivpal Yadav 01

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शिवपाल यादव ने अपने सन्देश में आगे लिखा कि, ‘सम्पूर्ण विश्व के गुरु भगवान कृष्ण का वंदन है. यदुवंश शिरोमणि भगवान श्रीकृष्ण जगत गुरु हैं. सम्पूर्ण विश्व को गीता का ज्ञान देने वाले शाश्वत सनातन भगवान श्रीकृष्ण सभी यदुवंशजों के साथ-साथ सम्पूर्ण विश्व गौरव हैं. समाज में जब भी कोई ‘कंस’ अपने (पूज्य पिता को छल-बल से अपमानित कर पद से हटाकर अनाधिकृत अधिपत्य स्थापित करता है, तो धर्म की रक्षा के लिए मां यशोदा के लाल ग्वालों के सखा योगेश्वर श्रीकृष्ण अवश्य अवतार लेते हैं और अपने योग माया से अत्याचारियों को दंड देकर धर्म की स्थापना करते हैं.’

इतना ही नहीं शिवपाल ने यादव समुदाय को संबोधित करते हुए आगे लिखा कि आप सभी धरती पर धर्म के रक्षक श्रीकृष्ण के ध्वजवाहक हैं कृष्ण के विराट व्यक्तिव की प्रतिछाया हैं. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर धर्म की रक्षा करना आपका दायित्व व कर्तव्य है. हे, पूज्य जन और श्रेष्ठ यदुवंशी वीरों निःसंदेह प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) भी ईश्वर द्वारा रचित किसी विराट नियति और विधान का परिणाम है. मेरे यदुवंशी भाइयों और बहनों, आप सभी धरा पर धर्म रक्षक श्रीकृष्ण के ध्वजवाहक हैं. आप वीर और कृष्ण के विराट व्यक्तित्व की प्रतिछाया हैं. स्वाभाविक तौर पर ऐसे में धर्म की रक्षा में आपका दायित्व भी महत्वपूर्ण और शाश्वत है. इसलिए हे श्रेष्ठ यदुवंशी वीरों! समाज में धर्म की स्थापना, शांति, सुरक्षा, सद्भाव, समरसता, समन्वय व एकता और लोक कल्याण हेतु मैं आप सभी का आह्वान करता हूं.’

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शिवपाल यादव के इस शुभकामना सन्देश को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि यहा कंस का तो समझा जा सकता है कि किसे कहा है लेकिन वे कृष्ण किसे कह रहे हैं ये साफ़ नहीं हुआ है. कुछ जानकारों का मानना है कि शिवपाल यादव ने अपने इस सन्देश के जरिये सीधे सीधे अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोला है. साथ ही इसे शिवपाल यादव के बगावत के बिगुल के रूप में भी देखा जा रहा है. वहीं यादव समाज से शिवपाल यादव ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) को ईश्वर द्वारा रचित किसी विराट नियति और विधान का परिणाम बताया.

शिवपाल सिंह यादव ने जो कुछ भी पत्र में लिखा है उसे चाचा-भतीजे के बीच का द्वंद बताया जा रहा है. हालांकि शिवपाल ने पत्र में किसी के नाम का जिक्र नहीं किया है, लेकिन जानकार इसके मायने जरूर निकाल रहे हैं. उन्होंने गीता में भगवान कृष्ण के संदेश- यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत. अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम. का उल्लखेख करते हुए अत्याचारियों को दंड देकर धर्म की स्थापना किए जाने की बात कही है. जिस तरह से शिवपाल यादव ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर यादव समुदाय को साथ आने के लिए आह्वान किया है, उससे भविष्य की उनकी सियासी मंशा भी जाहिर हो रही है.

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