लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर बहुमत मिला ​है. पार्टी ने अकेले ही 302 सीटें हासिल की. देश के हर हिस्से से इस चुनाव में बीजेपी के लिए अच्छे परिणाम आए. लेकिन जिस राज्य के नतीजों से बीजेपी सबसे ज्यादा खुश हुई, वो है पश्चिम बंगाल. बंगाल में बीजेपी ने 18 सीटों पर फतह हासिल की है. पार्टी को कुल 40 फीसदी मत हासिल प्राप्त हुए हैं.

बंगाल में बीजेपी की जीत इसलिए भी बड़ी है क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के हाथ सिर्फ तीन सीटें ही लगी थी. बंगाल में तीन साल के भीतर बीजेपी के इतने जबरदस्त उभार के पीछे आरएसएस की कुशल रणनीति को माना गया है. आरएसएस की बंगाल में तैयारी तो लंबे समय से जारी थी, लेकिन इसमें तेजी पिछले तीन सालों में दिखाई दी.

बंगाल में संघ ने सर्वप्रथम अपनी पहुंच राज्य के हर हिस्से में बढ़ाने के लिए संघ की शाखाएं लगाना शुरु किया. शुरुआत में संघ की शाखाएं शहरी क्षेत्रों में शुरु की गईं. संघ ने पाया कि शहरी क्षेत्रों में लगी शाखाओं में भारी संख्या में लोग आए और संघ की विचारधारा को पसंद किया. शहरी क्षेत्रों में मिली कामयाबी के बाद संघ ने गांवों में संघ की शाखाओं के प्रसार का फैसला किया. संघ ने इन शाखाओं के माध्यम से लोगों को राष्ट्रवाद के मुद्दे से जोड़ा और उनमें कट्टर हिंदुत्व की भावना जागृत की.

हिंदू त्योहारों पर रोक लगाना, साम्प्रदायिक दंगों के दौरान एक पक्ष का खुले तौर पर समर्थन करना, म्यामांर के विस्थापित रोहिंग्या मुसलमानों के लिए बंगाल के रास्ते खोलना सरीखी ममता बनर्जी की नीतियों ने संघ के इस मिशन में मदद की. संघ को बंगाल में पैर पसारने के लिए इन्हीं मुद्दो की तलाश थी टीएमसी ने उन्हें थाली में परोस के दे दिए. अब लोकसभा चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद संघ का अगला लक्ष्य विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए बंगाल में उपजाऊ जमीन तैयार करना है.

जय श्रीराम नारे पर बंगाल में राजनीतिः
पश्चिम बंगाल की राजनीति में जय श्रीराम का मुद्दा इन दिनों काफी गर्म है. पिछले दिनों राज्य में कुछ स्थानों पर जय श्रीराम के नारे लगाने पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा तीखी प्रतिक्रिया आने के बाद बीजेपी ने इसे आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इसे सियासी हथियार बना लिया है. हालांकि यह मुद्दा बीजेपी को बैठे-बिठाए ‘दीदी’ ने ही दिया है लेकिन इस रणनीति के पीछे हाथ संघ का बताया जा रहा है.

संघ की तरफ से ही स्थानीय कार्यकर्ताओं को ममता के काफिले के दौरान जय श्रीराम लगाने के लिए कहा गया था. संघ को इसका पहले से ही आभास था कि ममता जय श्रीराम के नारों पर अपनी प्रतिक्रिया जरुर देगी. हुआ भी वैसा ही. संघ के तैयार किए हुए जाल में ममता फंस गई. अब दीदी जहां भी जाती है, बीजेपी कार्यकर्ता उनका स्वागत जय श्रीराम के नारों से करते हैं.

संघ चाहता है कि 2021 का विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर न होकर हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ा जाए. क्योंकि संघ यह भली-भांति जानता है कि अगर चुनाव किसी ओर मुद्दे की तरफ भटक गया तो चुनाव में बीजेपी की संभावना कम हो सकती है. इसलिए संघ ने अभी से ही चुनाव को हिंदुत्व का रंग देना शुरु कर दिया है.

Leave a Reply