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लग रहा है कि कर्नाटक की सियासत कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के सितारे पहले से ही गर्दिश में हैं. वहीं डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार भी कई मामले चल रहे हैं. इसी बीच दबी कुचली आवाज में सामने आ रहा है कि कर्नाटक में एक बार फिर ऑपरेशन लोट्स चलाने की कोशिशें की जा रही है. आरोप लगाया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक में कांग्रेस के 50 विधायकों को खरीदने की चाहत रखती है. यह भी कहा जा रहा है कि हर विधायक को 100 करोड़ रुपए ऑफर किए जा रहे हैं. पार्टी के कुछ विधायकों को एप्रोच भी किया गया है ताकि सत्ताधारी कांग्रेस की सरकार को गिराया जा सके.

कर्नाटक की मांड्या सीट से विधायक कांग्रेस विधायक रविकुमार गौड़ा ने बीजेपी पर राज्य की कांग्रेस सरकार गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. गौड़ा ने कहा, ‘दो दिन पहले (23 अगस्त) को मुझे फोन करके 100 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया था. भाजपा के लोग 50 विधायक खरीदना चाहते थे, लेकिन मैंने मना कर दिया.’ गौड़ा ने यह भी कहा कि बीजेपी के दलाल हर दिन कांग्रेस के विधायकों से मिल रहे हैं. बीजेपी ने ऑफर को 50 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दिया है.

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कांग्रेस विधायक रविकुमार गौड़ा ने आगे कहा कि बीजेपी राज्य में ऑपरेशन लोटस चला रही है. उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी और केंद्रीय मंत्री एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी पर पदासीन कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए काम करने का आरोप लगाया है. जेडीएस प्रमुख कुमारास्वामी इस समय एनडीए गठबंधन में शामिल हैं.

बता दें कि विधायक गौड़ा ने अक्टूबर 2023 में भी दावा किया था कि एक टीम कांग्रेस विधायकों को 50 करोड़ रुपए और मंत्री पद की पेशकश के साथ लुभाने की कोशिश कर रही थी. उन्होंने कहा था कि उन्होंने चार विधायकों से संपर्क किया है और हमारे पास इसके सबूत हैं.

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गौरतलब है कि 2018 में भी विस चुनाव के बाद कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर कर्नाटक में सरकार बनाई थी. कम सीटे आने के बावजूद जेडीएस के कुमारास्वामी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. एक साल बाद बीजेपी के ऑपरेशन लोट्स चलाने के बाद कांग्रेस के 13 और जेडीएस के तीन विधायकों के इस्तीफा देने से सरकार अल्पमत में आकर गिर गयी. इसके बाद बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा राज्य के मुख्यमंत्री बन बैठे. सियासी गलियारों में खबर है कि इस बार भी ऐसा ही कुछ होने की तीव्र संभावना बन रही है. अब देखना ये होगा कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे सिद्दारमैया किस तरह से सरकार बचाने में सफल साबित होते हैं.

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