महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते पांच सालों में प्रदेश की राजनीति में कई बार तुफान आया है. चूंकि अब चुनावी माहौल है तो राजनीति की गर्म आधियां राजनीतिक गलियारों केा झंझोड़ कर रख रही हैं. इसी बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक चला है, जिससे एनसीपी सुप्रीमो और शरद पवार के भजीते अजित पवार की नींदें उड़ गयी हैं. एनसीपी एसपी के नेता शरद पवार से सीधे कनेक्ट हैं. ऐसे में उनका यह मास्टर कार्ड तगड़ा फेरबदल कर सकता है.
दरअसल शरद पवार ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए राजनीति से संन्यास के संकेत दिए हैं. 84 साल के शरद पवार ने अपने राजनीतिक गढ़ बारामती में यह बात कहते हुए सभी को चौंका दिया. पवार ने कहा, ‘कहीं तो रुकना ही पड़ेगा. मुझे अब चुनाव नहीं लड़ना है. अब नए लोगों को आगे आना चाहिए. मैंने अभी तक 14 बार चुनाव लड़ा है. अब मुझे सत्ता नहीं चाहिए. मैं समाज के लिए काम करना चाहता हूं. विचार करूंगा कि राज्यसभा जाना है या नहीं.’ अब तक शरद पवार सक्रिय राजनीति में रहे हैं. ऐसे में उनका यह फैसला आगामी विधानसभा चुनावों में ‘खेला’ कर सकता है.
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इससे पहले भी एनसीपी के कार्यकर्ताओं में जोश फूंकने के लिए शरद पवार ने इमोशनल कार्ड खेला था. पार्टी की राष्ट्रीय मान्यता छिनने के बाद 2 मई, 2023 को मुंबई के वाईबी चव्हाण सेंटर में शरद पवार ने पार्टी के अध्यक्ष पद को छोड़ने की बात कह दी थी. शरद पवार के इतना कहते ही NCP के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, जितेंद्र आव्हाड जैसे सीनियर नेता भावुक हो गए. वाईबी चव्हाण सेंटर में ही नेता और कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए. करीब एक महीने बाद 10 जून को शरद पवार ने बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का नया कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया. शरद के इस फैसले से अजित पवार नाराज हो गए और पार्टी में टूट करके सत्ताधारी शिवसेना-बीजेपी से हाथ मिला लिया और एनसीपी पर अपना हक होने का दावा कर दिया.
इसके बाद कुछ एक विधायकों को लेकर शरद पवार ने फिर से टूटी हुई पार्टी को खड़ा किया और एक बार फिर पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली. कहते हैं कि शेर कभी बूढ़ा नहीं होता लेकिन अगर घायल हो तो ज्यादा खतरनाक होता है. जिंदगी के 84 बसंत देख चुके शरद पवार ने आधी अधूरी पार्टी के साथ जो किया, वो सभी बीते आम चुनाव में देख चुके हैं जहां उन्होंने न केवल महायुति को, बल्कि अपने भतीजे अजित पवार को धूल चटाई है. यहां तक की अजित पवार ने बारामति में अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में खड़ा कर अपनी ही बहिन एवं शरद पवार की बेटी सुप्रिया सूले को हराने की पुरजोर कोशिश की लेकिन शरद पवार के सामने उनका कद छोटा ही रह गया. बरसते हुए पानी में भीगते हुए ‘घायल शेर’ का वो भाषण भी कोई भूल सकता है भला, जहां तेज बारिश में शरद पवार को सुनने जनता भी पानी से तर हो गयी थी. ये जुड़ाव शरद पवार का ही जादू है.
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यह तो सर्वविदित है कि इस बार महाराष्ट्र में चुनावी फाइट महायुति बनाम महाविकास अघाड़ी के बीच है लेकिन यह लड़ाई सत्ता से ज्यादा बदले और आत्मसम्मान की है. यह लड़ाई अपनों की अपनों के बीच की है. यह लड़ाई शिवसेना बनाम शिवसेना और एनसीपी बनाम एनसीपी के बीच की है. अब देखना ये होगा कि चुनावी जंग में शरद पवार का ये इमोशनल कार्ड अजित पवार की एनसीपी में कितनी तोड़ फोड़ मचाता है.