छद्म प्रचार: यूपी देता है देश को प्रधानमंत्री! जबकि हकीकत ये की 30 साल से सूबे का कोई नेता नहीं बना PM

उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव का सियासी रण, प्रचार किया जा रहा है की यूपी से होता है देश का प्रधानमंत्री, लेकिन हकीकत है कुछ और! यूपी पीएम तो बनाता है लेकिन खुद यूपी वाले नहीं बन पा रहे हैं प्रधानमंत्री, तीस साल पहले यूपी के चन्द्रशेखर बने थे पीएम, उसके बाद से यूपी का कोई नेता नहीं बना है प्रधानमंत्री

यूपी देता है देश को प्रधानमंत्री!
यूपी देता है देश को प्रधानमंत्री!

Politalks.News/UttarPradeshElection. उत्तरप्रदेश में दो चरणों का मतदान हो चुका है आने वाले तीन चरणों के मतदान की तैयारियों के बीच एक रोचक चर्चा जारी है. यूपी में विधानसभा चुनाव के दौरान सभी पार्टियों के नेता एक बात बार-बार याद दिला हैं कि उत्तरप्रदेश राजनीतिक रूप से कितना महत्वपूर्ण राज्य है कि उत्तर प्रदेश ही देश को प्रधानमंत्री देता है या प्रधानमंत्री पद का रास्ता यहीं से होकर जाता है. लेकिन राजनीतिक गलियारों में सियासी चर्चा यह है कि भाजपा की इस बात को लेकर चर्चा अपने हिसाब से अलग है. भाजपा के छुटभैय्या नेता नरेन्द्र मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री बनाने की चर्चा करते रहते है. लेकिन सच्चाई यह है कि पिछले 3 दशक यानि 30 साल से यूपी का कोई भी नेता पीएम नहीं बना है. इसलिए कहा जा रहा है कि ये छद्म प्रचार किया जा रहा है कि यूपी प्रधानमंत्री देता है. एक तरह से इससे मतदाताओं को बरगलाया जा रहा है.

हालांकि देश का प्रधानमंत्री यूपी से होने की बातें अपनी जगह कुछ-कुछ सही भी हैं. क्योंकि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. आबादी 24 करोड़ है और यहां से लोकसभा की 80 सीटें हैं इस लिहाज से राज्य में केंद्र की सरकार बनाने की क्षमता इस राज्य में है. लेकिन यह अब मिथक बन गया है प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश का बनता है. हकीकत यह है की तीन दशक से उत्तर प्रदेश का कोई नेता पीएम नहीं बना है. ये अलग बात है कि दिल्ली का रास्ता यूपी होकर ही जाता है.

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बात करें उत्तरप्रदेश की तो प्रधानमंत्री बनाने वाले इस सूबे से पीएम बनने वाले आखिरी नेता चंद्रशेखर थे, जो 1991 में प्रधानमंत्री बने थे. यहां यह भी सही है कि चंदशेखर से पहले एक मोरारजी देसाई और कार्यवाहक पीएम गुलजारी लाल नंदा को छोड़ कर बाकी सारे प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से ही थे. लेकिन 1991 में चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने के बाद से उत्तर प्रदेश का कोई भी नेता प्रधानमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच सका यहां तक कि पिछले कुछ बरसों में तो सरकार के शीर्ष मंत्रियों में भी उत्तर प्रदेश के नेताओं को जगह मिलनी कम हो गई है.

ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि सूबे में जारी चुनावी प्रचार में जो लोग कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तर प्रदेश से हैं, वे एक भ्रम पैदा कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी गुजरात के हैं और उन्होंने उत्तर प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ा है. पीएम मोदी मूलत: उत्तर प्रदेश के नहीं हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश के सांसद हैं. ठीक इसी तरह जैसे पूर्व पीएम मनमोहन सिंह असम के नहीं थे, असम से सांसद थे. क्या कभी किसी के मुंह से सुना है कि असम का आदमी प्रधानमंत्री बना है? सब यहीं कहते हैं कि पंजाब के मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. वे असम से राज्यसभा सांसद थे इसलिए असम के नहीं माने गए उसी तरह नरेंद्र मोदी भी उत्तर प्रदेश से सांसद हैं, इसलिए उत्तर प्रदेश के नहीं मान लिए जाएंगे. वे इतने उत्तर प्रदेश के हैं कि वोट डालने गुजरात जाते हैं.

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यहीं बात अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में सही है. वाजपेयी भी उत्तर प्रदेश से सांसद थे. वैसे खुद वाजयेपी मूलत: मध्य प्रदेश के रहने वाले थे. उनका जन्म वहां हुआ था और पढ़ाई-लिखाई भी वहीं हुई थी. उनका परिवार और सारी रिश्तेदारियां वहीं थीं. तो इससे साफ होता है कि चंद्रशेखर के बाद जो भी प्रधानमंत्री बने सारे नेता उत्तर प्रदेश से बाहर के थे. पीवी नरसिंह राव आंध्र प्रदेश के थे तो वाजपेयी मध्य प्रदेश के, एचडी देवगौड़ा कर्नाटक के थे तो आईके गुजराल दिल्ली के, मनमोहन सिंह पंजाब के थे तो नरेंद्र मोदी गुजरात के. इसलिए बार बार जो प्रचार में कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री देने वाला राज्य है, वह एक तरह का छद्म प्रचार है, जिससे मतदाताओं को बरगलाया जा रहा है.

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