Politalks.News/UttarPradesh. उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल सूबे की जनता को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. इस बार का यूपी विधानसभा चुनाव बहुत ही दिलचस्प होने वाला है. चुनाव में अब कुछ ही दिन का समय शेष है लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ भी इसी उधेड़बुन में हैं कि इस बार बाजी कौन सी पार्टी मारेगी. वर्तमान में बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार भले ही आगामी विधानसभा चुनाव पहले के मुकाबले अधिक सरलता से जीतने का दावा करती रही है. तो वहीं ना जाने किस आधार पर समाजवादी पार्टी के मुखिया हर जगह हर बयान में ये कहते नजर आ रहे हैं कि उनकी पार्टी 400 से ज्यादा सीटें जीत कर सत्ता में आएगी. अरे जनाब आपके हाथ ऐसे कौनसी जादू की छड़ी लगी है जो आप इतनी ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हो.
वहीं मायावती भले ही यूपी चुनाव के बाद अपनी वापसी की उम्मीद लगाए बैठी हो लेकिन अंदरखाने उन्हें भी यह अच्छे से पता है कि अबकी बार उनकी पार्टी में उतना दम नहीं है. साथ ही राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मायावती सिर्फ एक बंद कमरे से ट्विटर के माध्यम से राजनीति को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जो कि नाकाफी है. वहीं उत्तरप्रदेश चुनाव में सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी आम आदमी पार्टी अपने लोक लुभावने वादों के सहारे सत्ता में आने की आस संजोये बैठी है. ऐसा नहीं है कि आप सरकार का दिल्ली मॉडल पूरी तरह विफल रहा हो, लेकिन यूपी हर दृष्टि से बड़ा प्रदेश है और यहां दिल्ली मॉडल लागू करना आसान नहीं होगा.
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अगर हम बात करें कांग्रेस पार्टी की तो सभी 5 राज्यों में अगले साल होने वाले चुनाव उनके अस्तित्व के लिए बहुत ही अहम होंगे. कांग्रेस महासचिव एवं यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी के नेतृत्व में पार्टी आगामी उत्तरप्रदेश चुनाव लड़ने जा रही है. जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं प्रियंका गांधी पहले के मुकाबले कई ज्यादा एक्टिव नजर आ रही है. प्रियंका सरकार के खिलाफ मुखर होने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहती. यूपी में अगर विपक्षी पार्टियों की बात करें तो सबसे अधिक जो पार्टी सरकार के खिलाफ मुखर है तो वह है कांग्रेस.
हाथरस और उन्नाव में हुए महिला अत्याचार की बात हो या फिर लखीमपुर खीरी में केन्द्रीय मंत्री के नेता के बेटे द्वारा किसानों को अपनी गाड़ी से रोंदने का मुद्दा हो या आगरा में सफाईकर्मी की पुलिस कस्टडी में मौता का मुद्दा हो इन सभी को लेकर प्रियंका गांधी ने सबसे पहले आवाज उठाई थी. इस दौरान कई मौकों पर प्रियंका गांधी के रौद्र रूप को पूरे देश ने देखा. साथ ही प्रियंका गांधी की युवाओं के बीच बढ़ती लोकप्रियता ने भी अन्य पार्टियों की नींद उड़ा दी है. हाल ही में आगरा में सफाईकर्मी की मौत के बाद उनके परिवार से मिलने जा रही प्रियंका गांधी के काफिले को लखनऊ पुलिस ने धारा 144 और कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए रोक दिया था. इस दौरान रिश्ते में यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की वहां मौजूद पुलिस कर्मियों से झड़प हो गई उस वक़्त भी प्रियंका गांधी अपनी गाड़ी से उतर कर उनके बीच बचाव में उतर आई.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रियंका गांधी का यही रूप यूपी में कांग्रेस के हाथ को मजबूत कर रहा है. पुलिस द्वारा रोके गए उनके काफिले को रोके जाने पर वहां मौजूद महिला पुलिस कर्मियों ने उनके साथ सेल्फी भी ली और साथ ही जिस अंदाज में प्रियंका से पुलिस कर्मियों ने बात की उससे लगता है कि प्रियंका गांधी जनता के बीच अपनी अलग छाप छोड़ने में कामयाब रही है. साथ ही प्रियंका गांधी ने प्रतिज्ञा यात्रा के दौरान एक नारा भी दिया था कि ‘लड़की हूँ लड़ सकती हूँ’. साथ ही प्रियंका ने आगामी विधानसभा चुनाव 40% टिकट महिलाओं को देने की बात कही. जिसके बाद से विशषज्ञों के अनुसार प्रियंका महिलाओं में अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब दिख रही है.
यूपी की आधी आबादी को अपने साथ लाकर कांग्रेस ये साफ़ करना चाहती है कि प्रदेश की सभी महिलाओं के साथ पार्टी खड़ी है. इसी कड़ी में प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट करते हुए अपने आगामी चुनावी वादों में से एक वादा प्रदेश की जनता की सामने रखा. प्रियंका ने वादा किया कि, ‘कल मैं कुछ छात्राओं से मिली. उन्होंने बताया कि उन्हें पढ़ने व सुरक्षा के लिए स्मार्टफोन की जरूरत है. मुझे खुशी है कि घोषणा समिति की सहमति से आज UP कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि सरकार बनने पर इंटर पास लड़कियों को स्मार्टफोन और स्नातक लड़कियों को इलेक्ट्रानिक स्कूटी दी जाएगी’.
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प्रियंका गांधी का बढ़ता वर्चस्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ अन्य दलों की मुश्किलें बढ़ा रहा है. काफी लंबे समय से कांग्रेस यूपी की सत्ता से बाहर है ऐसे में वह देश में अपनी साख बचाने और अपने अस्तित्व को मजबूत करने के लिए प्रदेश में अपना पूरा दम लगाए बैठी है. राजनीतिक जानकारों की माने तो अगर कांग्रेस इसी रफ़्तार और इसी अंदाज में जनता और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को उठाती रही तो कांग्रेस के लिए आगामी चुनाव में नतीजे लाभकारी होंगे. कुछ लोग तो ये भी कह रहे हैं कि कांग्रेस इसी अंदाज में अगर चुनाव लड़ती है तो इसमें कोई दोराय नहीं कि वह किंगमेकर की भूमिका में आ जाए.
ऐसे में बीजेपी और योगी सरकार को जल्द से जल्द प्रियंका गांधी का तोड़ निकालना पड़ेगा. कोई कहे या न कहे लेकिन प्रदेश में फिलहाल सरकार के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी अपने चरम पर है. योगी आदित्यनाथ ये भली भांति जानते हैं कि इस बार की चुनावी जीत के लिए सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम ही काफी नहीं होगा बल्कि इससे भी कुछ अलग हटकर करना होगा. सूत्रों की माने तो बीजेपी आलाकमान और सीएम योगी के बीच पिछले कुछ समय से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था. लेकिन सामने दिखती हार के बाद योगी आदित्यनाथ थोड़ा पीछे हट गए हैं. अब देखना ये होगा कि प्रदेश की सत्ता का ये सियासी ऊंट किस और बैठेगा!