Politalks.News/WestBengalElection. कोरोना के महासंकट के बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में अपनी चुनावी रैलियों को रद नहीं किया है, बल्कि अब 500 लोगों की छोटी रैलियां करने की घोषणा की है. जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बंगाल में अपने सभी कार्यक्रम रद कर दिए हैं तो वहीं और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने भी कोलकाता में कोई चुनावी रैली नहीं करने का फैसला लिया है, तो वहीं वामदलों ने भी अपनी सभी रैलियां रद कर दी हैं. ऐसे में सियासी जानकारों का मानना है कि अब पश्चिम बंगाल में भाजपा नेताओं ने अगर कोई चुनावी रैली की तो राज्य में पार्टी को उल्टा दांव पड़ना तय है. वहीं इस महासंकटकाल में पार्टी की ‘साख‘ भी पूरे देश भर में खराब होगी और जो अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए माहौल बनाया है वह भी ‘कमजोर‘ पड़ सकता है.
अब बात करते हैं राहुल गांधी और टीएमसी की, आमतौर पर देखा गया है कि राहुल गांधी की बातों को भाजपा नेता गंभीरता से नहीं लेते हैं. रविवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए वे पश्चिम बंगाल में अपनी सभी सार्वजनिक रैलियों को स्थगित कर रहे हैं. राहुल ने सभी दूसरे दलों के नेताओं को भी इस पर गहराई से विचार करने की सलाह दी थी. राहुल की सलाह अब राजनीतिक दलों के नेताओं पर असर दिखाने लगी है. सोमवार को टीएमसी प्रमुख मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बाकी बचे तीन चरणों के लिए सभी चुनावी सभाएं रद कर दी हैं. ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस अब कोलकाता में छोटी-छोटी चुनावी सभाएं आयोजित करेगी. ममता बनर्जी अब सिर्फ 26 अप्रैल को एक ‘प्रतीकात्मक‘ रैली करेंगीं. इसके साथ मुख्यमंत्री ममता ने एक बार फिर निर्वाचन आयोग से अपील की है कि बंगाल में बाकी तीन चरणों के चुनाव को एक साथ कराएं.
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हालांकि कोरोना वायरस के बढ़ते संकट को देखते हुए पश्चिम बंगाल में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केंद्रीय और स्थानीय नेताओं के साथ सोमवार को एक बैठक की. इस बैठक में चुनावी रैलियों को लेकर कई अहम फैसले लिए गए. कोलकाता में 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 4 रैलियां होंगी. पीएम के इस कार्यक्रम में 500 कार्यकर्ताओं की भीड़ होगी, जबकि आसपास की विधानसभाओं में 150-200 जगह एलईडी लगाई जाएगी. हर जगह इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि 500 से ज्यादा लोग इकट्ठे न हो सकें. बैठक के दौरान जेपी नड्डा ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाएगा. सभी लोगों का मास्क लगाना अनिवार्य होगा. गृहमंत्री अमित शाह की अभी 6 सभाएं आयोजित होनी हैं. गृहमंत्री की 22 और 24 अप्रैल को 3-3 सभाओं का आयोजन होगा. 24 अप्रैल को अमित शाह की बंगाल में अंतिम सभा होगी.
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या 500 लोगों के एक जगह इक्ट्ठा होने पर कोरोना का कोई खतरा नहीं हैं? अगर ऐसा है तो कई राज्यों में कोरोना कहर के चलते लगाई गई धारा144 और नाईट कर्फ्यू का तो औचित्य ही नहीं रह जाता है. क्या बीजेपी इन 500 लोगों को भी रोककर पूरी तरह से वर्चुअल रैली क्यों नहीं कर सकती? वहीं बंगाल में शेष बचे 3 चरणों के चुनाव एक साथ करवाने के लिए बीजेपी ने कोई पहल क्यों नहीं की? ऐसे ही 150-200 जगहों पर लगने वाली एलईडी के लिए भी क्या कोई नियम है कि एक एलईडी को देखने के लिए कितने लोग इकट्ठे हो सकेंगे? ऐसी भी पीएम मोदी और अमित शाह की क्या जिद है कि चुनावी रैलियां करनी ही करनी है, चाहे लोगों की जान जाती है तो जाए?
वहीं दूसरी ओर पहले राहुल गांधी और फिर बाद में टीएमसी के एलान के बाद वाम दलों के नेताओं ने भी राज्य में कोई भी बड़ी चुनावी जनसभा न करने की घोषणा की है. कांग्रेस, टीएमसी और लेफ्ट केेेे फैसले के बाद जनसभाएं न करने के लिए दबाव बढ़ने लगा है. ऐसे में अब आवाज उठने लगी है कि बंगाल में कोरोना के बिगड़ते हालातों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को चुनावी जनसभाएं नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इन दोनों नेताओं की जनसभाओं में हजारों की भीड़ से संक्रमण फैलने का खतरा और भी तेजी के साथ बढ़ेगा. एक और बात यहां आपको बताना चाहेंगे अगर भाजपा के नेता ऐसे हालात में बंगाल के किसी क्षेत्र में बड़ी चुनावी जनसभाएं करते हैं तो ममता बनर्जी के लिए भी पीएम मोदी और अमित शाह को घेरने के लिए मौका मिल जाएगा. दूसरी वजह यह है कि जब बंगाल में उनके धुर विरोधी ममता ने ही चुनावी जनसभाओं से किनारा कर लिया है ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लिए चुनावी जनसभाओं के दौरान जुटने वाली भीड़ को लेकर बंगाल के साथ देश की जनता भी अब जवाब मांगेगी.
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पूरे देश भर में हर रोज ढाई लाख से अधिक रिकार्ड तोड़ कोरोना के संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, राजस्थान और बिहार के बाद बंगाल वासियों में कोरोना का खौफ साफ दिखाई दे रहा है. पश्चिम बंगाल में भी इसकी रफ्तार तेज हो चुकी है. यहां रविवार को 8,419 संक्रमित मिले. इनमें से अकेले कोलकाता में ही 2,197 मरीज मिले हैं. बंगाल में चुनावी रैलियों में उमड़ने वाली भीड़ को लेकर भी लोग सोशल मीडिया पर सभी राजनीतिक दलों पर तमाम प्रकार की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं, उनकी मांग है कि इन चुनावी सभाओं को तत्काल रद कर देना चाहिए.
बता दें कि अब राज्य की जनता किसी भी राजनीतिक पार्टियों की चुनावी जनसभाएं नहीं चाहती हैं बल्कि इस महामारी से निपटने के लिए केंद्र और ममता सरकार से क्या-क्या इंतजाम किए जा रहे हैं, ये जानना चाहती है. सही मायने में अब राज्य के लोगों को नेताओं के चुनावी वायदे और घोषणा पसंद नहीं आ रही हैं, बंगाल की जनता अब अपनी सुरक्षा और अस्पतालों में क्या व्यवस्थाएं हैं, वह बताया जाए. वहीं अभी तक टीएमसी और भाजपा के बीच प्रचार के दौरान तमाम मुद्दों पर जुबानी जंग हुई है. अब महामारी को लेकर दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर निशाना साधने लगी है. यानी बंगाल में बचे तीन चरण के चुनावों में ममता बनर्जी और पीएम मोदी के बीच कोरोना के इंतजामों को लेकर ही सियासी महाजंग शुरू हो चुकी है.
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ममता बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना वायरस की दूसरी लहर को संभाल नहीं पाने के कारण इस्तीफा दे देना चाहिए. ममता ने कहा कि कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी के लिए प्रधानमंत्री मोदी को इस्तीफा देना होगा. मौजूदा हालात के लिए वही जिम्मेदार हैं. दीदी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोई प्रशासनिक योजना नहीं बनाई और गुजरात के हालात तो देखिए. बीजेपी गुजरात में भी कोविड-19 के हालात को संभाल नहीं पाई और पश्चिम बंगाल समेत पूरे देश को इस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया हैै. ममता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले पांच-छह महीने में मेडिकल ऑक्सीजन और टीकों की आपूर्ति के संभावित संकट पर ध्यान देने के लिए कुछ नहीं किया. ममता ने आरोप लगाया कि अपने देश में टीकों की कमी के बावजूद प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि चमकाने के लिए दूसरे देशों को टीकों का निर्यात किया. बता दें कि पश्चिम बंगाल में 22 अप्रैल को छठवें चरण में 43 सीटों पर मतदान होगा. इसके बाद सातवें चरण में 26 अप्रैल को 36 सीट और 29 अप्रैल को आठवें चरण में 35 सीटों पर वोटिंग होनी है. वोटों की गिनती 2 मई को होगी.