Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है. बढ़ते बिजली के बिलों के बीच कटौती प्रदेश में कोढ़ के खाज का काम कर रही है. प्रदेश में अघोषित कटौती से लोग परेशान हैं. तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसको लेकर गंभीर हैं. सीएम गहलोत ने बिजली की पर्याप्त उपलब्धता की तैयारियों की समीक्षा की है. कोयले की कमी के चलते प्रदेश में बिजली संकट गहराया है. मानसून में हुई जोरदार बारिश से कोयला खदानों में पानी भर जाने के कारण पूरे उत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से कोयला उपलब्धता का संकट आया है. इस संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री निवास पर वीसी के माध्यम से आयोजित बैठक में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता की तैयारियों की समीक्षा की. प्रदेश में गहराये बिजली संकट पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गहलोत सरकार पर निशाना साधा था औऱ इसे गहलोत सरकार का फैल्योर बताया था. मैडम राजे ने कहा था कि ‘जो घरेलू बिजली हमारे सरकार के कार्यकाल में 24 घंटे मिला करती थी, वहीं आज गांवों में 24 मिनट भी नहीं मिल रही है’. राजनीति अपनी जगह लेकिन बिजली कटौती ने आमजन के हाल बेहाल कर रखे हैं.
कोयला खदानों में पानी भरने से गहराया संकट
बिजली संकट प्रदेश ही नहीं पूरे देश में है. कोयला खदानों में पानी भरने से उपजे इस संकट के कारण प्रदेश में थर्मल पॉवर प्लांट्स की कुछ इकाइयां अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही हैं. ऐसे में आमजन को बिजली बचत के लिए जागरूक किया जाए. बिजली संकट के कारण ग्रिड में बिजली की कमी है. पवन ऊर्जा प्लांट्स से भी स्थापित क्षमता से कम बिजली मिल रही है.
सीएम ने की बिजली बचत के तरीके अपनाने की अपील
मुख्यमंत्री गहलोत ने आह्वान किया कि, ‘देश में गहराए कोयला संकट एवं पर्याप्त कोयला नहीं मिलने से थर्मल पावर प्लांट से बिजली उत्पादन क्षमता में आई कमी के बारे में आमजन को जागरूक किया जाए ताकि बिजली की बचत के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाए. अधिकारी आगामी दिनों में बिजली की मांग एवं उपलब्धता के आधार पर आपूर्ति के संबंध में कार्य योजना बनाएं. विद्युत संकट को देखते हुए उपभोक्ताओं से बिजली बचत के तरीके अपनाने की अपील है’.
मुख्यमंत्री की वीसी के दौरान मुख्य सचिव निरंजन आर्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा सुबोध अग्रवाल, जयपुर डिस्कॉम के एमडी नवीन अरोड़ा, जोधपुर डिस्कॉम, अजमेर डिस्कॉम के एमडी सहित ऊर्जा विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे.
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कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करें- सीएम गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीसी में ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि, ‘छत्तीसगढ़ जाकर वहां स्थित कोल ब्लॉक्स में कोयले की वर्तमान उपलब्धता और प्रदेश की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कोयला उपलब्ध हो इसकी निरन्तर मॉनिटरिंग करें. केन्द्रीय अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर पर्याप्त मात्रा में कोयला रैक की आपूर्ति सुनिश्चित करें ताकि हमारे थर्मल पॉवर प्लांट्स का सुचारू संचालन हो सके. उपभोक्ताओं को जरूरत के अनुसार बिजली आपूर्ति सुचारू रखने के लिए थर्मल पॉवर प्लांट्स का कार्यशील रहना जरूरी है.
राज्य के लिए आवंटित कोटे के अनुरूप हो कोयला उपलब्ध- बीडी कल्ला
इधर मुख्यमंत्री गहलोत की इस बैठक में ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने बताया कि, ‘केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से बातचीत के दौरान उनसे प्रदेश को आवंटित कोटे के अनुरूप कोयला प्रतिदिन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है’. डॉ. कल्ला ने बताया कि, ‘केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने केन्द्रीय कोयला मंत्री और कोयले की उपलब्धता की मॉनिटरिंग के लिए बनाए उप-समूह से चर्चा कर राजस्थान को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रयास करने का आश्वासन दिया है’
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12500 मेगावाट की मांग, उपलब्ध हैं 8500- भास्कर ए सावंत
चेयरमैन डिस्कॉम्स भास्कर ए सावंत ने वीसी में बिजली आपूर्ति की वर्तमान स्थिति पर एक प्रजेंटेशन दिया. भास्कर एक सावंत ने बताया कि, ‘मौसम में हुए परिवर्तन से गर्मी एवं उमस बढ़ी है. ऐसे में दोपहर 3 बजे बाद बिजली की मांग काफी बढ़ गई है. आज की स्थिति में प्रतिदिन औसत मांग 12500 मेगावाट की है, जबकि औसत उपलब्धता 8500 मेगावाट ही है. प्रदेश में 4 अक्टूबर के बाद से बिजली का उपभोग बढ़ा है, लेकिन थर्मल पॉवर प्लांट्स के पूरी क्षमता से काम नहीं करने के कारण उपलब्धता घट रही है, मांग एवं उपलब्धता में प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से रात्रि 12 बजे तक 2500 मेगावाट से अधिक का अंतर आ गया है. ऐसे में पिछले दो दिन से मजबूरीवश रोस्टर से बिजली कटौती की जा रही है. जिन क्षेत्रों में कटौती हो रही है, उसके बारे में लोगों को समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी
उपलब्ध कराई जाएगी’.
प्रतिदिन 11 रैक कोयले की आवश्यकता, मिल रही 7.50 रैक- भास्कर
भास्कर ए सावंत ने बताया कि, ‘कोल इंडिया लि. की सब्सिडिरी इकाइयों एनसीएल और एसईसीएल द्वारा प्रदेश की जरूरतों की अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. प्रतिदिन करीब 11 रैक कोयले की आवश्यकता के मुकाबले अभी 7.50 रैक कोयला मिल रहा है. इसका असर थर्मल पॉवर प्लांट्स की क्षमता पर पड़ा है. सूरतगढ़ थर्मल पॉवर प्लांट में 1250 मेगावाट प्रतिदिन उत्पादन कम हो रहा है’. सावंत ने बताया कि, ‘राजस्थान को एक अक्टूबर से एनसीएल द्वारा 5 रैक प्रतिदिन एवं एसईसीएल द्वारा 2 रैक प्रतिदिन आवंटित की गई हैं. 1 से 5 अक्टूबर तक एनसीएल द्वारा औसतन 4 रैक प्रतिदिन एवं एसईसीएल द्वारा प्रतिदिन आधी रैक से भी कम रवाना की गई हैं.
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कोयला खदानों में पानी भरना सबसे बड़ी वजह
राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी आर के शर्मा ने बताया कि, ‘बारिश देरी से होने के कारण कोयला खदानों में पानी भरना कोयला उत्पादन कम होने की मुख्य वजह है. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम द्वारा एसईसीएल से 3800 मीट्रिक टन यानी एक रैक कोयला प्रतिदिन सड़क एवं रेलमार्ग के माध्यम से उठाया जा रहा है.
बिजली संकट को वसुंधरा राजे ने बताया गहलोत सरकार का फैल्योर
गहराते बिजली संकट को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गहलोत सरकार का फैल्योर बताया है. इस पूरे हालात पर वसुंधरा राजे ने कहा है कि, ‘प्रदेशवासियों को बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित रखना साफ़तौर पर राज्य सरकार का फ़ेल्योर है’. बिजली संकट पर मैडम राजे ने कहा कि, ‘जो घरेलू बिजली हमारे सरकार के कार्यकाल में 24 घंटे मिला करती थी, वहीं आज गांवों में 24 मिनट भी नहीं मिल रही है. गांवों में ही नहीं बिजली कटौती से शहरों में भी आमजन परेशान हैं. राजस्थान के कई बिजली घर बंद हैं और कई बंद होने की स्थिति में आ गए हैं. प्रदेश में आज विद्युत संकट गहरा गया है. इस कारण हमारे उद्योग तो प्रभावित हो ही रहे हैं, किसानों की खेती और बच्चों की पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ रहा है’. मैडम राजे ने गहलोत सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा कि, ‘इन सब से एक बात तो स्पष्ट है कि हमारे समय में दाम कम बिजली फुल थी. लेकिन अब दाम ज्यादा और बिजली गुल है.