कोई नहीं तोड़ सकता मोदी-योगी की जोड़ी- पटेल के बयान के सियासी मायने? मोदी-शाह की जोड़ी का क्या?

भाजपा के भविष्य को लेकर छिड़ी बहस, मोदी-योगी या मोदी-शाह, आनंदीबेन पटेल ने सूरत में दिया बड़ा बयान, जिसके निकाले जा रहे सियासी मायने, गुजरात चुनाव को जोड़कर देख रहे कुछ सियासी जानकार, वहीं शाह और पटेल की अदावत भी है एक कारण, हालांकि हाल के नतीजों ने बढ़ाया है शाह का कद, कुछ जानकारों का कहना नहीं है योगी और शाह का मुकाबला, योगी अभी भाजपा के पार्लियामेंट कमेटी के भी नहीं है सदस्य

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Politalks.News/Modi-Yogi. उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) समेत चार राज्यों में बम्पर जीत के बाद सियासी गलियारों में भाजपा के भविष्य को लेकर चर्चा तेज हो गई है. चर्चा इस बात की हो रही है कि मोदी-योगी (Modi-Yogi) या मोदी-शाह के साथ आगे बढ़ा जाएगा. माना जा रहा था कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को लेकर जो सवाल उठे थे क्या उनका समाधान हो गया? चुनाव से पहले यह चर्चा थी कि अमित शाह (Amit Shah) बहुत दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं और योगी का तेजी से उभरना उनकी नंबर दो पोजिशन के लिए ठीक नहीं है. हालांकि यूपी समेत चार राज्यों के चुनाव के नतीजों के बाद इस तरह की कई कहानियां मीडिया में आईं कि नतीजों से शाह का कद बढ़ा है और उन्होंने भाजपा की जीत में सबसे अहम भूमिका निभाई है. लेकिन क्या इससे इस सवाल का जवाब मिल गया कि शीर्ष पर मोदी-योगी हैं या मोदी-शाह हैं? इस बीच यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) द्वारा दिए गए एक बयान ने बहस को और तेज कर दिया है. जबकि कुछ सियासी जानकार इस बयान को गुजरात चुनाव और राष्ट्रपति चुनाव से जोड़कर भी देख रहे हैं.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल पिछले दिनों गुजरात दौरे पर गईं तो सूरत में एक कार्यक्रम में उन्होंने मोदी-योगी की जोड़ी का जिक्र किया. राज्यपाल पटेल ने कहा कि, ‘मोदी-योगी की जोड़ी कोई नहीं तोड़ सकता है, कोई नहीं’. पटेल के इस बयान के बाद नई बहस छिड़ गई है, वो यह कि आखिर कौन है, जो मोदी-योगी की जोड़ी तोड़ना चाहता है? जिसके बारे में राज्यपाल ने कहा कि कोई नहीं तोड़ सकता?
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दूसरा सवाल जो सियाली गलियारों में गूंज रहा है वो यह है कि क्या क्या कोई राज्यपाल इस तरह के राजनीतिक बयान दे सकता है? जैसा की सभी को पता है कि आनंदी बेन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं इसलिए वे देश के किसी भी हिस्से में जाएं तो राज्यपाल ही रहेंगी. ऐसा नहीं हो सकता है कि पटेल अपने गृह राज्य में जाकर भाजपा की नेता बन जाएंगी. सूरत में दिया गया पटेल का बयान राजनीतिक था और गहरे मायने वाला था. उन्होंने जब कहा कि मोदी-योगी की जोड़ी कोई नहीं तोड़ सकता है तो उसके साथ यह भी कहा कि इसे हासिल करने में काफी लोगों ने समर्थन दिया है. उन काफी लोगों में क्या वे खुद भी शामिल हैं? आनंदी बेन ने यह भी बताया कि सूरत से भी काफी लोग उत्तर प्रदेश गए थे प्रचार के लिए, सियासी जानकारों का कहना है कि पटेल ने विशुद्ध राजनीतिक बयान दिया और उसके बाद पार्टी के अंदर के गतिरोध को भी उजागर किया.

गुजरात की राजनीति को जानने वाले सभी लोगों को पता है कि अमित शाह और आनंदी बेन पटेल की नहीं बनती है, जबकि आनंदी बेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेहद करीबी माना जाता है. आनंदी बेन के गुजरात का मुख्यमंत्री बनने और हटने फिर उनकी जगह अमित शाह के करीबी विजय रूपानी के मुख्यमंत्री बनने और अब फिर आनंदी बेन के करीबी भूपेंद्र पटेल के मुख्यमंत्री बनने की राजनीति शाह और आनंदी बेन के राजनीतिक अहम के टकराने की कहानी है. सियासी जानकारों का कहना है कि अगर आनंदी बेन आज मोदी-योगी को प्रमोट कर रहीं हैं तो यह एक नए अध्याय का संकेत है.

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दूसरी तरफ सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि सीएम योगी अभी भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य नहीं हैं इसलिए तकनीकी रूप से उनका कद संसदीय बोर्ड के सात मौजूदा सदस्यों के बाद ही होगा लेकिन वास्तविक अर्थों में उनका कद इस आधार पर नहीं नापा जा सकता है.

देश के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा भी है कि भाजपा आनंदीबेन पटेल को राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठाने की कवायद तेज कर चुकी है. पिछले दो दिन पटेल ने दिल्ली में पीएम मोदी, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, अमित शाह, जेपी नड्डा समेत गुजरात के कई सांसदों से मुलाकात की. इसी के साथ आनंदीबेन पटेल की इन मुलाकातों और दिल्ली दौरे के कई मायने निकाले जा रहे हैं. इन मुलाकातों को पटेल के बयान को लेकर भी जोड़ा जा रहा है. दरअसल आनंदीबेन पटेल को राष्ट्रपति बनाकर भाजपा गुजरात में चुनाव में तो माइलेज लेना ही चाहेगी. ऐसे में पटेल के बयान को लेकर चर्चाएं तेज हैं.

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