Politalks.News/Modisarkar. मोदी सरकार (Modi Government) का विरोध करने वालों को नकली साबित करने का सरकारी अभियान एक कदम और आगे बढ़ गया है. हाल ही में मोदी सरकार ने अपना 9वां बजट लोकसभा में पेश किया है. इस बजट को लेकर देशभर में आलोचना का दौर जारी है, लेकिन अपने किसी भी निर्णय की आलोचना करने पर उसे झूठा या फर्जी बताने वाली मोदी सरकार के एक मंत्री ने बजट की आलोचना करने पर आम आदमी को ही नकली बता दिया है. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉक्टर भगवत कराड़ (Dr. Bhagwat Krad) ने एक निजी टेलीविजन चैनल से बात करते हुए कहा कि, ‘इस साल का बजट आम आदमी का बजट है और इसलिए जो आम आदमी इसका विरोध कर रहा है वह असली आम आदमी नहीं है‘.
सियासी चर्चा यह है कि, ‘यह पहला मसला नहीं है इससे पहले भी भाजपा नेता मोदी सरकार की किसी भी नीति का विरोध करने वाले अलग-अलग समूहों को असली-नकली का सर्टिफिकेट बांटते रहे हैं. भाजपा की ट्रोल आर्मी और आईटी सेल (BJP IT cell) ने किसान आंदोलन (Farmers Protest), रेलवे भर्ती मामले में छात्रों के आंदोलन, कपड़ा व्यापारियों और डॉक्टरों के नीट पीजी आंदोलन में शामिल लोगों को असली-नकली के सर्टिफिकेट बांटे थे. साथ ही इसको मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की साजिश करार दिया था. मजे की बात यह है कि इन सभी मुद्दों पर फिर सरकार को सरेंडर भी करना पड़ा था.
रेलवे भर्ती का विरोध कर रहे छात्रों को बताया था नकली, विपक्ष की साजिश
याद दिला दें, पिछले दिनों उत्तर प्रदेश और बिहार में रेलवे भर्ती को लेकर परेशान चल रहे छात्रों ने जमकर आंदोलन किया. रेलवे की भर्ती परीक्षा के तरीके और नतीजे को लेकर छात्र विरोध कर रहे थे. ये छात्र इस बात से आंदोलित थे कि चपरासी की बहाली के लिए दो-दो परीक्षाएं ली जा रही हैं. इसका विरोध और आंदोलन बढ़ा तो भाजपा नेताओं ने कहा कि, ‘आंदोलन करने वाले छात्र असली नहीं हैं, यह विपक्ष की साजिश है, जो उसने सरकार को बदनाम करने के लिए रची है‘. अब चर्चा इस बात की है कि हजारों की संख्या में छात्र सड़क पर उतरे थे. तमाम छात्र संगठन आंदोलित छात्रों का समर्थन कर रहे थे और बाद में सुशील मोदी सहित बिहार के भाजपा नेताओं ने भी छात्रों की मांग का समर्थन किया. लेकिन उससे पहले पार्टी ने प्रदर्शनकारी छात्रों को नकली छात्र घोषित कर दिया.
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किसानों को बताया नकली, खालिस्तानी, देशद्रोही, आतंकवादी और मवाली, फिर सरेंडर
वहीं बात करें लगभग एक साल लंबा चले किसान आंदोलन की, तो केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेता आंदोलन कर रहे किसानों को नकली किसान बताते रहे थे. केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को पहले खालिस्तानी बताया गया, फिर देशद्रोही और तक आतंकवादी कहा था. सबसे आगे बढ़ते हुए एक केंद्रीय मंत्री ने तो किसानों को मवाली तक कहा था. पूरे एक साल भाजपा और केंद्र सरकार ने अभियान चलाया कि ये लोग असली किसान नहीं हैं. भाजपा नेताओं ने कहा कि, ‘असली किसान तो खेती कर रहा है और ये भाड़े के लोग हैं, जो विपक्षी साजिश के तहत आंदोलन कर रहे हैं, हालांकि बाद में उन्हीं लोगों के साथ केंद्र ने समझौता किया, कानून वापस लिए और उनसे वादे करके आंदोलन खत्म कराया. यहां तक की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद इन किसानों और बीजेपी की नजर में खालिस्तानियों से माफी भी मांगी थी.
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इतनी जल्दी में क्यों रहती है ट्रोल आर्मी और आईटी सेल?
इसी तरह याद दिला दें, जब व्यापारियों ने आंदोलन किया तो कहा गया कि, ‘ये असली व्यापारी नहीं हैं हालांकि उन्हीं के विरोध के कारण सरकार ने कपड़े पर जीएसटी बढ़ाने का फैसला टाला. पिछले दिनों डॉक्टरों ने नीट पीजी की काउंसिलिंग को लेकर आंदोलन किया तो उसे भी विपक्ष की साजिश कहा गया.
ऐसे में अब जो सियासी चर्चा का मुद्दा है वो यह कि किसान असली नहीं हैं, छात्र असली नहीं हैं, मजदूर और सरकारी कर्मचारी असली नहीं हैं और अब आम आदमी भी असली नहीं है. फिर असली कौन है? भाजपा की ट्रोल आर्मी और आईटी सेल? चर्चा यह है कि आईटी सेल और मोदी सरकार में कोर्डिनेशन का अभाव तो नहीं है जो हर मुद्दे पर असली-नकली का सर्टिफिकेट बांटने की जल्दबाजी रहती है? जब माहौल बनने लगता है और चर्चा शुरू होती है इतने में सरकार का सरेंडर हो जाता है.