Bihar politics: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) के ‘पोल खोल अभियान’ से बिहार में सियासी भूचाल आ गया है. बीते कुछ खुलासों के बाद बिहार सरकार के कई विधायक, मंत्री और सचिव स्तर के कई वरिष्ठ अधिकारियों की अब नींद गायब हो गई है. पीके के ‘जिन लोगों ने बिहार का लूटा उसको छोड़ेंगे नहीं, आज नहीं तो छह महीने के बाद वे भ्रष्ट अफसर और नेता जेल जाएंगे’ के ऐलान के बाद अफसरशाही के भी पसीने छूट रहे हैं. छोटे मोटे खुलासे के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के नेता और नीतीश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं. पीके ने दिल्ली में एक फ्लैट खरीद और महंगे दाम पर एंबुलेंस खरीदने को लेकर हमला बोल दिया है. मामले में बिहार के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का नाम भी सामने आ रहा है.
पीके ने आरोप लगाया कि कोरोना काल में जायसवाल के घूस के दिए पैसों से पांडे्य ने अपनी पत्नी के नाम पर राजधानी के द्वारका में फ्लैट खरीदा. बाद में जायसवाल के मेडिकल कॉलेज को सरकार ने डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया. प्रशांत ने आरोपों की बंदूक तानते हुए कहा कि मंगल 2019 तक जायसवाल के मेडिकल कॉलेज को डिग्री देने का अधिकार नहीं था. बीएन मंडल यूनिवर्सिटी के जरिए डिग्री दिया जाता था. ऐसे में दिलीप जायसवाल से पैसा लेकर फ्लैट खरीदा गया और बदले में मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी बना दिया गया. जो मेडिकल कॉलेज 20 साल से डिग्री नहीं दे पा रहा था, वो उसके बाद सीधे डिग्री देने लगा.
एंबुलेंस खरीदने के टेंडर पर भी सवाल
प्रशांत किशोर ने मंगल पांडेय और बिहार के मुख्य सचिव बनने जा रहे आईएएस अफसर प्रत्यय अमृत से महंगे दर पर एंबुलेंस खरीदने पर भी जवाब मांगा है. उन्होंने कहा कि 2022 में सरकार ने 1000 एंबुलेंस खरीदने का टेंडर जारी किया. टाइप सी के 446 एंबुलेंस 19.58 लाख रुपये की दर से खरीदे गए और 534 एडवांस लाइफ सपोर्ट वाले अलग. अप्रैल 2025 में 222 और खरीदा गया. तीन साल में इसका दाम बढ़कर 27.47 लाख हो गया. एक एंबुलेंस की कीमत 7.90 लाख बढ़ा दी गई.
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यही टाइप सी एंबुलेंस ओडिशा में दो महीने पहले 16 लाख में खरीदी. उत्तर प्रदेश सरकार ने बी टाइप की 2500 एंबुलेंस 12 लाख में खरीदी जबकि बिहार में वही एंबुलेंस 27.47 लाख में खरीदी जा रही है. पीके ने ये भी कहा कि टेंडर में शर्त थी कि उसी कंपनी को यह ठेका मिलेगा जिसका हर जिले में एक सर्विस सेंटर हो. फोर्स कंपनी से एंबुलेंस खरीदी गई जिसकी केवल चार या छह जिले में ही सर्विस सेंटर है. इस बात के लिए कंपनी पर ऐक्शन लेने के बदले उससे 222 एंबुलेंस बढ़े हुए दाम पर खरीद कर फर्जीवाड़ा किया गया.
प्रशांत किशोर ने ये भी बताया कि बिहार में आयुष्मान कार्ड के तहत दिलीप जायसवाल के अस्पताल से सबसे ज्यादा निकासी हुई है. आयुष्मान योजना का बिहार में जो मुखिया है वो पहले मंगल पांडेय का पीएस था. पीके के इन आरोपों के चलते मंत्री महोदय की जान सकते में आ गयी है. वहीं इस तरह के खुलासों के बाद बिहार में विधानसभा चुनावों के बीच राजनीतिक हलकों में एक बार फिर से प्रशांत किशोर की चर्चा जोरशोर से हो रही है.
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त मुहिम पर पीके
दरअसल चुनावी रणनीति के धुरंधर माने जाने वाले पीके ने अब भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त मुहिम शुरू किया है, जो न केवल बिहार की राजनीति में भूचाल ला रही बल्कि कई बड़े नेताओं और अफसरों के लिए मुश्किलें भी खड़ी कर रही है. माना जा रहा है कि बिहार सरकार के कई विभागों में तैनात भ्रष्ट अधिकारियों की फाइलें पीके को बैकडोर से पहुंच गई है. इसमें कई मौजूदा और पूर्व मंत्री के साथ-साथ कई आईएएस अधिकारी की दोस्ती और बीते 10 सालों में उनके कारनामों की पूरी लिस्ट है.
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पीके का दावा है कि पिछले कुछ महीनों में उन्होंने भ्रष्टाचार की गहरी तहकीकात की है और भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के कई ठोस सबूत जुटा लिए हैं. इन सबूतों के आधार पर वे अगले कुछ दिनों में भ्रष्टाचार के बड़े खेल को उजागर करेंगे, जिसमें सरकार और प्रशासन दोनों के कुछ नामी नेता और अधिकारी शामिल होंगे.
आगामी दिनों में फूटेगा नया बम
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पीके की यह मुहिम बिहार के राजनीतिक समीकरणों को बदल सकती है. कुछ नेताओं को अपने पद और प्रतिष्ठा की चिंता सताने लगी है, तो कुछ अफसर भी इस अभियान को लेकर सतर्क हो गए हैं. बिहार की जनता ने भी पीके की ‘न्याय और पारदर्शिता’ मुहिम को सराहा है. माना यही जा रहा है कि भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाकर पीके अब सत्ता और विधानसभा का रास्ता भी तलाश रहे हैं. अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में प्रशांत किशोर कौनसा नया बम फोड़ने वाले हैं.



























