पाॅलिटाॅक्स न्यूज़. 2019 के लोकसभा चुनाव संग्राम के दौरान एन वक्त पर कांग्रेस महासचिव बनाई गईं प्रियंका गांधी हमेशा चर्चा का केंद्र रहती हैं. राहुल गांधी की राजनीतिक असफलताओं के बीच कांग्रेसजनों के लिए प्रियंका आशा और विश्वास दोनों की एक किरण हैं. कांग्रेस नेता मानते हैं कि प्रियंका गांधी राजनीतिक दृष्टि से कहीं ज्यादा तेजतर्रार और समझदार हैं. वहीं कई तो प्रियंका में इंदिरा गांधी का अक्स भी देखते हैं. इसकी खास वजह भी है, प्रियंका गांधी का राजनीतिक अंदाज, परिपक्वता से दिए गए उनके बयान और लोगों में प्रियंका गांधी के प्रति आकर्षण ही इसकी खास वजह है.
अभी वर्तमान में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को लेकर देशभर में चर्चा है कि प्रियंका राज्यसभा जा रहीं हैं. प्रतिदिन किसी ना किसी राज्य से प्रियंका गांधी का नाम लिया जाता है, कि प्रियंका इस राज्य से राज्यसभा जा रहीं हैं कभी किसी दूसरे राज्य से. पॉलिटॉक्स ने अपने राजनीतिक विश्लेषण के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि प्रियंका गांधी राज्यसभा नहीं जाएंगी, बल्कि पहले से और ज्यादा अपना ध्यान सिर्फ और सिर्फ उत्तरप्रदेश की राजनीति पर केंद्रित करेंगी.
26 मार्च को होगा राज्यसभा की 55 सीटों के लिए चुनाव
बता दें, केंद्रीय चुनाव आयोग ने 17 राज्यों की 55 राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को होगा चुनाव की घोषणा मंगलवार को कर दी है. जिसमें महाराष्ट्र की 7, तमिलनाडु की 6, बिहार और पं.बंगाल की 5-5, मध्यप्रदेश की 3, छत्तीसगढ़ की 2, झारखंड की 2 और राजस्थान की 3 सीट शामिल है, इन राज्यों की राज्यसभा सीटों के लिए 6 मार्च को अधिसूचना जारी होगी. वहीं नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 13 मार्च होगी.
ऐसे में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद राज्यसभा में जाने के लिए नेताओं में होड़ शुरू हो गई है. इन राज्यों से प्रदेश के नेताओं के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने लॉबिंग शुरू कर दी है. वहीं मीडिया में आई खबरों के मुताबिक ये सभी राज्य चाहते हैं कि प्रियंका गांधी उनके राज्य से राज्यसभा की सांसद बन जाएं. इसके लिए राज्यों के प्रभावशाली नेता प्रयास भी कर रहे हैं. लेकिन यह चर्चा केवल राज्य स्तर तक ही सिमटी हुई है.
कांग्रेस के केंद्रीय स्तर के नेताओं के बीच प्रियंका के राज्यसभा में जाने को लेकर किसी तरह की कोई चर्चा नजर नहीं आ रही है. खुद प्रियंका गांधी से जुडे नेताओं की ओर से भी ऐसे कोई संकेत नहीं मिल रहे कि प्रियंका गांधी राज्यसभा में जाएंगी. बहरहाल जो भी है, फिलहाल कांग्रेस की पहली और दूसरी कतार में खडे कई कांग्रेस नेताओं के मुंह में राज्यसभा सांसद बनने की लिए लार जरूर दिखाई दे रही है. आए दिन किसी न किसी नेता का नाम अखबारी सुर्खियां बन रहा है. हालांकि कांग्रेस के केंद्रीय स्तर पर राज्यसभा के नामों को लेकर कोई चिंतन और मंथन के लिए बैठक नहीं हुई है लेकिन राज्यसभा में जाने के इच्छुक नेता मीडिया से रसूखात के चलते अपने-अपने नाम खबरों और सोशल मीडिया पर प्रमुखता से चलवा रहे हैं, तो वहीं कुछ मीडिया संस्थान अपने स्तर पर ही कयास लगाकर न्यूज चला रहे हैं.
खैर, बात चल रही है कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की और सवाल उठ रहा है कि क्या प्रियंका गांधी छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान या झारखंड में से किसी राज्य से राज्यसभा सांसद बनेंगी, इसका जवाब दिल्ली में कांग्रेस के गलियारों से आ रहा है. जहां फिलहाल प्रियंका गांधी को लेकर ऐसी कोई चर्चा नहीं है. प्रियंका गांधी के राज्यसभा में जाने को लेकर न तो कांग्रेस की केंद्रीय टीम में कोई चर्चा है और न ही प्रियंका गांधी से जुडी टीम में इसकी कोई चर्चा है. हां, यह बात सही है कि हर राज्य चाहता है कि प्रियंका गांधी उनके राज्य से ही राज्यसभा जाएं.
आखिर क्यों नहीं जाएंगीं प्रियंका राज्यसभा
अब सवाल यह है कि प्रियंका गांधी बतौर राज्यसभा सांसद किसी भी राज्य से क्यूं नहीं जाना चाहती, जानकारों के अनुसार इस सवाल का जवाब है, उत्तर प्रदेश. कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने अपना सारा ध्यान उत्तरप्रदेश की राजनीति पर केंद्रीत कर रखा है. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें है जो कि पूरे देश में सर्वाधिक है. वहीं राज्य सभा की 31 सीटें हैं. केंद्र पर जब भी किसी पार्टी ने सरकार बनाई है तो उस सरकार में उत्तर प्रदेश की भूमिका सबसे अहम रही है. यूपी से ही पहले कांग्रेस फिर बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला, हमेशा उत्तर प्रदेश ही निर्णायक ही रहा. प्रियंका गांधी के किसी अन्य राज्य से राज्यसभा में ना जाने से जुडे सवाल का जवाब उत्तरप्रदेश की राजनीतिक शक्ति में ही छिपा हुआ है.
कांग्रेस और गांधी परिवार का उत्तरप्रदेश से गहरा नाता रहा है. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले की फूलपुर से तीन बार सांसद बने. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने फूलपुर को अपना संसदीय क्षेत्र बनाया और बड़ी आसानी से तीन बार जीत दर्ज की. पंडित नेहरू ने यहां से 1952, 1957 और 1962 में चुनाव जीता था. इसके बाद इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट से चुनाव लडा. उनके पति फिरोज गांधी भी रायबरेली सीट से चुनाव लडकर सांसद बने. बाद में राजीव गांधी ने भी उत्तरप्रदेश की अमेटी सीट से चुनाव जीता. यहीं से उनकी पत्नि सोनिया गांधी सांसद बनीं. फिर इसके बाद सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी भी अमेटी सीट से सांसद रहे. हालांकि 2019 के चुनाव में गांधी परिवार की परंपरागत मानी जाने वाली इस सीट को भी भाजपा ने छीन लिया और राहुल गांधी को भाजपा की स्मृति इरानी से हार का सामना करना पड़ा.
बात करें 2019 के लोकसभा चुनाव की तो कमोबेश पूरे देश में चली पीएम मोदी की शांत लहर के चलते कांग्रेस को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा. खास तौर से उत्तर प्रदेश में, जहां की चुनाव कमान खुद प्रियंका गांधी ने संभाल रखी थी, लेकिन यह भी सही है कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को एन मौके पर मैदान में उतार कर उत्तरप्रदेश जैसे राज्य की बडी भारी जिम्मेदारी दी थी.
बता दें, लोकसभा चुनाव की लगातार दूसरी करारी हार के बाद एक बार तो लगा कि कांग्रेस का नामों निशान ही समाप्त हो जाएगा. लेकिन उसके बाद देश के विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों में कांग्रेस की वापसी के बाद एक बार फिर कांग्रेस में जान आ गई है. अब कांग्रेस नई रणनीति के साथ भाजपा का मुकाबला कर रही है. छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद झारखंड की सत्ता में आने के बाद कांग्रेस में एक बार फिर सियासी संग्राम के लिए संचार हुआ है. इन सभी में पर्दे के पीछे ही सही, प्रियंका गांधी की खास भूमिका रही है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कांग्रेस को इन्हीं विपरीत स्थितियों से उभारने में जुटीं हैं. प्रियंका गांधी ने अपनी राजनीति का केंद्र उत्तर प्रदेश को बना रखा है. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश की हर एक घटना को प्रियंका बड़ा मुद्दा बनाकर जनता के सामने रख रही हैं और योगी सरकार की नीतियों पर जमकर हमले बोल रही हैं. यही नहीं हादसे या अन्य घटनाओं से पीडित लोगों से मिलने उनके घरों तक जा रही हैं.
देश की राज्यसभा की सीटों के लिहाज से देखा जाए तो इस साल 2020 में देशभर में राज्यसभा के 69 सांसद रिटायर हो रहे हैं और पहले से खाली चार सीटों को मिलाकर 73 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. राज्यसभा में 82 सांसदों की हैसियत रखने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 18 सांसद इस साल रिटायर होने वाले हैं. इनमें से 14 सांसदों का कार्यकाल अप्रैल, जून और नवंबर में पूरा होगा. वहीं कांग्रेस के 17 सांसदों का कार्यकाल भी इस साल समाप्त होगा. इनमें से 11 का कार्यकाल अप्रैल में, तीन का जून में, एक जुलाई में और दो नवंबर में रिटायर होंगे.
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गौरतलब है कि अगले कछ महीनों में महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना से राज्यसभा सांसद चुने जाने हैं, इन सभी राज्यों में भाजपा की स्थिति मजबूत नहीं है. वहीं इस साल बीजेपी के रिटायर होने वाले 18 सांसदों में 10 अकेले उत्तर प्रदेश से हैं. यूपी में बीजेपी के पास भारी बहुमत है, इसलिए इसमें से नौ सीटें बीजेपी आसानी से जीतेगी, एक सीट पर गुणा भाग चलेगा.