rajasthan by elections 2024
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राजस्थान में सात सीटों पर विधानसभा उप चुनाव होने जा रहा है. मतदान 13 नवंबर को है, उसके बाद प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम मशीनों में कैद हो जाएगा. वोटिंग में केवल 10 दिन का वक्त शेष है लेकिन त्योहारी सीजन होने की वजह से फिलहाल चुनावी रंगत नजर नहीं आ रही है. हालांकि 4 नंंवबर से चुनावी माहौल गरमाने की पूरी पूरी उम्मीद है. सात सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों में कुल 69 प्रत्याशी मैदान में हैं. इन सातों सीटों के प्रमुख दावेदारों की बात की जाए तो इनमें से पांच सीटों पर त्रिकोणीय और दो पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर देखने को मिल रही है.

प्रदेश की झुंझुनू, खींवसर, देवली उनियारा, चौरासी और सलूंबर की सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के साथ अन्य पार्टियों का दावा भी मजबूत है. इन सभी विस सीटों पर त्रिकोणीय द्वंद्व होना तय है. दौसा और रामगढ़ में भारतीय जनता पार्टी बनाम कांग्रेस में आमने सामने की जंग है. आइए जानते हैं कि उप चुनाव में 7 सीटों के सियासी समीकरण कैसे हैं..

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झुंझुनू: दोनों खेमों में सेंधमारी में जुटे निर्दलीय गुढ़ा

पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके राजेन्द्र सिंह गुढ़ा झुंझुनू से निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं. कांग्रेस ने सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला तथा बीजेपी ने राजेंद्र भांबू को टिकट दिया है. गुढ़ा इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी सहित दोनों के खेमों में सेंधमारी कर सकते हैं. बीजेपी के परंपरागत राजपूत वोट से लेकर कांग्रेस के मुस्लिम और एससी वोटरों पर इनकी नजर है. बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस छोड़ शिवसेना की ओट लेने वाले गुढ़ा को मुंह की खानी पड़ी थी. हालांकि इस बार भी उनकी स्थिति इतनी अच्छी नहीं बताई जा रही है लेकिन वोट कटवा स्थिति पैदा करने के बाद पलड़ा किसी भी ओर भारी पड़ सकता है.

खींवसर: दांव पर लगी है बेनीवाल की साख 

आरएलपी की गढ़ मानी जाने वाली खींवसर विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. नागौर से आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल ने यहां से इस बार अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को टिकट दिया है. अपनी साख बचाने के लिए बेनीवाल जमकर पसीना बहा रहे हैं. पिछली बार इस सीट पर जब उप चुनाव हुआ था, बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल महज दो हजार वोटों से जीत पाए थे. ऐसे में कनिका बेनीवाल के साथ यह चुनाव इस बार हनुमान बेनीवाल की साख से जुड़ गया है इसलिए यहां मुकाबला रोचक होगा. कांग्रेस से रतन चौधरी चुनाव मैदान में है, वहीं बीजेपी की ओर से रेवंतराम डांगा चुनाव में उतर गए हैं. डांगा का गत विधानसभा चुनाव में बेनीवाल से सीधा मुकाबला था. कड़े संघर्ष में बेनीवाल को जीत जरूर मिली लेकिन हार जीत का अंतर केवल 2049 वोट ही रहा था.

देवली-उनियारा: नरेश को आरएलपी, बीएपी का समर्थन

इस सीट पर कांग्रेस बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस बागी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नरेश मीणा ने नामांकन वापस नहीं लेकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. कांग्रेस से केसी मीणा व बीजेपी से राजेंद्र गुर्जर चुनाव मैदान में डटे हुए हैं. मीणा को यहां आरएलपी और भारत आदिवासी पार्टी (बाप) दोनों पार्टियों का समर्थन मिल रहा है.

सलूंबर: सहानुभूति की आस में बीजेपी

विधायक अमृत लाल मीणा के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर बीजेपी ने उनकी पत्नी शांता देवी मीणा अपना प्रत्याशी घोषित किया है. बीजेपी को उम्मीद है कि सहानुभूति की लहर का फायदा उन्हें मिलेगा. कांग्रेस ने रेशमा मीणा को अपना उम्मीद्वार बनाया है. वहीं बाप के चुनावी मैदान में डटे रहने से इस सीट पर भी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. बाप ने पिछले विधानसभा चुनावों में भी यहां अपनी उपस्थिति जोरदार तरीके से दर्ज करवाई थी इसलिए इस सीट पर मुकाबला टक्कर का होगा.

चौरासी: बाप, बीजेपी और कांग्रेस में टक्कर

लोकसभा में यहां बाप ने कांग्रेस से गठबंधन किया था. लेकिन इस बार गठबंधन नहीं होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. आदिवासी बाहुल्स इस सीट पर पार्टी की ओर से अनिल कटारा, कांग्रेस ने महेश रोत व बीजेपी ने कारीलाल निनामा प्रत्याशी घोषित किया है. पिछले चुनाव में बीएपी के राजकुमार रोत ने बड़े अंतर से चुनाव जीता था. रोत फिलहाल लोकसभा में सांसद हैं.

रामगढ़: दौसा में आमने-सामने की टक्कर

रामगढ़ और दौसा विस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच आमने-सामने की टक्कर है. रामगढ़ विधानसभा सीट पर नाराज नेताओं को मनाकर बीजेपी सीधे मुकाबले के लिए तैयार है. इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी आर्यन जुबेर खान तो बीजेपी के सुखवंत सिंह मैदान में हैं.  दौसा सीट पर मजबूत बागी उम्मीदवार मैदान में नहीं होने से मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच दिखाई दे रहा है. बीजेपी की ओर से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा और कांग्रेस प्रत्याशी डीडी मीणा के बीच मुकाबला है. यहां किरोडी की साख दांव पर लगी है.

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