Politalks.News/RajasthanPolitics. प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और टोंक विधायक सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने प्रमुख अखबार दैनिक भास्कर (Dainik Bhaskar) को खास इंटरव्यू दिया है. जिसमें पायलट ने सत्ता-संगठन, मंत्रिमंडल पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर बेबाकी से अपनी बात रखी है. राजस्थान छोड़ने के सवाल पर पायलट ने कहा कि, ‘राजस्थान (Rajasthan) छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता. जो कुछ भी पद, आदर, मान-सम्मान मिला है, राजस्थान से ही मिला है. यह मेरा प्रदेश है, मेरी मिट्टी है. यहां कांग्रेस कैसे रिपीट हो यह मेरी पहली प्राथमिकता है. जो पार्टी ने कहा है वह पहले भी किया है और आगे भी करूंगा‘. पायलट ने कहा कि, ‘मैं तो प्रदेश की जनता को ही अपना माई-बाप मानता हूं’. इस दौरान सचिन बपायलट ने प्रदेश में जल्द राजनीतिक नियुक्तियां करने की पुरजोर तरीके से वकालत की. पायलट ने कहा कि, ‘पीछे मुड़कर देखने से बहुत ज्यादा लाभ नहीं होने वाला है’. पायलट ने प्रदेश की सियासत को लेकर विस्तार से बातचीत की. पायलट से हुई बातचीत के खास अंश…
सवाल- अलवर में बच्ची के साथ निर्भया जैसी दरिंदगी हुई, प्रियंका गांधी नहीं बोलीं, क्या उन्हें राजस्थान के अपराध नहीं दिखते?
पायलट- ‘यह कहना गलत है कि अपराध नहीं दिखते. अपराध तो अपराध है, लेकिन घटना होने के बाद पुलिस और प्रशासन कितनी गंभीरता से कार्रवाई करता है, वह महत्वपूर्ण है. हमारे यहां दुष्कर्म के मामलों की तत्काल जांच होती है. सरकार जल्द सजा दिलवाने का प्रावधान करती है. अलवर की घटना की जितनी निंदा की जाए, वह कम है. इस तरह की हैवानियत करने वालों को इंसान की श्रेणी से बाहर निकाल देना चाहिए. इस घटना के अपराधियों को पकड़कर जल्द सजा दिलाएंगे. हमारे मंत्री वहां गए हैं. अपराध कहीं भी हो सकता है, लेकिन हम पीड़िता को कितनी जल्दी न्याय दिला सकते हैं, इस पर फोकस हो’.
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सवाल- आपके उठाए गए मुद्दों पर कितना काम पार्टी में आगे बढ़ा है, मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद हालात जस के तस बताए जा रहे हैं?
पायलट- ‘हमारे जो मुद्दे हैं वो हमारे और पार्टी आलाकमान के बीच के हैं. हमारा मुद्दा यही है कि राजस्थान में 30 साल से ज्यादा समय से एक बार कांग्रेस एक बार बीजेपी सरकार की परिपाटी बनी हुई है उसे बदलना है. जब दिल्ली में तीन बार कांग्रेस की सरकार बन सकती है, असम में तीन बार बन सकती है. आंध्र में सरकार बन सकती है, हरियाणा में दोबारा बन सकती है तो राजस्थान में सरकार दोबारा क्यों नहीं बन सकती? जब हमारी सरकार के रहते चुनाव होते हैं तो हम कभी 50 पर तो कभी 21 पर आ जाते हैं. उस परिपाटी को तोड़ने के लिए हमें कुछ अलग करना पड़ेगा, उस संदर्भ में मैंने कुछ बातें बताई थीं. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मिलकर उस पर सकारात्मक कदम उठाए हैं. अब तक जो कदम उठे हैं, वे सही दिशा में हैं. हमें उसी दिशा में काम करना है, ताकि 22 महीने बाद जनता का आशीर्वाद कांग्रेस को मिले’.
सवाल- तीन साल में तो सत्ता विरोधी लहर का खतरा बन जाता है, इस चुनौती से कैसे निपटेंगे?
पायलट- ‘हमें तीन दशक की परिपाटी को तोड़ना है. हाल के उप-चुनाव, नगरपालिका और पंचायत चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला है. बीजेपी की तो कई जगह जमानत जब्त हो गई है, फिर भी हमें विपक्ष को लाइटली नहीं लेना चाहिए. सक्रियता से संगठन और सरकार मिलकर काम कर रहे हैं. मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है. कैबिनेट में दलित मंत्री नहीं था, आलाकमान और सरकार ने पहली बार तीन-तीन दलित कैबिनेट मंत्री बनाए हैं. हमारे सुझावों को पार्टी आलाकमान ने गंभीरता से लिया है और उन पर काम किया है, वह स्वागत योग्य है. अब आगे राजनीतिक नियुक्तियों में भी हमें उन पार्टी कार्यकर्ताओं को भागीदारी और मान-सम्मान देना चाहिए, जिन्होंने 165 विधायकों वाली बीजेपी को सत्ता में रहते हुए घेरने का काम किया. ऐसे लोगों को उचित भागीदारी और मान-सम्मान मिलना चाहिए. अब यह काम जल्द हो जाना चाहिए, क्योंकि चुनाव में केवल 22 महीने बचे हैं’.
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सवाल- आपको नहीं लगता कि खींचतान की वजह से राजनीतिक नियुक्तियों में देरी हो गई, कई पदों पर तो अब तक दूसरी नियुक्ति मिल जाती?
पायलट- ‘आपकी बात से सहमत हूं. ये नियुक्तियां पहले हो जाती तो हम एक ही जगह दो कार्यकर्ताओं को मौका दे सकते थे. पहले जो भी हुआ, हमें अब आगे की तरफ देखना होगा. भविष्य में कैसे लोगों को एडजस्ट करके प्रोत्साहित कर सकते हैं, इस पर ध्यान देना होगा. प्रोत्साहन केवल पद से ही नहीं होता, हर एक को पद मिल भी नहीं सकता, लेकिन कार्यकर्ता की पीठ पर हाथ रखें, उसे प्रोत्साहन दें, यह हम सब लीडर्स की जिम्मेदारी हैं’.
सवाल- सरकार-संगठन में खामी कहां लगती है, जहां पर आपको दिक्कत है?
पायलट- ‘मुझे जो भी कहना होता है, वह मैं पार्टी लीडरशिप को समय-समय पर बताता रहता हूं. यहां साढे़ छह साल अध्यक्ष रहा, बहुत कुछ अनुभव हासिल किया. पार्टी हित में क्या है वह पार्टी फोरम पर मैं बेबाकी से बात रखता हूं. हमारा मकसद एक ही है कि सरकार रिपीट कैसे हो. हम कुछ ऐसा अलग करें कि सरकार रिपीट हो’.
सवाल- आगे आपकी क्या भूमिका रहने वाली है, कई दिनों से आपको पद देने के कयास लग रहे थे?
पायलट- ‘मेरी भूमिका क्या रहेगी, यह पार्टी तय करेगी. 20 साल पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है, उसको मैंने पूरी ताकत से निभाया है. जब जिम्मेदारी दी जाती है तो उसे लॉजिकल एंड तक ले जाता हूं, यह मेरी आदत है इसे अब कुछ भी समझा जाए. जिस भी राज्य में मुझे भेजा जाता है, वहां पूरी ताकत लगाकर काम करता हूं. मुखर होकर प्रचार करता हूं. मुझे खुशी है कि पार्टी मुझे प्रचार के लिए अलग-अलग राज्यों में भेजती है. मेरी पहली प्राथमिकता यही है कि राजस्थान में सरकार दोबारा बन पाएं’.
सवाल- संगठन में राजस्थान से बाहर या केंद्रीय स्तर पर जिम्मेदारी मिलती है तो राजस्थान छोड़ देंगे, समर्थक वर्ग को कैसे साधेंगे?
पायलट- ‘राजस्थान छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता. आज जो भी हमारी हैसियत है, हमारी हस्ती है, वह इस क्षेत्र, इस राज्य के लोगों का आशीर्वाद है. यहां से हमें सब कुछ मिला है. सब राजस्थान की जनता का ही आशीर्वाद है, यहां से हम निर्वाचित होकर जाते हैं, जो कुछ भी पद,आदर, मान-सम्मान मिला है वह राजस्थान से ही मिला है, यहां तो छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता. पार्टी के लिए बाहर अगर कोई काम दिया तो कभी संकोच नहीं किया.
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सवाल- पिछले दिनों आप कैप्टन की यूनिफॉर्म में दिखे, कैप्टन वाली फुर्ती पार्टी में भी दिखाने का मौका मिलेगा या यूं ही चलेगा?
पायलट- ‘हमेशा पार्टी का काम करता आया हूं, पब्लिक ही हमारी ताकत है. पद कितना ही बड़ा हो,अगर लोगों में आपका समर्थन नहीं है, आप लोगों में जज्बात पैदा नहीं कर पाते हैं,अपनापन एकजुटता नहीं दिखा पाते हैं तो उस पद का भी कोई लाभ नहीं हैं. मैं तो जनता को ही अपना माई- बाप मानता हूं. राजस्थान की जनता ने हर क्षण मुझे प्यार आशीर्वाद दिया है, उसका मैं हमेशा आभारी रहूंगा’.
सवाल- आपके प्रदेश का दौरा करने की चर्चा थी, क्या इरादा बदल दिया या रणनीति के तहत डेफर कर दिया?
पायलट- ‘जो फिरता है वह चरता है यह तो कहावत ही है. हम तो हमेशा जनता के बीच ही रहते हैं. अभी कोरोना काल की वेव आ गई, इसलिए रिस्पांसिबल तरीके से एहतियात बरतना जरूरी है. जैसे ही कोरोना की पाबंदियां हटेंगी, दोबारा फील्ड में जाएंगे. लोगों के बीच रहना एक जनप्रतिनिधि के लिए बहुत आवश्यक है, इससे फीडबैक मिलता है. केवल पेपर पढ़कर मुद्दे तय करने से सही मुद्दों तक नहीं पहुंच सकते. फील्ड में जाने पर वास्तविकता का पता लगता है. हकीकत पता करने के लिए धरातल पर जाना पड़ता है, कभी-कभी आलोचना भी सहनी पड़ती है. जनता से एक संवाद, संपर्क बना रहे यह बहुत जरूरी है. नेताओं को ताकत भी उसी से मिलती है. पद-पोस्ट और फाइल पर साइन करने की ताकत जो जनता के प्यार से मिलती है, वह बहुत कीमती होती है’.