Politalks.News/Maharashtra. ‘आप की तरह, शिवसेना भी मेरी मां है, मुझ पर अपनी मां से विश्वासघात करने का दबाव था, मुझे सरकार के खिलाफ नहीं बोलने और ऐसा नहीं करने पर कीमत चुकाने की धमकी दी जा रही थी, मैं इन धमकियों के आगे झुका नहीं, इस वजह से आज आपसे दूर हूं,’ ये कहना है शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत का. महाराष्ट्र में पात्रा चाल घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में चल रहे शिवसेना नेता संजय राउत ने जेल से अपनी मां को लिखे इस पत्र में अपनी बात कही. मराठी में लिखे गए इस पत्र में संजय राउत ने कहा कि, ‘ये सभी जानते हैं कि मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए है और धमकाकर बयान दिलाए गए.’ संजय राउत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, ‘शिवसेना को बचाने के लिए, टिकाने के लिए लड़ना पड़ेगा. हर बार वीर शिवाजी जन्म लें, लेकिन पड़ोस के घर में. ऐसा क्यों होना चाहिए?’
दरअसल शिवसेना नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय राउत को प्रवर्तन निदेशालय ने मुंबई स्थित पात्रा ‘चॉल’ के पुनर्विकास में हुई कथित अनियमितता से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एक अगस्त को गिरफ्तार किया था. संजय राउत फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. ईडी का आरोप है कि चॉल पुनर्विकास या गोरेगांव में किराए का घर दिलाने के नाम पर 1,034 करोड़ रुपये की अनियमितता की गई और इससे जुड़े पैसों के लेनदेन में कथित तौर पर राउत की पत्नी और उनके सहयोगी संलिप्त हैं. इसी बीच संजय राउत ने जेल की सलाखों के पीछे से अपनी मां सविता राजाराम राउत को एक भावुक पत्र लिखा. इस दौरान संजय राउत ने कहा कि, ‘मां अपना ध्यान रखना. जब तक मैं वापस न आ जाऊं, उद्धव व असंख्य शिवसैनिक ही तुम्हारे बेटे हैं.’
संजय राउत ने अपने पत्र में लिखा कि, ‘जैसी तू मेरी मां है, वैसे ही शिवसेना भी हम सबकी मां है. मां के साथ गद्दारी करने का मुझ पर दबाव था. मुझे धमकी दी गई थी कि सरकार के खिलाफ मत बोलो. महंगा पड़ेगा, लेकिन ऐसी धमकियों की मैं परवाह नहीं करता. इसीलिए आज मैं तुमसे दूर हूं. लेकिन मैं जल्द ही वापस आऊंगा.’ आठ अगस्त को अपनी मां को लिखे गए इस पत्र में संजय राउत ने कहा कि, ‘आज राज्य षडयंत्रकारियों के हाथ लग गया है. वे शिवसेना के अस्तित्व और महाराष्ट्र के गौरव को कुचलना चाहते हैं. महाराष्ट्र और हमारे देश की आत्मा को इतनी आसानी से नहीं मारा जा सकता. देश के लिए लड़ रहे हजारों सैनिक सीमा पर खड़े हैं और महीनों घर नहीं आते. कुछ कभी नहीं आते. लड़ाई में ऐसा ही होता है. मैं भी अन्याय के आगे नहीं झुक सकता. मैं अन्याय के खिलाफ लड़ रहा हूं. इसलिए मुझे तुमसे दूर जाना पड़ा. क्या मुझे आपसे ही ये आत्मबल नहीं मिला ?’
वहीं शिवसेना में हुई बगावत का जिक्र करते हुए संजय राउत ने कहा कि, ‘भुजबल, राणे के शिवसेना छोड़ने के बाद भी मैंने आपका गुस्सा देखा है. अब फिर जब शिंदे नाम का एक गुट फूट पड़ा और उद्धव ठाकरे पर हमला करने लगा, ‘कुछ करो, शिवसेना को बचाओ!’ आप ही थे जिन्होंने ऐसा कहा था. ‘ये लोग क्यों टूट गए? वे क्या चाहते थे? आप भी खबर देखकर ऐसा सवाल पूछ रही थीं. शिवसेना को बचाने के लिए हमें लड़ना होगा. वीर शिवाजी हर बार पड़ोसी के घर क्यों पैदा होते हैं? ये यक्ष प्रश्न है. मैंने तुमसे धनुष सीखा. यह आप ही थे, जिन्होंने हमारे मन में यह बात बैठा दी कि हमें कभी भी शिवसेना और बालासाहेब के साथ बेईमानी नहीं करनी चाहिए.’
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आपको बता दें कि जबसे बीजेपी और शिवसेना अलग हुए हैं तबसे संजय राउत ने केंद्र की मोदी सकरार को घेरने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा. उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास आघाडी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाम लिए बिना कहा कि एक शक्ति शिवसेना का खात्मा करना चाहती है और महाराष्ट्र के स्वाभिमान को रौंदना चाहती है. ऐसी परिस्थितियों में मूकदर्शक और गुलाम जैसा रहना मुश्किल है. उकांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता रोहित पवार को परेशान किया जा रहा है. लेकिन इससे क्रांति होगी और लोकतंत्र का फिर से जन्म होगा.’