Politalks.News/Umabharti. मध्यप्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा जारी है कि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Former Chief Minister Uma Bharti) के तेवर अचानक तीखे क्यों हो गए हैं? क्या शराब दुकान (Liquor Shop) पर पहुंचकर पत्थर मारकर उमा भारती ने जनता के लिए खड़े होने का संकेत दिया है? या एक समय में उग्र और शक्तिशाली नेता रहीं उमा भारती (Uma Bharti) ने ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसा किया? कुछ जानकार तो ये भी कह रहे हैं कि राजनीति की ये संत अब खामोश नहीं रहेंगी. आपको बता दें, इस घटना से पहले उमाभारती प्रदेश में कई बार शराबबंदी (total ban on liquor) के लिए आंदोलन का ऐलान कर चुकी थीं. हालांकि हर बार आंदोलन की डेडलाइन बढ़ती गई. अब उमा भारती की अचानक हुई इस अतिसक्रियता से प्रदेश भाजपा के सामने एक बड़ी समस्या आ पड़ी है. क्योंकि उमा भारती पहले ही यह स्पष्ट रूप से कह चुकी हैं कि वे 2024 का चुनाव लड़ेंगी. ऐसे में मप्र में उनके लिए एक सीट तय करना पार्टी के लिए नई उलझन होगी.
अचानक भारती ने एक शराब की दुकान में जाकर की तोड़फोड़
आपको बता दें कि बीते हफ्ते की शुरुआत में बीजेपी की उमा भारती ने भोपाल में एक शराब की दुकान में तोड़फोड़ की. उनके द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में भारती को शराब की बोतलों पर पत्थर फेंकते हुए दिखाया गया है. एक दिन बाद, उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर बताया कि उन्होंने क्षेत्र में महिलाओं के “सम्मान” की रक्षा के लिए इस काम को अंजाम दिया. उमा भरती राज्य में शराबबंदी की मांग कर रही हैं.
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नए नेताओं ने बढ़ाई उमा भारती की बेचैनी!
सियासी जानकारों की माने तो उमा भारती में असुरक्षा बढ़ रही है क्योंकि नए और मजबूत कैंडिडेट के साथ BJP फल-फूल रही है. बीजेपी के कई नेता मानते हैं कि उमा भारती की असुरक्षा पिछले सालों के दौरान बढ़ी है. क्योंकि कई नए मजबूत नेता सामने आ रहे हैं, जैसे नरोत्तम मिश्रा या भुपेंद्र सिंह. मध्यप्रदेश में कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी टीम को भी उमा भारती से ज्यादा तरजीह दी जा रही है, इससे भी उमा भारती परेशान चल रही हैं.
मध्यप्रदेश में इन सीटों से उमा उतर सकती हैं मैदान में
सियासी जानकार बता रहे हैं कि उमा भारती ने इसके जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है. 2024 में चुनाव लड़ने की बात जहां तक है. उमा भारती एमपी के लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ीं उनमें भोपाल और खजुराहो शामिल हैं. खजुराहो से वर्तमान में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा सांसद हैं. इसलिए यहां से उन्हें प्रत्याशी बनाया जाए यह संभावना कम ही है. राजनीतिक पंडितों की मानें तो भोपाल उमा भारती के लिए मुफीद संसदीय क्षेत्र हो सकता है. यहां अपने विवादास्पद बयानों के कारण चर्चित वर्तमान सांसद से पार्टी का एक खेमा नाराज है. गांधीजी पर दिए बयान के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नाराजगी जताई थी. इसके अलावा एक और संसदीय क्षेत्र नर्मदापुरम (होशंगाबाद) भी उमा भारती के लिए मजबूत क्षेत्र माना जा रहा है. यह संसदीय क्षेत्र भाजपा का गढ़ है. यहां से भाजपा के सरताज सिंह ने कांग्रेस के अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज को शिकस्त दी थी. इसके बाद प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता सुंदरलाल पटवा भी यहां से सांसद रहे. होशंगाबाद में निगम-मंडलों के वर्तमान और पूर्व अध्यक्ष, विधायक उमा भारती के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में उन्हें वहां चुनावी जमीन तैयार मिलने की संभावना जताई जा रही है.
1994 के एक मामले के कारण गई थी उमा भारती की कुर्सी
अपने स्वतंत्र स्वभाव और ‘मनमर्जी’ व्यक्तित्व के लिए जानी जाने वाली, 2003 के चुनावों के दौरान उमा भारती का शानदार उदय हुआ था. उमा भारती ने मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ एक दशक लंबे शासन को समाप्त करने के लिए एक जोरदार अभियान का नेतृत्व किया. कांग्रेस तब से मध्य प्रदेश में सत्ता से बाहर है. हालांकि 2018 में कम समय के लिए पार्टी फिर से सत्ता में लौटी थी. ‘राम जन्मभूमि आंदोलन’ में सक्रिय रूप से शामिल रहीं उमा भारती ने 2003 में मुख्यमंत्री का पद संभाला, लेकिन केवल एक साल के लिए क्योंकि हुबली दंगों के मामले में उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ, जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा यह दंगा 1994 में हुआ था.
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प्रदेश की सीएम और खजुराहो, भोपाल और झांसी से रह चुकीं सांसद
अपने जमाने की फायरब्रांड नेता उमा भारती दो बार मध्यप्रदेश से एक बार उत्तरप्रदेश से लोकसभा की सदस्य चुनी जा चुकी हैं. उमा ने सबसे ज्यादा चार बार 1989 से 1999 तक खजुराहो से प्रतिनिधित्व किया. 1999 में भोपाल से संसद का सफर तय किया. 2014 में उन्हें उत्तरप्रदेश की झांसी सीट से संसद पहुंचने का टिकट दिया गया. अपने पॉलिटिकल कॅरियर में उमा भारती दिसंबर 2003 से अगस्त 2004 तक मप्र की मुख्यमंत्री भी रहीं.