Maharashtra Election: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की रणभेरी बच चुकी है. जाजम तैयार है और अब चुनावी लाउड स्पीकर्स के मुख खुल चुके हैं. 288 विधानसभा सीटों पर सात हजार के करीब उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाने के लिए मैदान उतर गए हैं. सीधा मुकाबला महायुति बनाम महाविकास अघाड़ी के बीच होना तय है. बीच में महाराष्ट्र नवनिर्माण पार्टी सहित अन्य पार्टियां दोनों का खेल बिगाड़ शॉर्ट कट लेने की फिराक में भी तैयार हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव के बीच एक सवाल जो सबसे बड़ा है वो है कि आखिर कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा? अब वो महायुति से होगा या फिर एमवीए से, वो बात अलग है लेकिन दोनों ही दलों में इसके जवाब को लेकर खींचतान चल रही है.
सत्ताधारी महायुति में फिलहाल सत्ता की बागड़ौर शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के हाथों में है. महज़ 30-40 विधायकों के दम पर उन्होंने बीजेपी से हाथ मिला न केवल सरकार बना ली, बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बन बैठे. इतना ही नहीं, सत्ता के लालच में बीजेपी ने भी अपने दो बार के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम तक बनाना स्वीकार कर लिया. सत्ता के ही लालच में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से दगा कर पार्टी तोड़ ली और इतने ही विधायक लेकर सरकार में जा समाए. खुद फिर एक बार डिप्टी सीएम बन गए. अब तीनों में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं.
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस इस विस चुनाव में जमकर पसीना बहाने को तैयार हैं. आंतरिक तौर पर वे सभी फिल्डिंग सेट कर चुके हैं. बीजेपी सवा सौ से अधिक सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है. 10 से 15 सीटें सहयोगी पार्टियों को दी गयी है. शिवसेना और एनसीपी बराबर सीटों पर चुनावी मैदान में है. साउथ मुंबई की वर्ली सीट पर आदित्य ठाकरे के सामने उतरे शिवसेना के राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा ने तो कहा भी है कि अगले सीएम एकनाथ शिंदे ही होंगे. हालांकि इस बार बीजेपी की सीटों के आधार पर ही सीएम फॉर्मूला बनना तय है.
चूंकि एकनाथ शिंदे और अजित पवार के नेतृत्व में क्रमश: शिवसेना और एनसीपी कम सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, जीत के बावजूद शिंदे व पवार का मुख्यमंत्री न बनना तय है. अब सवाल यहां आकर अटकता है कि फिर क्या देवेंद्र फडणवीस को ही महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बनाया जाएगा.
इसी तरह महाविकास अघाड़ी गठबंधन में भी मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अंदरूनी खींचतान चल रही है. शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे एक बार फिर राज्य का सीएम बनने का सपना देख रहे हैं. एक बार राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवसेना का परंपरागत राजनीति ढर्रा उन्हें रास नहीं आएगा. बालासाहेब ठाकरे का विश्वास हमेशा से रिमोट पॉलिटिक्स पर रहा. इसी के भरोसे उन्होंने दो दशक से ज्यादा समय महाराष्ट्र की राजनीति में बिताए. सरकार जिस की भी हो, सत्ता हमेशा उनकी ही चली. इसका असर ये हुआ कि मोदी हो या शरद पवार या सोनिया गांधी, सभी ने उनका सम्मान किया. इसके विपरीत एमवीए में जब सीएम फेस पर सहमति नहीं बन पायी तो उद्धव ठाकरे को मजबूरन आगे आना पड़ा. अब वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
वहीं कांग्रेस और एनसीपी एसपी में भी सीएम फेस को लेकर खींचतान चल रही है. हालांकि तीनों पार्टियों ने मिलकर सीट बंटवारे का फॉर्मूला बराबर सेट किया है. अच्छी बात ये है कि जिसकी सीटें ज्यादा होंगी, राय सहमति से यहां सीएम उसी पार्टी का बनना तय है. 5-7 सीटों का अंतर रहा तो उद्धव ठाकरे के नाम पर एक बार फिर मुहर लग सकती है. ऐसा नहीं हुआ तो दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला सेट होगा जिसमें आदित्य ठाकरे का नाम निश्चित रूप से देखने को मिलेगा.
खैर ‘महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री कौन होगा’ इस सवाल का जवाब भी जल्द मिल जाएगा. ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होनी है. ऐसे में दो से तीन दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि आखिर इस सवाल का सही जवाब क्या है.