Politalks.News/Presidentelection. पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (5 state assembly elections) के बीच राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासत तेज (Politics intensifies regarding presidential election) हो गई है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकते (Chief Minister Nitish Kumar may contest the presidential election) हैं. गैर कांग्रेस विपक्षी पार्टियां इसी रणनीति पर काम कर रही हैं. तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव (Chandrashekhar Rao) ने ये पहल शुरू की है. माना जा रहा है कि इसके पीछे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) यानी पीके का दिमाग है.
नीतीश कुमार को राष्ट्रपति बनाने की बात की शुरुआत तब हुई जब इसी महीने केसीआर और पीके की मुलाकात हैदराबाद में हुई. तेलंगाना के चुनाव में पीके की टीम इस बार केसीआर की पार्टी टीआरएस के लिए काम करेगी. दो दिनों तक दोनों के बीच चली बैठक में नीतीश को राष्ट्रपति का चुनाव लड़ाने पर लंबी चर्चा हुई. इसके बाद नीतीश और प्रशांत किशोर पटना में डिनर पर मिले. इससे पहले इन मुलाकातों को लेकर चर्चा थी कि केन्द्र की नीतियों के खिलाफ गैर भाजपा शासित राज्यों के सीएम एक जुट हो रहे हैं. इस बीच यह नई खबर कांग्रेस के रणनीतिकारों के कान खड़े कर देने वाली है. हालांकि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अभी पत्ते नहीं खोले हैं.
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केसीआर कर रहे हैं गोटियां सेट!
आपको बता दें कि इसी साल जुलाई-अगस्त में राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है. इसको लेकर बीजेपी के खिलाफ बेहद मुखर तेलंगाना के सीएम केसीआर ने गोटियां सेट करनी शुरू कर दी है. KCR गैर भाजपा और गैर-कांग्रेसी दलों को एकजुट करने की पहल की है. केसीआर लगातार गैर कांग्रेसी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं.
मुलाकातों में छिपा था बड़ा हिडन एजेंडा!
दरअसल पिछले कुछ दिनों पहले प्रशांत किशोर और केसीआर के बीच मुलाकात हुई थी. इसके बाद प्रशांत किशोर ने काफी दिनों के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की. पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने भी केसीआर के अलावा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार से मुलाकात की थी. सियासी गलियारों में चर्चा है कि इन सभी मुलाकातों का एजेंडा राष्ट्रपति चुनाव के जरिए बीजेपी को झटका देने की प्लानिंग है. केसीआर की कोशिश की है कि कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी जैसे टीएमसी, सपा, आप, आरजेडी, जेडीयू जैसे दलों को साथ लाया जाए. केसीआर को उम्मीद है कि नीतीश कुमार बेहद मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं और कांग्रेस भी उनको समर्थन देने को मजबूर हो सकती है.
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TMC और AAP को भी लाया जाएगा साथ
कुछ सियासी जानकार इस पूरी कवायद को बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ थर्ड फ्रंट बनाने की एक और कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन ये रणनीति राष्ट्रपति चुनाव को लेकर है. आगे इस खेल में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी जोड़ने की तैयारी है. कुछ और क्षेत्रीय दलों को इस अभियान से जोड़ने पर काम चल रहा है.
पीके पिछले कई दिनों से जुटे थे मिशन पर
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि नीतीश कुमार को विपक्षी दलों का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के लिए प्रशांत किशोर का पूरा दिमाग काम कर रहा है. पीके कई दलों के नेताओं से बातचीत कर चुके हैं. कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर बारी-बारी से बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, महाराष्ट्र में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, तेलंगाना के सीएम केसीआर के अलावा पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी टीएमसी के नेताओं से भी मुलाकात कर चुके हैं. सूत्रों के हवाले से ये भी कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर नीतीश कुमार को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन से भी आगे मुलाकात कर सकते हैं.
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बिहार की राजनीति में आएगा ‘भूचाल’!
फिलहाल बिहार में नीतीश की पार्टी और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार है. लेकिन जातिगत जनगणना को लेकर जेडीयू और बीजेपी में तनातनी जारी है. आरजेडी इस मुद्दे पर नीतीश के साथ हैं. विपक्ष की ओर नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने से पहले कई बार इस बात को लेकर भी अटकलें लगी थीं कि बीजेपी नीतीश को उपराष्ट्रपति बना सकती है. हालांकि, अब नए समीकरणों के उभरने के बाद बिहार की सियासत में भी भूचाल आ सकता है. नीतीश यदि विपक्ष (पीके-KCR) के प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं तो बीजेपी से उनका अलगाव तय माना जा रहा है. ऐसे में यदि आरजेडी और जेडीयू साथ आते हैं तो बीजेपी को सत्ता से बाहर जाना पड़ेगा.