महंगी बिजली पर विपक्ष ने जमकर घेरा गहलोत सरकार को तो वहीं सदन में भी गूंजा ‘नाथी का बाड़ा’

एक तरफ जहां प्रदेश में महंगी बिजली के मुद्दे पर विपक्ष ने जमकर सरकार को आड़े हाथ लिया तो वहीं बहुचर्चित रहे 'नाथी के बाड़े' की गूंज भी विधानसभा में सुनाई दी, कोयले की कमी के चलते गहराए बिजली संकट और महंगी बिजली खरीद के मुद्दे पर बीजेपी विधायकों ने जमकर गहलोत सरकार को घेरा

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Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान की 15वीं विधानसभा के छठे सत्र के तीसरे चरण में सोमवार को सदन की दूसरे दिन की कार्यवाही हंगामेदार रही. एक तरफ जहां प्रदेश में महंगी बिजली के मुद्दे पर विपक्ष ने जमकर सरकार को आड़े हाथ लिया तो वहीं बहुचर्चित रहे ‘नाथी के बाड़े‘ की गूंज भी विधानसभा में सुनाई दी. प्रदेश में पिछले दिनों कोयले की कमी के चलते गहराए बिजली संकट और महंगी बिजली खरीद के मुद्दे पर बीजेपी विधायकों ने जमकर गहलोत सरकार को घेरा. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बिजली कंपनियों में भारी गड़बड़ी है. राजस्थान में सबसे महंगी बिजली है, कुप्रबंधन के कारण बिजली तंत्र की हालत खराब है. वहीं पीसीसी चीफ और शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा प्रयोग किए गए ‘नाथी का बाड़ा’ को लेकर पर्यटन व्यवसाय संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान बीजेपी विधायक ज्ञानचंद पारख ने ‘नाथी का बाड़ा’ पर चर्चा करना शुरू किया. उस समय आसन पहुंचे सभापति राजेंद्र पारीक ने पारख को इस पर चर्चा करने की मंजूरी नहीं दी. पारीक ने सख्त लहजे में कहा कि मैं सदन को ‘नाथी का बाड़ा’ बनाने की इजाजत नहीं दूंगा.

दरअसल, पर्यटन व्यवसाय संशोधन विधेयक पर्यटन विभाग से जुड़ा है और पर्यटन विभाग की जिम्मेदारी गोविंद सिंह डोटासरा के पास है. बीजेपी विधायक ज्ञानचंद पारख ने डोटासरा पर तंज कसने के लिए ‘नाथी का बाड़ा’ पर यह कहते हुए चर्चा करनी चाही कि इसका संबंध पाली जिले से है. नाथी पाली जिले की रहने वाली थी और वह उदारता के लिए जानी जाती थी. उसके दरवाजे से कोई याचक निराश नहीं लौटता था. ‘नाथी का बाड़ा’ को आज नकारात्मक अर्थ में लिया जाता है, जो गलत है. सभापति राजेंद्र पारीक ने पारख को आगे बोलने की इजाजत नहीं दी और इसके बाद पारख ने बिल पर बोलना शुरू किया.

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वहीं दूसरी ओर प्रदेश में जारी बिजली कटौती और लगातार बढ़ रहे बिजली के दामों को लेकर गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि महंगे दामों पर बिजली खरीदी जा रही है, कुप्रबंधन के कारण बिजली तंत्र की हालत खराब है, बिजली खरीद सवालों के घेरे में है. कटारिया ने कहा- पिछले दिनों कुप्रबंधन के कारण 8 से 10 घंटे की कटौती झेलनी पड़ी. एक तरफ सरकार बिजली में आत्मनिर्भर होने का दावा करती है, दूसरी तरफ कटौती की जा रही है. कोयला संकट क्यों आया. कुप्रबंधन का इससे बड़ा उदाहरण हो नहीं सकता. कोर्ट से मुकदमा हार जाने के कारण 4700 करोड़ रुपए निजी बिजली उत्पादन कंपनी को देना पड़ा. यह भार राजस्थान की जनता पर डाला गया. बिजली के मुद्दे पर आज विधानसभा में ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला जवाब देंगे.

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वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सबसे महंगी बिजली होने के बावजूद आठ महीने से कोयला कंपनियों के 1751 करोड़ बकाया क्यों रखा? सरकार ने 2019 में 12470 करोड़, 2020 में 13 हजार करोड़ की महंगी बिजली खरीदी. भ्रष्टाचार का तांडव करने के लिए बिजली महंगी खरीदी. इसके बाद जनता पर जजिया कर लगाया गया. राजस्थान में बिजली खरीद का एक नेक्सस बन गया है, जो चांदी कूट रहा है. निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सारा जतन किया जा रहा है. हमारे पावर प्लांट में उत्पादन बंद करके बाहर से महंगी बिजली खरीदने का तर्क समझ से परे है.

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इसके आलावा प्रदेश में बिजली संकट को लेकर बीजेपी के कई विधायकों ने गहलोत सरकार पर जमकर सवाल उठाए, जिनमें बीजेपी विधायक चंद्रकांता मेघवाल, मदन दिलावर, अविनाश गहलोत, सूर्यकांता व्यास, जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि बिजली की दरें बहुत ज्यादा हैं. ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में बिजली कटौती आम बात है. राजनीतिक आधार पर किसानों की वीसीआर भरी जा रही है. बीजेपी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर वीसीआर भरी जा रही है.

स्कूलों के ऊपर से जाने वाली बिजली लाइनें तीन महीने में शिफ्ट होंगी
विधानसभा में सिवाना विधायक हमीर सिंह भायल के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि सिवाना विधानसभा क्षेत्र में जिन स्कूलों के ऊपर से बिजली की लाइनें गुजर रही हैं, उन्हें तीन महीने के भीतर शिफ्ट किया जाएगा.

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