Politalks.News/UttraPradeshPolitics. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा चुनाव में जीत के बाद जहां भाजपा (BJP) अब तक होली ही मना रही है. वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) गठबंधन की हार के बाद राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) में बड़ा तूफान आया हुआ है. रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद (RLD state president Masood Ahmed) ने पार्टी से तौबा कर ली है. यहीं नहीं मसूद ने रालोद प्रमुख जयंत चौधरी (RLD chief Jayant Choudhary) को लेटर लिखकर यूपी चुनाव में टिकट बेचे जाने से लेकर दलितों और मुसलमानों की उपेक्षा करने सहित अन्य गंभीर आरोप भी लगाए हैं. मसूद ने 7 पेज के लेटर में जयंत चौधरी और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर गंभीर आरोपों की ताबड़तोड़ बौछार कर दी है. मसूद ने अखिलेश और जयंत को तानाशाह (Dictator) बताते हुए लिखा है कि अखिलेश के घमंड और जयंत के सुस्त रवैये के चलते गठबंधन की हार हुई है. मसूद ने अपने पत्र में जयंत को अखिलेश से गठबंधन तोड़ने की भी सलाह दी है.
‘पार्टी के बुरे दौर में किया संघर्ष’
हार के बाद पार्टी को अलविदा कहने से पहले मसूद अहमद ने खुले खत में लिखा है कि, ‘वह 2015-16 में चौधरी अजित सिंह के आह्वान पर पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह जी के मूल्यों और जाट-मुस्लिम एकता के साथ किसानों, शोषित, वंचित वर्गों के अधिकार के लिए संघर्ष करने को रालोद में शामिल हुए थे. 2016-17 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया’. मसूद ने लिखा की संगठन को मजबूत करने के लिए उन्होंने पार्टी के बुरे दौर में अथक प्रयास किया.
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‘जयंत और अखिलेश ने अपनाया सुप्रीमो कल्चर’
मसूद अहमद ने अपने पत्र में चंद्रशेखर रावण के अपमान का आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘इससे दलित वोट गठबंधन से छिटक कर बीजेपी में चला गया’. मसूद ने जयंत चौधरी और अखिलेश यादव पर सुप्रीमो कल्चर अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘संगठन को दरकिनार कर दिया गया’ मसूद ने आगे लिखा कि, ‘जौनपुर सदर जैसी सीटों पर्चा भरने में आखिरी दिन तीन बार टिकट बदले गए. एक सीट पर सपा के तीन-तीन उम्मीदवार हो गए. इससे जनता में गलत संदेश गया. नतीजा ये कि ऐसी कम से कम 50 सीटें हम 200 से 10000 मतों के अंतर से हार गए’.
‘8 करोड़ में बेचा गया हापुड़ का टिकट’
जयंत चौधरी को लिखे ओपन लेटर में मसूद ने लिखा है कि, ‘चुनाव शुरू होते ही बाहरी लोगों को टिकट दिया जाने लगा और पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं ने इस पर आपत्ति व्यक्त की. मैं यह जानकर स्तब्ध रह गया कि पार्टी के प्रत्याशियों से दिल्ली कार्यालय में बैठे लोग करोड़ों की मांग कर रहे हैं. संगठन के दबाव में मैंने आपको सूचित किया. लेकिन आपने कोई कार्रवाई नहीं की. आपके द्वारा इसे पार्टी हित में बताकर मुद्दा टाल दिया गया. दिन में 2 बजे पार्टी में आए गजराज सिंह को उसी दिन 4 बजे हापुड़ विधानसभा का टिकट दे दिया गया, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया. हापुड़ विधानसभा सीट पर 8 करोड़ रुपए लेकर टिकट बेचे जाने से पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष हुआ, जिसकी मेरे द्वारा आपको सूचना दी गई’.
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‘अखिलेश ने धन संकलन करते हुए टिकट बांटे’
पैसे लेकर टिकट बांटे जाने का आरोप लगाते हुए मसूद ने लिखा है कि, ‘धन संकलन के चक्कर में प्रत्याशियों का समय रहते ऐलान नहीं हुआ. बिना तैयारी के चुनाव लड़ा गया. सभी सीटों पर लगभग आखिरी दिन पर्चा भरा गया. पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष उत्पन्न हुआ और चुनाव के दिन सुस्त रहे. किसी भी प्रत्याशी को यह नहीं बताया गया कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा? कीमती समय में कार्यकर्ता लखनऊ और दिल्ली आप और अखिलेश जी के चरणों में पड़े रहे और चुनाव की तैयारी नहीं हो पाई, अखिलेश जी ने जिसको जहां मर्जी आई धन संकलन करते हुए टिकट दिए, जिससे गठबंधन बिना बूथ अध्यक्षों के चुनाव लड़ने पर मजबूर हुआ. उदाहरण के तौर पर स्वामी प्रसाद मौर्य को बिना सूचना के फाजिलनगर भेजा गया और वह चुनाव हार गए. अखिलेश जी और आपने तानाशाह की तरह काम किया, जिससे गठबंधन को हार का मुंह देखना पड़ा. मेरा आपको यह सुझाव है कि जब तक अखिलेश जी बराबर का सम्मान नहीं देते तब तक गठबंधन स्थगित कर दिया जाए’
‘अखिलेश के घमंड, आपके सुस्त रवैये के चलते हम हारे’
मसूद ने पत्र में लिखा है कि, ‘बीजेपी के दोबारा सत्ता में आ जाने से मुसलमानों पर जान माल का संकट उत्पन्न हो गया है. जीता हुआ चुनाव टिकट बेचने और अखिलेश जी के घमंड में चूर होने से और आपके सुस्त रवैये से हम हार गए. दुख तो यह कि अभी भी कोई परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप और अखिलेश जी इन सवालों का उत्तर दें ताकि ये गलतियां दोबारा ना दोहराई जाएं. यदि आप चाहें तो मुझे पार्टी से निष्कासित कर दें, लेकिन इन सवालों के जवाब 21 मार्च को होने वाली बैठक में या उससे पहले जनता के सामने रखें. यह पार्टी और गठबंधन के हित में होगा. यदि आप दोनों इन प्रश्नों का उत्तर 21 मार्च तक नहीं देते हैं तो इस पत्र को मेरा पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र माना जाए’.