अब जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को बड़ा झटका देंगी ममता दीदी! क्या गुलाम नबी होंगे कांग्रेस से आजाद?

ममता बनर्जी के 'विस्तार रथ' के निशाने पर कांग्रेस, जम्मू कश्मीर में लगेगा मेघालय जैसा झटका!, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, गोवा, त्रिपुरा, असम और मेघालय के बाद अब जम्मू कश्मीर, क्या नाराज आजाद कांग्रेस छोड़ थामेंगे TMC का हाथ?

मेघालय के बाद अब जम्मूकश्मीर में खेला होबे!
मेघालय के बाद अब जम्मूकश्मीर में खेला होबे!

Politalks.News/JammuKashmir. पश्चिम बंगाल में मिली प्रचंड जीत के बाद टीएमसी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हौसले बुलंद हैं. ममता दीदी कांग्रेस पर लगातार हमले कर रही हैं. एक के बाद एक कांग्रेस के नेताओं को तोड़ने का मिशन TMC की ओर से चलाया जा रहा है. हरियाणा, दिल्ली, यूपी, गोवा, त्रिपुरा, असम और मेघालय में TMC ने कांग्रेस के कैंप में सेंध लगाई है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि, ‘अब ममता का ये मिशन जम्मू कश्मीर पहुंच सकता है‘. इस बात की संभावना इसलिए जताई जा रही है क्योंकि G-23 के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद नाराज चल रहे हैं. आजाद एक के बाद एक अपने स्तर पर कई रैलियां कर चुके हैं. आजाद के कुछ सिपहसालार पहले ही पार्टी का हाथ छोड़ चुके हैं. सूत्रों का कहना है कि, ‘ऐसे में अगर आजाद ममता की पार्टी में चले जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं है‘.

सियासी जानकारों का कहना है कि जिस तरह पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय में कांग्रेस पार्टी टूटी और विधायक दल के नेता मुकुल संगमा पार्टी के 11 विधायकों को लेकर तृणमूल कांग्रेस में चले गए उस तरह की टूट जम्मू कश्मीर में भी बड़ी टूट हो सकती है. आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के टूटने का सिलसिला शुरू हो गया है और पार्टी के 20 के करीब नेता पिछले दिनों भाजपा में शामिल हो चुके हैं. लेकिन इनमें कांग्रेस का कोई विधायक शामिल नहीं है. बताया जा रहा है कि ये सभी नेता पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के करीबी थे.

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कांग्रेस के ग्रुप-23 के प्रमुख नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद आजकल चर्चाओं में हैं. कश्मीर में सर्दी की शुरुआत के बावजूद इस समय आजाद पूरे प्रदेश का दौरा कर रहे हैं. उन्होंने पिछले दिनों करीब एक दर्जन सभाएं की, जिनमें भारी संख्या में लोग जुटे, ठंड शुरू हो जाने के बावजूद लोगों की भीड़ आजाद की सभाओं में जमा होती रही. हालांकि इस दौरान आजाद ने कांग्रेस से अलग होने का संकेत तो नहीं दिया. लेकिन ये जरुर बोले कि, ‘अभी जैसा हालात पार्टी का है, उससे उन्हें नहीं लगता है कि अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 300 सीटें मिलेंगी‘ .सार्वजनिक रूप से धारा 370 पर अपनी चुप्पी को सही ठहराते हुए, आजाद ने कहा कि, ‘केवल सुप्रीम कोर्ट, जहां मामला लंबित है, और केंद्र ही इसे बहाल कर सकते हैं’. पुंछ जिले के कृष्णाघाटी इलाके में एक रैली में उन्होंने कहा कि, ‘चूंकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया है, इसलिए वह इसे बहाल नहीं करेगी’.

जम्मू कश्मीर से जुड़े सियासी जानकारों ने बताया है कि, गुलाम नबी आजाद ने जम्मू के अपने असर वाले इलाकों पर फोकस किया और वहां ज्यादा सभाएं कीं. आजाद ने दक्षिण कश्मीर के अशांत माने जाने वाले इलाकों में भी कुछ सभाएं की हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि गुलाम नबी आजाद ने ये सारी सभाएं कांग्रेस पार्टी के बैनर से हट कर की हैं. इनका आयोजन कांग्रेस के नेताओं ने नहीं किया. इसके अलावा आजाद लगातार अपने समाज के अलग अलग वर्गों के लोगों से मिल रहे हैं और आगे की राजनीति पर उनकी राय ले रहे हैं. अब आजाद के दिमाग में क्या चल रहा है ये तो वो ही बता सकते हैं.

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आपको ध्यान दिला दें कि कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले जी-23 समूह के इक्का-दुक्का नेता, जो जनाधार वाले हैं उनमें एक आजाद भी हैं. हरियाणा के भूपेन्द्र हुड्डा के बाद आजाद दूसरे नेता हैं जिनके पास जनाधार है. जम्मू में उनका अच्छा खासा समर्थन है. अगर वे इसे एकजुट करके ममता बनर्जी के साथ चले जाते हैं तो हैरानी नहीं होगी.

आपको ये तो पता ही है कि ममता बनर्जी कांग्रेस पर हमलावर हैं. ममता ने हाल ही में कहा था कि, ‘यूपीए कहां हैं’ और उसके बाद उनके चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के नेता के तौर पर एक व्यक्ति के दैवीय अधिकार पर सवाल उठाए तो कांग्रेस नेताओं ने उनके ऊपर बड़े हमले किए. सियासी जानकार का कहना है कि ममता और उनके चुनाव रणनीतिकार विपक्षी एकता को को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं और अगला राज्य जम्मू कश्मीर हो इस पर ज्यादा आश्चर्य नहीं किया जा सकता है.

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