Politlaks.News/Rajasthan/Chandna. 2023 के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव और उससे पहले आगामी 10 मई को होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर अंदरूनी सियासत गरमाई हुई है. इस बार ये नाराजगी पार्टी या आलाकमान के प्रति नहीं बल्कि प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के प्रति है. पिछले एक सप्ताह से प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी लगातार सत्ताधारी नेताओं के निशाने पर है. गणेश घोघरा, रामलाल मीणा, राजेन्द्र बिधूड़ी, धीरज गुर्जर और सीएम सलाहकार तक ने पिछले दिनों में ब्यूरोक्रेसी को आड़े हाथ लिया है. वहीं बीते रोज गुरुवार को गहलोत सरकार में खेल मंत्री अशोक चांदना ने मंत्रीपद से इस्तीफे की पेशकश करते हुए ट्वीटर बम फोड़ दिया. अब युवा मंत्री के इस्तीफे की पेशकश के बाद प्रदेश की सियासत में उबाल तो आना ही था, सो हुआ भी वही, चांदना के इस्तीफे की पेशकश के बहाने बीजेपी नेताओं ने गहलोत सरकार पर जमकर हमला बोला तो वहीं कांग्रेस नेताओं ने सरकार का बचाव किया. इसी बीच खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘चांदना के बयान को गम्भीरता से ना लें.’ तो वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने तंज कसते हुए कहा कि, ‘मुख्यमंत्री जी आप ही बता दो किसे गम्भीरता से लें.’
दरअसल, ब्यूरोक्रेसी के दखल से नाराज होकर प्रदेश की सीएम अशोक गहलोत के करीबी मंत्रियों में शुमार खेल मंत्री अशोक चांदना ने गुरूवार देर रात इस्तीफे की पेशकश कर दी है. वह मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका से नाराज बताए जा रहे हैं. इस मामले को लेकर अशोक चांदना ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘मुख्यमंत्री जी मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है कि मुझे इस जलालत भरे मंत्री पद से मुक्त कर मेरे सभी विभागों का चार्ज कुलदीप रांका को दे दिया जाए, क्योंकि वैसे भी वे ही सभी विभागों के मंत्री हैं.’ सियासी गलियारों में चर्चा है कि अशोक चांदना के इस्तीफे के पीछे सीधे तौर पर उनका मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से नाराजगी को बताया जा रहा है. चांदना अपने विभागों में कुलदीप रांका के दखल से नाराज हैं. अशोक चांदना के इस ट्वीट के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है. इस मामले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी प्रतिक्रिया सामने आई है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि, ‘अशोक चांदना ने पिछली बार स्टेट लेवल पर प्रोग्राम किया था, बहुत बड़ा प्रोग्राम किया था. इसी प्रकार ग्रामीण ओलंपिक एक और बड़ा प्रोग्राम होने जा रहा है. ग्रामीण ओलंपिक के आयोजन का बड़ा भार उनके ऊपर आया हुआ है और हो सकता है उसी के कारण चांदना टेंशन में आ गया हो. कोई कमेंट कर दिया, उसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. उनसे बातचीत करके देख लेंगे क्योंकि अभी तक तो मेरी उनसे बात भी नहीं हुई है. मुझे ऐसा नजर आता है कि वह दबाव में काम कर रहा है. इतनी बड़ी जिम्मेदारी आ गई है उनके उपर, देख लेंगे.’ आपको बता दें कि आज पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि पर रामनिवास बाग में श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान ये बात कही.
वहीं प्रदेश सरकार में खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि, ‘अशोक चांदना यूथ लीडर और यूथ आईकॉन हैं, वह यूथ कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे हैं और यही उनका स्टाइल है. चांदना ने स्पोर्ट्सपर्सन की आवाज उठाई है. वह खुद पोलो प्लेयर हैं और क्रिकेट भी खेलते हैं. उन्होंने जो इशू उठाए हैं, उन्हें मुख्यमंत्री भी समझते हैं. कुलदीप रांका या किसी अफसर से उनकी नाराजगी हो सकती है और कई बार इस तरह के टकराव हो जाते हैं लेकिन उस पर विवाद नहीं उनका सम्मान और सॉल्यूशन होना चाहिए. एक्सपीरियंस के हिसाब से और वैसे भी हम सभी लोग मुख्यमंत्री के सामने बहुत जूनियर हैं. वो समझते हैं, कैसे किस मुद्दे को सॉल्व करना है, वो कर देंगे.’ वहीं इस मामले को लेकर उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि, ‘चांदनाजी’ ने किस बात को लेकर कहा है, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. सभी की अपनी अपनी सोच होती है. अगर किसी का कोई काम नहीं होता है तो क्या बात हुई ब्यूरोक्रेट्स भी तो अपने ही लोग हैं. परिवार में तो छोटी मोटी बातें होती रहती हैं.’
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वहीं दूसरी तरफ मौके की ताक में बैठी प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ सतीश पूनियां ने अशोक चांदना के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए ट्वीट करते हुए लिखा, ‘जहाज़ डूब रहा है… 2023 के रुझान आने शुरू.‘ वहीं सीएम गहलोत के बयान पर निशाना साधते हुए विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि, ‘सत्तारूढ़ दल के मंत्रियों के दर्द को गंभीरता से ना लिया जाए, दर्जनों विधायकों की अनदेखी को गंभीरता से ना लिया जाए, पार्टी के अंतर्कलह को गंभीरता से ना लिया जाए, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी आप स्वयं ही ये बताएं… कौन सी ऐसी बातें हैं, जिनको गंभीरता से लिया जाए.’
आपको बता दें कि ये पहला ऐसा मुद्दा नहीं है जिसमें सरकार के नजदीक माने जाने वाले विधायक और नेता ब्यूरोक्रेसी के रवैये से नाराज हुए हों, सीएम अशोक गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने दो दिन पहले ही गृह विभाग और राजस्व विभाग के अफसरों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया है. तो वहीं बीज निगम अध्यक्ष धीरज गुर्जर, बेगूं से कांग्रेस विधायक राजेंद्र बिधूड़ी, कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा और रामलाल मीणा, विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा, जोगिन्दर अवाना, वाजिब अली, दिव्या मदेरणा अफसरों के हावी होने का मुद्दा उठाकर सरकार को घेर चुके हैं.