Politalks.News/UttarPradesh. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भतीजे अखिलेश यादव के साथ आये प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव अब खुलकर 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. गुरूवार को ‘यदुकुल पुनर्जागरण अभियान‘ के मंच पर प्रदेश के तकरीबन 250 यादव नेताओं के साथ शिवपाल यादव ने अपने प्रतिद्वंदियों को सकते में ला दिया है. सियासी जानकारों का कहना है कि शिवपाल यादव प्रदेश में तीसरे राजनीतिक मोर्चे का रास्ता खोलने की तैयारी कर रहे हैं. शिवपाल यादव फिलहाल उत्तरप्रदेश में यदुवंशियों के सर्वमान्य नेता बनने की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ अलग हो चुके शिवपाल यादव ने अब अखिलेश यादव के खिलाफ खुलकर बगावत का बिगुल फूंक दिया है. शिवपाल यादव ने साफ़ कह दिया है कि वे अब किसी भी कीमत पर सपा के साथ कोई तालमेल नहीं रखना चाहते. हालांकि शिवपाल ने बीजेपी से हाथ मिलाने के सवाल पर चुप्पी साध ली.
यदुकुल पुनर्जागरण अभियान के जरिये शिवपाल यादव मिशन-2024 की तैयारियों में जुट गए हैं. अखिलेश यादव से पूरी तरह अलग होने के बाद अब वह किसी न किसी बहाने सपा के यादव मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं. इस मुहिम से समाजवादी पार्टी को कितना नुकसान होगा और भाजपा को कितना फायदा होगा, यह तो भविष्य की बात है, लेकिन शिवपाल अब अखिलेश विरोधी यादव नेताओं को एक मंच पर लाकर सेंधमारी की कवायद शुरू कर दी है. यही नहीं शिवपाल यादव ने शुक्रवार को तो ये साफ़ कर दिया कि वे अब आगे अखिलेश यादव के साथ कभी नहीं आएंगे. शिवपाल यादव ने शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि, ‘अखिलेश के साथ हमारा जो अनुभव था वो बहुत ही ज्यादा कड़वा रहा. इस दौरान हमें कई बार धोखा मिला.’
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शिवपाल यादव ने आगे कहा कि, ‘पिछले विधानसभा चुनाव में और उससे पहले भी हमने सपा से बेहतर संबंधों की उम्मीद में पांच साल गवां दिए. इस विधानसभा चुनाव में हमारी पार्टी को महज एक सीट मिली जो कि मेरी सबसे बड़ी भूल थी लेकिन हम कर भी क्या सकते थे. क्योंकि हमारा सिंबल जब्त हो चुका था और किस आधार पर हम आगे बढ़ते. लेकिन अब यह बात तय है कि हम आगे अखिलेश यादव और सपा के साथ कोई तालमेल नहीं रखेंगे. हम अब अखिलेश के बारे में बात नहीं करना चाहते.’ वहीं विधानसभा चुनाव में सपा को मिली हार का एक बार फिर जिक्र करते हुए शिवपाल यादव ने कहा कि, ‘अगर अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव के दौरान मेरी बात मानी होती तो आज सपा सरकार चल रही होती.’
प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने आगे कहा कि, विधानसभा चुनाव में हमें अखिलेश यादव ने स्टार प्रचारक तक नहीं बनाया. अगर चुनावी दौरे के लिए हेलीकाप्टर दिया होता तो हमने हर सीट पर सपा को 20000 वोट अतिरिक्त दिला दिया होता. लेकिन अब हम अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत कर रहे हैं, यादव समाज को एकजुट करने का काम भी यदुकुल मिशन के जरिए चलता रहेगा. दोनों काम साथ-साथ होंगे. डीपी यादव सियासी तौर पर भी उनके साथ आ गए हैं. लोकसभा चुनाव से पहले हम लोग सभी सीटों पर निकाय चुनाव लड़ेंगे. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 48 सीट पर लड़े थे लेकिन इस बार उससे ज्यादा ही लड़ेंगे.’ वहीं बीजेपी के साथ जुड़ने से जुड़े सवाल को शिवपाल यादव टाल गए. उन्होंने कहा कि, ‘अभी कुछ कहा नहीं जा सकता आगे जो भी फैसला होगा वो हम जरूर बताएंगे.’
शिवपाल यादव से जब सवाल पूछा गया कि ‘क्या यह सपा विरोधी नेताओं का यह जमावड़ा है तो उन्होंने कहा कि हम लोग किसी को टारगेट करने के लिए नहीं हैं.’ यहां हम आपको बता दें कि असल में शिवपाल यादव अब अपने मिशन को श्रीकृष्ण के नाम से जोड़ रहे हैं. नए मिशन का ऐलान के वक्त बड़े से बैनर पर एक ओर श्रीकृष्ण का चित्र तो दूसरी ओर शिवपाल व डीपी यादव का चित्र संकेत दे रहे थे कि अब यदुवंश की सियासी दावेदारी के लिए सपा से संघर्ष तेज होगा. सबसे बड़ी बात यह कि सेना में अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग उठा कर उन्होंने यह संकेत देने की कोशिश की है कि सपा को इनसे कोई वास्ता नहीं. अब यादव वर्ग में चाचा भतीजे में किस ओर ज्यादा झुकाव होगा और भाजपा इसमें अपने यादव नेताओं के जरिए कितना असर बना पाती है, इसी से तय होगा कि यादव बेल्ट की विरासत अगले चुनाव में तय होगी.