Rajasthan Political Drama. राजस्थान कांग्रेस में जारी सियासी खींचतान वैसे तो किसी से छपी नहीं है लेकिन ये कितनी गहरी है इसकी बानगी भर आज देखने को मिली. मौका था कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान आगमन से पहली तैयारियों को लेकर ली गई स्टेट लेवल कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक का. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में पूर्ण हुई इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, गांधी परिवार के खास माने जाने वाले भंवर जितेंद्र सिंह, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ अन्य दिग्गज नेता बैठक में मौजूद रहे. लेकिन इस दौरान गहलोत-पायलट के बीच न तो किसी तरह की कोई बात हुई और ना ही दोनों नेताओं ने एक दूसरे से नजरें तक भी मिलाई. यही नहीं बैठक ख़त्म होने के तुरंत बाद ही सचिन पायलट वहां से रवाना हो गए. हालांकि पहले से तयशुदा कार्यक्रम के तहत सचिन पायलट को मध्यप्रदेश पहुंची भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ शिरकत करनी थी इस कारण वे जल्दी रवाना हो गए. तो वहीं सियासी जानकार आपसी खींचतान के रूप में भी इसे देख रहे हैं.
आपको बता दें कि दिसंबर माह की शुरुआत में राजस्थान में प्रवेश करने वाली राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपनी तरफ से तैयारियां शुरू कर दी है. लेकिन कांग्रेस पार्टी के लिए जो सबसे बड़ी मुश्किल है वो है पार्टी की एकजुटता. राजस्थान की राजनीति में दो दिग्गजों के बीच जारी मनमुटाव किसी से छिपा नहीं है. हालांकि पार्टी नेता खुद आपसी खींचतान पर पर्दा डालते हुए लाख हम साथ साथ हैं का दावा ठोक रहे हों, लेकिन समय समय पर खींचतान सामने आ ही जाती है. इसकी बानगी भर आज एक बार फिर देखने को मिली. भारत जोड़ो यात्रा के लिए बनाये गए वॉर रूम में बुलाई गई बैठक में सुबह 11.30 बजे सचिन पायलट पहुंच गए. लेकिन सीएम अशोक गहलोत दोपहर 12.30 बजे इस बैठक में पहुंचे.
बैठक में शामिल होने के लिए जैसे ही गहलोत कक्ष में पहुंचे तभी पायलट के साथ ही अन्य सभी लोग भी खड़े हुए. यही नहीं पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के साथ साथ अन्य नेताओं ने सीएम गहलोत का हाथ जोड़कर अभिवादन किया लेकिन पायलट ने कोई रिएक्शन ना देते हुए केवल अपनी सीट पर खड़े हो गए. इस बीच सीएम गहलोत कुर्सी के पास पहुंचे और इधर-उधर देखते हुए बैठ गए. इस दरमियान एक बारगी सचिन पायलट ने गहलोत को देखा जरूर, लेकिन नजरों के बीच की दूरियां बरकरार ही रहीं. दोनों नेता बिना कुछ कहे कुर्सी पर बैठ गए और भारत जोड़ो यात्रा को लेकर बुलाई गई बैठक पर चर्चा शुरू हो गई. दोनों नेताओं के एक साथ मिलने और सियासी दूरियों की चर्चा मीटिंग कक्ष से निकलकर सियासी गलियारों में दिनभर बनी रही. दोनों नेता करीब 58 दिन बाद एक साथ जो दिखे थे.
खैर, बैठक शुरू होने के महज आधे घंटे बाद ही सचिन पायलट भंवर जितेंद्र सिंह के साथ वहां से निकल गए. लेकिन सचिन पायलट का जल्दी आना और जल्दी जाना प्रदेश की सियासत में चर्चा का विषय बना हुआ है. हालांकि सचिन पायलट का मध्यप्रदेश जाने का कार्यक्रम पहले से ही तय था. इसी कारण सचिन पायलट भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए बैठक से जल्दी निकल गए. वहीं इस बैठक में तय किया गया कि समन्वय समिति के सदस्य 25 नवंबर को राजस्थान में मध्य प्रदेश बॉर्डर से लेकर हरियाणा बॉर्डर तक के 527 किलोमीटर रूट का जायजा लेंगे. वहीं बैठक से बाहर निकले सचिन पायलट ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि, ‘कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा के जरिए लोगों को जोड़ने का काम कर रही है और राजस्थान में यह यात्रा ऐतिहासिक होगी.’
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सचिन पायलट ने कहा कि, ‘यह कोई पॉलिटिकल यात्रा नहीं है और इसके जरिए लोगों से जुड़ाव होगा. भाजपा यह भी कह रही थी कि दक्षिण भारत के बाद उत्तर भारत में इसका असर नहीं होगा, लेकिन जिस तरह से महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश में शुरु हुई है अब राजस्थान आएगी तो भाजपा का भ्रम टूट जाएगा. इस यात्रा से भाजपा के लोग विचलित हैं.’ वहीं गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला द्वारा भारत जोड़ो यात्रा के विरोध के एलान से जुड़े सवाल पर सचिन पायलट ने कहा कि, ‘कांग्रेस पार्टी जब 21 सीट पर सिमट गई थी, हमें उस समय सब वर्गों से सहयोग मिला. हमें बहुमत सब वर्गों के सहयोग से मिला. उस बहुमत पर हम कारगर उतर सके उसकी कोशिश है. भाजपा की नीति तोड़ने की है, यात्रा का मकसद जोड़ना है. भाजपा इस यात्रा में बाधा डालना चाहती है.’