Politalks.News/Rajasthan. पिछले कुछ दिनों की अगर बात की जाए तो राजस्थान में सियासी बयानबाजी का दौर लगातार अपने चरम पर है. कांग्रेस एवं बीजेपी के दिग्गज नेताओं के बीच जारी आरोप प्रत्यारोप के बीच अब राजनेताओं के पुत्र भी अपनी बयानबाजी का कौशल दिखाने से नहीं चूक रहे हैं. हाल ही में जोधपुर सांसद एवं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा प्रदेश सरकार में मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा को भरतपुरी बिन पेंदे का लौटा कहना गुढा के पुत्र को इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने गज्जू बना को विधानसभा चुनाव लड़ने की चेतावनी तक दे डाली. राजेंद्र गुढ़ा के बेटे शिवम गुढ़ा ने एक वीडियो बयान जारी करते हुए कहा कि, ‘आपको खुला निमंत्रण है बाबोसा, आप शेखावाटी की 21 में से 18 जनरल सीट में से कहीं से चुनाव लड़कर बताओ. मजा तो तब आएगा जब आप हमारे सामने चुनाव लड़ो. अगर हम हार गए तो सदा के लिए राजनीति छोड़ देंगे.’ शिवम गुढ़ा ने अपने पिता राजेंद्र गुढ़ा के अंदाज में ही केंद्रीय मंत्री पर जमकर निशाना साधा.
आपको बता दें, हाल ही में राजस्थान में हुए सियासी हंगामे के बाद से प्रदेश सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री एवं कभी कट्टर गहलोत समर्थक रहे राजेंद्र गुढ़ा द्वारा सचिन पायलट के समर्थन में बयानबाजी करना बीजेपी के कुछ नेताओं को नागवार गुजरा. केंद्रीय मंत्री एवं जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक बयान देते हुए राजेंद्र गुढ़ा को भरतपुरी बिन पेंदे का लौटा बताया था. गजेंद्र सिंह ने कहा था कि, ‘गुढ़ा कब किस के पास चले जाएं पता नहीं है. उनका तो भगवान ही मालिक है. वे भरतपुर के बिन पेंदे के लोटे के सामान हैं.’ इसके बाद मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने उन्हें इसका जल्द ही जवाब देने की भी बात कही थी. अब राजेंद्र गुढ़ा कब गजेंद्र सिंह शेखावत को जवाब देंगे ये तो पता नहीं लेकिन अपने पिता की तरह ही बेबाक और बोलने के निराले अंदाज के साथ गुढ़ा के बेटे शिवम गुढ़ा ने केंद्रीय मंत्री को दो टूक जवाब दिया. यही नहीं शिवम ने गजेंद्र सिंह शेखावत को विधानसभा चुनाव लड़ने की चुनौती भी दे डाली.
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सोशल मीडिया पर 8 मिनट का एक वीडियो शेयर करते हुए शिवम गुढ़ा ने कहा कि, ‘गजेंद्र सिंह शेखावत जिस लोकसभा सीट जोधपुर से जीतकर आते हैं, वहां पांच लाख से ज्यादा वोट राजपूत समाज के हैं. जिस दिन कोई राजपूत कैंडिडेट आपके सामने लोकसभा चुनाव में खड़ा हो गया उस दिन राजनीति करने वाले लोग आपको ढूंढते रह जांएगे कि गजेंद्र सिंह भी कोई सांसद हुआ करते थे. बात 2008 के विधानसभा चुनाव की है, मेरे पिता के सामने कांग्रेस की टिकट राजपूत कैंडिडेट को दी गई थी. उस समय देश की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील तीन बार हैलिकॉप्टर से आकर उनका प्रचार करके गई थीं, लेकिन चुनाव हमने जीता था.’ वहीं बीजेपी में जारी मुख्यमंत्री की लड़ाई पर भी शिवम गुढ़ा ने तंज कसा
शिवम गुढ़ा ने कहा कि, ‘मैं सुन रहा हूँ कि आप मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं. लेकिन मेरे पिता तो सीएम की दौड़ में नहीं हैं. आपके और हमारे तो कोई लड़ाई नहीं थी. मुख्यमंत्री बनने के लिए विधानसभा चुनाव लड़ना पड़ता है बाबोसा. मैं आपको खुला निमंत्रण देता हूँ कि आप शेखावाटी की 21 में से 18 जनरल सीट में से कहीं से चुनाव लड़कर बताओ. मजा तो तब आएगा जब आप हमारे सामने चुनाव लड़ो. अगर हम हार गए तो सदा के लिए राजनीति छोड़ देंगे.’ विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए शिवम गुढ़ा ने कहा कि, ‘वैभव गहलोत ने 2013 में उदयपुरवाटी आकर हमारा प्रचार किया था, इसके बावजूद मेरे पिता जोधपुर में 2019 के लोकसभा चुनाव में वैभव का प्रचार करने नहीं गए थे. भवंर जितेंद्र सिंह का प्रचार करने गए थे. मैंने जब अपने पिता से पूछा कि जोधपुर क्यों नहीं गए? उनका जवाब था कि भंवर साहब अजीज दोस्त हैं, इसलिए गया. जोधपुर इसलिए नहीं गया कि गुढ़ागोड़जी और गुढ़ा महरोली एक परिवार है. हम राव शेखा के वंशज हैं. गजेंद्र सिंह जी तेरे बाबोसा लगते हैं. गजेंद्र सिंह की हम इतनी इज्जत करते रहे हैं, और ये इस तरह के स्टेटमेंट देकर चले गए.’
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वहीं अपने पिता राजेंद्र गुढ़ा को गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा बिन पेंदे का लोटा बताने पर शिवम गुढ़ा ने कहा कि, ‘जब गजेंद्र सिंह उदयपुरवाटी आए तो हमारे विरोधियों को खुश करने के लिए स्टेटमेंट दिया और मेरे पिता को बिन पैंदे का लोटा कह दिया. क्या आप सुमित्रा सिंह जी को बिन पैंदे का लोटा कह देंगे क्या? गजेंद्र सिंहजी ,आप शेखावाटी में पैदा हुए हैं लेकिन यहां की राजनीति का आपको पता नहीं है. सुमित्रा सिंह कांग्रेस से विधायक रहीं, हालात बदले तो लोकदल और फिर जनता दल में चलीं गईं. भैरोसिंह शेखावत की सरकार में उर्जा मंत्री रहीं. 2003 में वे बीजेपी से जीतीं और विधानसभा अध्यक्ष बनीं. समय फिर यू टर्न मारता है और वे कांग्रेस में चली जाती हैं. जाने माने किसान नेता शीशरामजी ओला के लोग आज भी उदाहरण देते हैं, उन्हें याद करते हैं. ओला कांग्रेस में कई बार मंत्री रहे. इसके बाद कांग्रेस का दामन छोड़ तिवारी कांग्रेस का दामन थामा. देवगोड़ा की सरकार में मंत्री रहे. निर्दलीय एमपी रहे, फिर कांग्रेस में आगमन हुआ, मनमोहन कैबिनेट में मंत्री रहे.
ऐसे दल बदल के 20 उदाहरण आपको सीकर के बता सकता हूं. शेखावाटी के तो अनगिनत उदाहरण मिल जाएंगे. शेखावाटी के किसी जननायक ने निर्दलीय लड़ने का या पार्टी बदलने का फैसला किया तो वह वहां की जनता की भलाई और विकास के लिए किया. उन फैसलों का जनता ने भी साथ दिया, उसी का परिणाम है कि आज भी हम उन्हें याद करते हैं.’ शिवम गुढ़ा ने आगे कहा कि, ‘गजेंद्र सिंहजी आपके बारे में मैं सर्च कर रहा था, आपका जन्म 1967 में हुआ. आप 55 साल के हैं, आपने जिंदगी के ये 55 साल व्यर्थ गवां दिए. मैं एक 17 साल का लड़का, 12वीं क्लास में पढ़ने वाला लड़का आपको यह राजनीतिक ज्ञान दे रहा हूं. आप शेखावाटी के बेटे हैं, आप दो बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री को मुझे ज्ञान देना पड़ रहा तो आपकी इतने साल की राजनीति बेकार है.’