पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. विधानसभा में 20 फरवरी को पेश किए गए बजट पर बहस के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपना जवाब पेश किया. इससे पहले बजट बहस में भाग लेते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व आमेर विधायक सतीश पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री जी शायद मोदी फोबिया से ग्रस्त हैं, इसीलिए बजट अभिभाषण की शुरूआत सीएम गहलोत ने जीएसटी और नोटबंदी से की और इस सम्बन्ध में उन्होंने टूटा-फूटा शेर भी अर्ज किया की ‘‘नोटबंदी पर मुंह खोलते नहीं, जीएसटी पर बोलते नहीं’’. इसके जवाब में पूनियां ने शेर पढ़ते हुए कहा कि ‘‘देश के विभाजन की बर्बादी पर वे बोलते नहीं, आपातकाल के झटकों पर मुंह खोलते नहीं, राज के मजे लिए 50 साल, तब महंगाई, भ्रष्टाचार, बेकारी से देश रहा बदहाल, फिर भी करते रहे शासन और कहते रहे हमारा शासन बेमिसाल, यह कैसी फितरत है जादूगर, भोली-भाली जनता को ठगकर भी सच बोलते क्यों नहीं, देश के विभाजन की बर्बादी पर मुंह खोलते क्यों नहीं’’
बजट बहस पर बोलते हुए सतीश पूनियां ने जीएसटी और नोटबंदी पर कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में इसकी चर्चा हुई, उस चर्चा के दौरान इसे क्रांतिकारी कदम कहा गया. नोटबंदी से नकली नोट समाप्त हुए, बैंकों में काला धन जमा हुआ, 99 लाख, 49 हजार नए करदाता बढ़े, सरकारी खजाने में इजाफा हुआ, संदिग्ध खाते बंद हुए. इसके साथ ही इस दौरान दो लाख चोबीस हजार फर्जी कम्पनियां बंद हुई.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बजट में पेश किये गए संकल्प पहला सुख निरोगी काया पर पूनियां ने कहा कि पिछले दिनों हुई कोटा के जेके लोन अस्पताल की घटना से सरकार के चिकित्सा विभाग के प्रति लापरवाही साफ नजर आती है. इस बजट में सीएचसी, पीएचसी और सबसेंटर के बारे में सरकार मौन है. जनता क्लीनिक की इस बजट में घोषणा की है, जो पिछली बार भी की थी, लेकिन जनता क्लीनिक के नाम पर तीन क्लीनिक के उद्घाटन का दिखावा जरूर पिछले दिनों सरकार द्वारा किया गया. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएस को छोड़कर पूरे प्रदेश के अस्पतालों में बेसिक जांच की सुविधाएं नहीं है. मुफ्त दवाओं के नाम पर सिर्फ 14 दवाएं ही उपलब्ध हैं. पूनियां ने आगे कहा कि गुटखे और पानमसाले पर सरकार ने पाबन्दी जरूर लगाई है, लेकिन प्रदेश के युवाओं में पंजाब की तरह नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है. नशे की रोकथाम पर बजट में कोई चर्चा नहीं की.
सतीश पूनियां ने आगे कहा कि इस बजट में सम्पन्न किसान की बात कही गई है. किसानों के लिए दस दिन में सम्पूर्ण कर्जा माफी की बात की गई थी, लेकिन कर्जा माफ नहीं किया गया. सरकार को सदन में इसका जवाब देना होगा. किसानों के लिये अनाज की पचास प्रतिशत भंडारण व्यवस्था भी नहीं की गई. अपराधों की दृष्टि से राजस्थान शर्मसार हुआ है. पहली बार ऐसा हुआ है कि महिला अपराधों की बढोतरी हुई है. इस बजट में महिला अपराधों की रोकथाम के लिये कोई प्रावधान नहीं है. सरकार की जनजाति 2020 की प्रगति रिपोर्ट कहती है कि कल्याण निधि का 55 प्रतिशत खर्च नहीं किया गया. केन्द्रीय सहायता जो जनजातीय क्षेत्र के लिए मिलती है, उसमें सरकार ने 54 प्रतिशत फंड खर्च नहीं किया. कांग्रेस ने वोट बटोरने के लिये बेरोजगारी भत्ते की घोषणा की. प्रदेश में 27 लाख बेरोजगार हैं, लेकिन गहलोत सरकार ने डेढ़ लाख को भत्ता देकर इतिश्री कर ली.
इसके साथ ही सतीश पूनियां ने कहा कि पानी, बिजली और सड़क के मुद्दे पर पिछली सरकार की जल स्वालम्बन योजना का नाम बदलने से उस योजना की क्रियान्विती नहीं हो सकती, जब तक आपकी नीति और नियत स्पष्ट न हो. बिजली के लिए स्कीम निकाली, लेकिन 60 लाख उपभोक्ताओं का जिक्र नहीं किया. बिजली के दाम कैसे सरकार कम करेगी इसका भी जिक्र इस बजट में नहीं किया गया.
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पूनियां ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की योजनाओं को कट, काॅपी, पेस्ट इस बजट में जरूर किया है, लेकिन राजस्थान कौशल विकास का जो आंकड़ा सरकार द्वारा बताया जाता है उसमें सच्चाई नहीं है. इस बजट में राजस्थान के लिये महत्त्वपूर्ण पर्यटन, पर्यावरण, युवा-खेल, नगरीय निकाय और जनजाति विकास के लिये कोई खास प्रावधान बजट नहीं रखा गया है. इस बजट में दलितों, आदिवासियों, बच्चे, बूढ़े, और जवानों के आंसुओं का हिसाब नहीं है. पिछले राज्यपाल महोदय के भाषण से लेकर अब तक इस पूरे सवा साल में 90 प्रतिशत काम ऐसे हैं, जिन पर अमल नहीं हुआ.