पॉलिटॉक्स ब्यूरो. भारत सरकार ने पोर्न वेबसाइट्स (Porn sites) पर पूरी तरह रोक लगाने से हाथ खड़े कर दिए हैं. हालांकि सरकार इस दिशा में हरसंभव कोशिश कर रही है लेकिन पूर्ण प्रतिबंध मुमकिन नहीं है. इस बात की जानकारी केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दी. प्रसाद ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पोर्न वेबसाइटस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने के संबंध में लिखे पत्र के बाद ये जानकारी दी.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तर्क दिया कि अगर सरकार एक वेबसाइट को बैन करती है, तब तक लोग दूसरे नाम से वेबसाइट बनाकर संचालन शुरु कर देते हैं. हालांकि उन्होंने सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर चिंता जताई. सोशल मीडिया पर पोर्नोग्राफी के मुद्दे व बच्चों पर इसके प्रभावों की पड़ताल कर रहे राज्यसभा के एक पैनल को सरकारी अधिकारियों ने बताया, ‘वाट्सएप और सिग्नल जैसे प्लेटफार्म एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का हवाला देते हुए कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ सहयोग नहीं करते हैं. यहां तक की कानून के तहत किए गए अनुरोध का भी सम्मान नहीं करते.
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मंत्रालय के अधिकारियों ने ये भी कहा कि उन्हें पोर्नग्राफी (Porn sites) के मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म से जानकारी जुटाने में कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. जब इन पोर्न वेबसाइट्स की सूचना या जांच की बात कही जाती है तो जवाब आता है कि वे फलाना फलाना देश के कानून से संचालित हैं.
बता दें, सांसदों का यह पैनल सोशल मीडिया पर पोर्नोग्राफी के मुद्दे और बच्चों पर इसके प्रभावों की पड़ताल कर रहा है. उप राष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने बच्चों और समाज पर पोर्न वेबसाइट्स (Porn sites) के प्रभाव के मुद्दों पर एक पैनल का गठन किया था. इस पैनल में 10 राजनीतिक दलों के 14 सदस्य शामिल हैं. पैनल में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, दूर संचार नियामक ट्राई और सोशल मीडिया प्लेटफार्म से इस बारे में चर्चा की गई है.
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गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इंटरनेट पर उपलब्ध पोर्न साइट्स (Porn sites) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. उन्होंने तर्क दिया था कि इन साइट्स से प्रभावित बच्चों और कम उम्र के युवाओं के जरिए महिलाओं के प्रति अपराधों में इजाफा हो रहा है.
उन्होंने ये भी लिखा कि इंटरनेट पर लोगों की असीमित पहुंच के कारण बड़ी संख्या में बच्चे और युवा अश्लील, हिंसक और अनुचित सामग्री देख रहे हैं. इसके प्रभाव के कारण भी कुछ मामलों में ऐसी घटनाएं घटित होती हैं, जिसमें दुष्कर्म की घटनाओं का वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर प्रसारित कर दिए जा रहे हैं. विशेष रूप से बच्चों और कम उम्र के कुछ युवाओं के मस्तिष्क को इस तरह की साइट्स गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं. इस तरह की साइट्स देखकर युवा अपराध कर बैठते हैं. इसके अलावा ऐसी पोर्न साइट्स (Porn sites) के ज्यादा उपयोग से लोगों की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव पड रहा है. जिससे कई प्रकार की सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. वहीं महिलाओं के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है.
नीतीश कुमार ने पत्र में लिखा, ‘हालांकि इस संबंध में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 (यथा संशोधित 2008) कानून बनाए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के जरिए भी इस संबंध में सरकार को कई दिशा-निर्देश दिए गए हैं लेकिन ये प्रभावी नहीं हो पा रहे. अभिव्यक्ति एवं विचारों की स्वतंत्रता के नाम पर इस तरह की अनुचित सामग्री (Porn sites) की असीमित उपलब्धता उचित नहीं है’. उन्होंने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को भी कड़े निर्देश देने और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से व्यापक जागरूकता अभियान चलाना की आवश्यकता पर भी बल दिया.