पॉलिटॉक्स ब्यूरो. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान अहमदाबाद का दौरा करने वाले हैं. इस यात्रा को ‘नमस्ते ट्रंप’ नाम दिया गया है. इसे लेकर शिवसेना ने केंद्र की बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में बदहाली छिपाने के लिए दीवार खींचने और ट्रंप के तीन घंटे के कार्यक्रम में 100 करोड़ रुपये खर्च करने को लेकर सवाल उठाया है. अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की यह पहली भारत यात्रा है. वे अपनी पत्नी मेलानिया ट्रंप के साथ 24-25 फरवरी को भारत के दौरे पर आ रहे हैं.
बता दें, गुजरात का अहमदाबाद नगर निगम इंदिरा ब्रिज से सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट को जोड़ने वाली रोड के किनारे बसी झुग्गी-झोपड़ियों के आगे बड़ी दीवार बना रहा है. माना जा रहा है कि यह दीवार इसलिए बनाई जा रही है कि ताकि भारत दौरे पर आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नजर इस पर ना पड़े.
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इस पर सवाल उठाते हुए शिवसेना ने आने मुखपत्र सामना में लिखा कि, ‘पीएम नरेंद्र मोदी 15 सालों तक गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री और अब पांच सालों से पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं फिर भी गुजरात की गरीबी और बदहाली छिपाने के लिए दीवार खड़ी करने की नौबत क्यों आई? पहले ‘गरीबी हटाओ’ की घोषणा को लेकर काफी उपहास उड़ा था. उसी घोषणा का रूपांतरण अब ‘गरीबी छुपाओ’ इस योजना में हुआ दिख रहा है. नए वित्तीय बजट में उसके लिए अलग से आर्थिक प्रावधान किए गए हैं क्या? पूरे देश में ऐसी दीवारें खड़ी करने के लिए अमेरिका, हिंदुस्तान को कर्ज देगा क्या?’
कार्यक्रम में 100 करोड़ रुपये खर्च पर आपत्ति उठाते हुए शिवसेना ने कहा, ‘गुलाम हिंदुस्तान में इंग्लैंड के राजा या रानी आते थे, तब उनके स्वागत की ऐसी ही तैयारी होती थी और जनता की तिजोरी से बड़ा खर्च किया जाता था. मिस्टर ट्रंप के बारे में भी यही हो रहा है. अपने ‘गुलाम’ मानसिकता के लक्षण इस तैयारी से दिख रहे हैं. ट्रंप केवल तीन घंटों के दौरे पर आ रहे हैं और उनके लिए 100 करोड़ रुपया सरकारी तिजोरी से खर्च हो रहा है.’
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सामना में ये भी कहा गया कि ट्रंप कोई बड़े बुद्धिजीवी, प्रशासक, दुनिया का कल्याण करने वाले विचारक हैं क्या? निश्चित ही नहीं लेकिन सत्ता पर बैठे व्यक्ति के पास होशियारी की गंगोत्री है. यह मानकर ही दुनिया में व्यवहार करना पड़ता है. सत्ता के सामने होशियारी चलती नहीं बाबा! मौका पड़े तो गधे को भी बाप कहना पड़ता है. यही दुनिया की रीत है.’