Politalks.News/UttarPradesh. पिछले कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल ओमप्रकाश राजभर ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. यहीं नहीं उन्होंने तो ये तक कह दिया कि अगर अखिलेश यादव उन्हें गठबंधन से अलग होने के लिए आज कहेंगे तो वे आज ही अलग हो जाएंगे. इन सबके बीच योगी सरकार ने शुक्रवार को ओमप्रकाश राजभर को वाई श्रेणी की सुरक्षा दे दी है. योगी सरकार के इस फैसले के बाद से सियासी गलियारों में अलग अलग तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है. सियासी जानकारों का मानना है कि जल्द ही सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर योगी सरकार में मंत्री बनने वाले हैं. शुक्रवार को उन्हें Y श्रेणी की सुरक्षा मिलने के बाद जब सवाल पुछा गया कि भाजपा से आपकी नजदीकियां कई सवाल खड़े कर रही है तो उन्होंने कहा कि, ‘समाजवादी पार्टी के से गठबंधन टूटेगा तभी किसी से बातचीत होगी. अखिलेश यादव की और से तलाक तलाक कहा जाएगा और हम कबूल है कहेंगे.’.
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के समय एक साथ आये समाजवादी पार्टी और सुभासपा के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. लोकसभा उपचुनाव में दोनों सीटों पर बीजेपी की जीत के बाद से सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मुश्किलें काम होने का नाम ही नहीं ले रही है. उनके साथ गठबंधन में शामिल सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. कई मौकों पर वे अखिलेश यादव के खिलाफ बयानबाजी करते देखे गए हैं. लेकिन शुक्रवार को ओमप्रकाश राजभर को मिली Y श्रेणी की सुरक्षा ने नई अटकलों को जन्म दे दिया है. शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभर को Y श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जिसके बाद कहा जा रह है कि जल्द ही राजभर में योगी सरकार में मंत्री बनने वाले हैं और जल्द ही वे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन से अलग होने वाले हैं.
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इन सभी अटकलों पर जब पत्रकारों ने सवाल पुछा तो ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि, ‘मुझ पर पहले भी कई बार हमला हो चुका है. इन दिनों एक दो बार फिर हमें धमकी मिली है जिसके कारण हमें प्रदेश सरकार से सुरक्षा की मांग की थी जो कि अब मिल गई है. रहा सवाल बीजेपी के साथ जाने का या बात करने का तो अभी हमारा गठबंधन समाजवादी पार्टी के साथ है. वहां से गठबंधन टूटेगा तभी किसी से बातचीत होगी.‘ वहीं जब पत्रकारों ने ओमप्रकाश राजभर से पुछा कि गठबंधन कौन तोड़ेगा आप या अखिलेश यादव तो उन्होंने कहा कि, ‘अखिलेश यादव ही तोड़ेंगे. वहां से तलाक तलाक कहा जाएगा और हम कबूल है कहेंगे.’
वहीं जब पत्रकारों ने ओमप्रकाश राजभर से सवाल पुछा कि क्या वे गठबंधन से अलग होने के बाद क्या वे बीजेपी के साथ जाएंगे तो उन्होंने कहा कि, ‘देखिये सपा से गठबंधन टूटने के बाद हमारी प्राथमिकता बहुजन समाज पार्टी है. जब बसपा से बात नहीं बनेगी तो किसी और से बात होगी. अभी तो लोकसभा चुनाव से पहले कई दल सामने आएंगे. भाजपा से फिलहाल आल इज वेल नहीं है.’ यहीं नहीं पत्रकार वार्ता के दौरान ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर फिर से निशाना साधा और कहा कि, ‘हमारे यहां सीट को लेकर कोई झगड़ा कभी नहीं था. हम सीट को लेकर झगड़ा नहीं करते, हमने पहले भी कहा था कि एक सीट नहीं मिलेगी तब भी गठबंधन में रहेंगे. आजमगढ़ में लोकसभा उपचुनाव के दौरान हम तीन सौ लोगों की फौज और सभी छह विधायकों को लेकर धूप में वहां जमे रहे, लेकिन अखिलेश एसी में बैठे रहे.’
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राष्ट्रपति चुनाव में NDA प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोट देने को लेकर जब सवाल पुछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘वोटिंग से पहले ही हमने उन्हें वोट देने की बात कह दी थी. जब समाजवादी पार्टी ने विपक्षी प्रत्याशी के लिए हमसे वोट नहीं मांगा. जब प्रत्याशी यशवंत सिन्हा ने वोट नहीं मांगा तो हम क्या करते? न लड़ने वाला और न ही लड़ाने वालों ने वोट मांगा. दूसरी ओर द्रौपदी मुर्मु और भाजपा दोनों की तरफ से वोट मांगा गया और हमने ऐलान करने के बाद वोट दिया है.’ राजभर के अखिलेश के खिलाफ दिए गए बयानों और बीजेपी के मंत्रियों और विधायकों से उनकी मुलाकात को लेकर ये साफ़ है कि वे आज नहीं तो कल बीजेपी के साथ जरूर जाएंगे. राष्ट्रपति चुनाव में भी उन्होंने साफ़ किया कि उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. यही कारण है कि सियासी गलियारों में चर्चा है कि राजभर जल्द ही योगी सरकार में मंत्री बनने वाले हैं.
हालांकि राजभर कई मौकों पर अखिलेश के बाद मायावती के साथ जाने की बात कह चुके हैं. लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान राजभर ने बसपा के खिलाफ जो जमकर बयानबाजी की थी उससे दरकिनार नहीं किया जा सकता. ओमप्रकाश राजभर और मायावती दोनों ही दलितों के नेता हैं ऐसे में एक मयान दो तलवारों का रहना कुछ ठीक नहीं लगता. अब बचती है बीजेपी. भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारियों में जुट गई है. अगर ओमप्रकाश राजभर उनके साथ फिर से जुड़ जाते हैं तो बीजेपी को लोकसभा चुनाव में दलितों को लुभाने में और भी अधिक सहायता मिलेगी. खैर ये सियासत है साहब यहां दीखता कुछ है और होता कुछ है.