अब भ्रष्टाचारियों से पूछताछ के लिए लेनी पड़ेगी इजाजत, मंत्री विधायकों से केवल ACB DG कर सकेंगे पूछताछ

राजस्थान में भी अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो राज्य सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों पर सीधी कार्रवाई नही कर सकेगा, यानी कि अब किसी भी तरह की शिकायत आने पर पहले एसीबी को पहले संबंधित प्रशासनिक विभाग से लेनी होगी अनुमति, गहलोत सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से जारी भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम की एसओपी को राज्य में भी कर दिया है लागू

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Politalks.News/Rajasthan/ACB. प्रदेश के राज्य कर्मचारियों और अधिकारियों (Bureaucracy in Rajasthan) के लिए राहत भरी खबर आई है. मध्यप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, पंजाब सहित कई अन्य राज्यों के बाद अब राजस्थान में भी अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (Anti Corruption Bureau ) लोक सेवक यानी राज्य सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों पर सीधी कार्रवाई नही कर सकेगा. यानी कि अब किसी भी तरह की शिकायत आने पर पहले एसीबी को संबंधित प्रशासनिक विभाग से अनुमति लेनी होगी. प्रदेश की गहलोत सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से जारी भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम की एसओपी को राज्य में भी लागू कर दिया है.

आपको याद दिला दें, हाल ही में पिछले दिनों एसीबी की ओर से बिना प्रोसेस के आरएएस अधिकारी भागचंद बधाल को पूछताछ के लिए ले जाने के मामले में बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. प्रदेश की RAS एसोसिएशन ने इसको लेकर मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक अपना विरोध दर्ज कराया था. जिसके तहत कहा गया था कि किसी भी अधिकारी को ACB सीधे तौर पर पूछताछ के लिए ऐसे ही नहीं बुला सकती. उस वक्त एसोसिएशन ने सरकार से मांग की थी कि एसीबी की कार्रवाई कुछ नियम से होनी चाहिए. जिससे कि किसी भी लोक सेवक के अधिकारों का हनन नहीं हो. जिसके बाद राजस्थान में भी अब गहलोत सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 17 (ए) के क्रम में जारी नियम प्रक्रिया को प्रदेश में भी लागू कर दिया है, ताकि लोकसेवक निर्भीक होकर अपने आधिकारिक दायित्वों को निभा सकें. आदेश के अनुसार लोक सेवकों की ओर से शासकीय कार्यों के दौरान लिए गये निर्णयों के संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर एसीबी की ओर से पूछताछ, जांच और अनुसंधान के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.

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आपको बता दें, नये नियमों में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों के स्तर और समकक्ष लोक सेवकों के स्तर निर्धारित किए गए हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारी को सबसे पहले किसी भी लोक सेवक के विरूद्ध पूछताछ, जांच और अनुसंधान शुरू करने से पहले निर्धारित प्रपत्र में संबंधित प्रशासनिक विभाग के सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेनी होगी. अब एसीबी के अधिकारी इन दिशा-निदेर्शों के अनुरूप ही संबंधित से अनुसंधान और जांच सहित अन्य कार्करवाई कर सकेंगे.

नियमों के तहत गृह विभाग की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार मंत्रीगण, विधायक, सातवें वेतन आयोग के तहत पे लेवल 15 और इससे ऊपर के लोक सेवक, विभिन्न बोर्ड, आयोग, निगम और राजनीतिक इकाइयों के चेयरमैन और सदस्यों से एसीबी में कार्यरत पुलिस महानिदेशक या इसके समकक्ष स्तर के अधिकारी ही सक्षम प्राधिकारी के स्तर से अनुमति प्राप्त करने के बाद पूछताछ और जांच कर सकेंगे.

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इसी तरह पे लेवल 21 से 24 तक के लोक सेवकों से पूछताछ के लिए एसीबी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक या इसके समकक्ष अधिकारी ही सक्षम स्तर से अनुमति प्राप्त कर पूछताछ एवं जांच कर सकेंगे. राज्य सेवा के अधिकारियों के पे लेवल 12 से 20 तक के लोक सेवकों से पूछताछ और जांच के लिए पुलिस महानिरीक्षक या पुलिस उप महानिरीक्षक या समकक्ष स्तर के अधिकारी और अधीनस्थ, मंत्रालयिक के साथ चतुर्थ श्रेणी के लोक सेवकों से पूछताछ और जांच के लिए पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक या उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी की ओर से संबंधित प्रशासनिक विभाग के सक्षम प्राधिकारी के स्तर से अनुमति प्राप्त करनी होगी. हालांकि यह नियम ट्रेप के प्रकरणों में लागू नहीं होंगे.

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