पॉलिटॉक्स न्यूज. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में जेल में होने के बावजूद सुर्खियों में रहते हैं. उनके दो बेटे हैं, बड़े तेजप्रताप सिंह जो विधायक हैं. दूसरे तेजस्वी यादव जो बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व निभा रहे हैं. लेकिन इन दिनों लालू के तीसरे बेटे पर बवाल उठ रहा है जिनका नाम है तरूण यादव, जो करोड़ों रुपये की जमीन और संपत्ति का मालिक है. अब सवाल ये उठता है कि लालू के अधिकारिक तौर पर दो ही बेटे हैं तो तरूण यादव कौन और कहां से आ गए. इस पर जदयू ने सवाल उठाते हुए तरूण यादव के बारे में पूछा है कि आखिर कौन हैं तरुण यादव, जिनके नाम पर लालू ने जमीनें खरीदी. जदयू ने ये भी कहा है कि क्या ये लालू के दत्तक पुत्र हैं? अब बिहार में इस पर राजनीति तेज हो गई है. फिलहाल राजद या यादव परिवार की ओर से किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है.
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दरअसल, पटना में जदयू नेता और जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने जमीन खरीद से जुड़े मामले पर लालू और जदयू पर बड़ा आरोप लगाया. नीरज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हुए कहा कि लालू यादव ने नौकरी देने के नाम पर गरीबों से अपने बेटों के नाम कई जमीनें लिखवा लीं. इनमें से कई जमीनें तरुण यादव के नाम लिखवाई गई हैं. पेपर्स में लालू ने तरुण को अपना बेटा बताया है. आखिर ये तरूण यादव कौन हैं और अगर कोई है तो सामने क्यों नहीं आ रहा?
मंत्री नीरज कुमार ने आगे कहा कि दुनिया जानती है कि लालू यादव के दो बेटे तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव हैं. ये तीसरा बेटा तरुण यादव कौन है? वह कहां है? उसे सामने लाना चाहिए और उसको उसका वाजिब हक मिलना चाहिए. नीरज ने कहा कि लालू यादव ने न तो अपने परिवार को छोड़ा और न अपने गांव के लोगों को. लालू ने अपने गांव फुलवरिया के लोगों से जमीन लिखवा ली. कई जमीन ऐसी हैं, जिनके पेपर तेजप्रताप यादव और तरुण यादव के नाम हैं.
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नीरज ने कहा कि तेजप्रताप का जन्म 1989 में हुआ और लालू ने 1993 में तेजप्रताप के नाम जमीन लिखवा दी थी. रजिस्ट्री एक्ट के लिहाज से नाबालिग के नाम जमीन लिखवा रहे हैं तो गार्जियन का नाम देना होता है. लालू ने जमीन तो तेजप्रताप के नाम करवा दी, लेकिन गार्जियन के रूप में अपना नाम नहीं दिया, जो गलत है. जनसंपर्क मंत्री ने कहा कि जमीन खरीद से जुड़े इन दस्तावेजों को देखकर पता चलता है कि लालू ने संपत्ति की हेराफेरी ही नहीं, बल्कि बाल उत्पीड़न जैसा अपराध भी किया है. छोटी सी उम्र में किसी के साथ ऐसा फर्जीवाड़ा करना निश्चित रूप से उत्पीड़न का मामला बनता है.
सरकार में जनसंपर्क मंत्री ने कहा कि लालू ने फुलवरिया गांव के प्रमोद कुमार सिंह से जमीन लेकर तेजप्रताप यादव और तरुण यादव के नाम लिखवाई थी. इस जमीन के पेपर में गार्जियन के रूप में लालू ने अपना नाम लिखा. पेपर पर लालू यादव को तरुण यादव का पिता बताया हुआ है. ऐसे में हमारा मानना है कि उसे लालू यादव का बेटा होने का हक मिलना चाहिए. लालू परिवार को इसका जवाब देना होगा. नीरज ने आगे कहा कि लालू ने इतनी बेनामी संपत्ति अर्जित की है कि उनके बच्चों को भी पता नहीं होगा कि उनकी जमीन कहां-कहां है. अभी तो शुरुआत हुई है. इनकी संपत्ति के राजनीतिक पोस्टमॉर्टम के लिए हम लोग तैयार हैं.