Politalks.News/HijabVerdict. कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने की इजाजत नहीं मिलेगी. कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने मंगलवार को यह फैसला (HijabVerdict) दिया. पिछले 74 दिन से इस मामले पर जारी घमासान को लेकर दिए फैसले में हाईकोर्ट ने दो अहम बातें कहीं. पहली- हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है (Wearing Hijab Not An Essential Religious Practice). दूसरी- स्टूडेंट्स स्कूल या कॉलेज की तयशुदा यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते. हाईकोर्ट ने हिजाब के समर्थन में मुस्लिम लड़कियों समेत दूसरे लोगों की तरफ से लगाई गईं सभी 8 याचिकाएं खारिज कर दीं. अब हाईकोर्ट के फैसले पर सियासत गरमा गई है. हाईकोर्ट के इस फैसले पर अब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (mehbuba mufti) और उमर अब्दुल्ला (omar abdullah) ने नाराज़गी जाहिर की है. दूसरी तरफ याचिका कर्ताओं ने कहा है कि फैसले के अध्ययन के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
ओवैसी बोले- ‘हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं’
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब विवाद पर फैसला दे दिया है. इसमें हिजाब को इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं माना गया है. अब इस मसले पर राजनीति भी तेज हो गई है. असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से असहमति जाहिर की है. इतना ही नहीं उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत बाकी संगठनों से इसके खिलाफ आवाज उठाने की अपील की. AIMIM नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा कि, ‘मैं कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं. फैसले से असहमत होना मेरा हक है. मुझे उम्मीद है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.’ ओवैसी ने अगले ट्वीट में लिखा कि, ‘मुझे उम्मीद है कि AIMPLB (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) के साथ बाकी संगठन भी इस फैसले के खिलाफ अपील करें’.
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महबूबा ने हाईकोर्ट के फैसले को बताया निराशाजनक
PDP नेता महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि, ‘हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने का कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला बेहद निराशाजनक है. एक तरफ हम महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हैं और दूसरी ओर हम उन्हें एक साधारण विकल्प के अधिकार से वंचित कर रहे हैं. यह सिर्फ धर्म के बारे में नहीं, बल्कि चुनने की स्वतंत्रता के बारे में है’.
‘…मूल अधिकार को बरकरार नहीं रखा, यह एक मजाक है’- उमर
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने लिखा कि, ‘कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से बेहद निराश हूं. आप हिजाब के बारे में क्या सोच सकते हैं, यह सिर्फ कपड़ों के बारे में नहीं है. यह एक महिला के अधिकार के बारे में है कि वह कैसे कपड़े पहनना चाहती है? अदालत ने इस मूल अधिकार को बरकरार नहीं रखा. यह एक मजाक है.’
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हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्या कहा?
कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि, ‘स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती हैं. मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जे एम खाजी की पीठ ने आदेश का एक अंश पढ़ते हुए कहा कि, ‘हमारी राय है कि मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है’. पीठ ने यह भी कहा कि, ‘सरकार के पास पांच फरवरी 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है. इस आदेश में राज्य सरकार ने उन वस्त्रों को पहनने पर रोक लगा दी थी, जिससे स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होती है. अदालत ने कॉलेज, उसके प्रधानाचार्य और एक शिक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच शुरू करने का अनुरोध करने वाली याचिका भी खारिज कर दी गई.
सुप्रीम कोर्ट जाएगा हिजाब मामला
स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से निराश याचिकाकर्ता छात्राएं और संगठन इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में हैं. वकीलों की टीम अभी फैसले का अध्ययन कर रही है. याचिकाकर्ताओं के वकील उसमें से लीगल प्वाइंट देखकर उन्हें सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.