प्रधानमंत्री बनने के लिए पीठ में छुरा घोंप कर नीतीश बाबू बैठ गए हैं लालू-कांग्रेस की गोद में- अमित शाह

नीतीश कुमार के साथ साजिशकर्ता बैठे हैं सत्ता में, जिसका आलम ये है कि चारा घोटाला वाले बन बैठे हैं मंत्री, मेरे दौरे से हो रहा लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के पेट में दर्द, वो कह रहे हैं कि बिहार में झगड़ा लगाने आए हैं, कुछ करके जाएंगे, झगड़ा लगाने के लिए मेरी जरूरत नहीं है लालू जी, आप झगड़ा लगाने के लिए हो पर्याप्त- अमित शाह

पूर्णियां में गरजे अमित शाह
पूर्णियां में गरजे अमित शाह

Politalks.News/Bihar. बिहार में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद से प्रदेश की महागठबंधन सरकार सूबे की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी के निशाने पर है. इसी कड़ी में बिहार में बीजेपी की नींव को और अधिक मजबूत करने के लिए भाजपा का केंद्रीय आलाकमान अभी से जुट चूका है. इसी कड़ी में केंद्रीय गृहमंत्री एवं बीजेपी के चाणक्य अमित शाह अपने दो दिवसीय दौरे के लिए बिहार पहुंचे. शुक्रवार को बिहार पहुंचे अमित शाह ने पूर्णियां पहुंच जन भावना महासभा में भाग लिया. प्रदेश सरकार के खिलाफ शंखनाद की शुरुआत करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के उस सीमांचल इलाके को चुना है, जिसे अल्पसंख्यक बहुल होने के कारण महागठबंधन का मजबूत गढ़ माना जाता है. इस दौरान अमित शाह ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदेश की महागठबंधन सरकार पर जमकर निशाना साधा. अमित शाह ने कहा कि, ‘मेरे दौरे से लालू-नीतीश के पेट में दर्द हो रहा है. दोनों के साथ आते ही प्रदेश में अपराध चरम पर पहुंच गया है.’

बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद पहली बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने दो दिवसीय दौरे पर बिहार के सीमांचल पहुंचे. शुक्रवार को पूर्णिया में अमित शाह ने जनसभा को संबोधित करते हुए शाह ने केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों की जमकर सरहाना की लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव पर जमकर निशाना साधा. अमित शाह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘आज मैं जब बिहार में आया हूं तब लालू और नीतीश की जोड़ी को पेट में दर्द हो रहा है. वो कह रहे हैं कि बिहार में झगड़ा लगाने आए हैं, कुछ करके जाएंगे. लेकिन मैं लालू प्रसाद यादव से ये कहना चाहता हूँ कि झगड़ा लगाने के लिए मेरी जरूरत नहीं है, आप झगड़ा लगाने के लिए पर्याप्त हो, आपने पूरा जीवन यही काम किया है.’

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अमित शाह ने कहा कि, ‘बिहार की भूमि परिवर्तन का केंद्र रही है. अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता का आंदोलन हो या लोकतंत्र के खिलाफ जो इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया तब जय प्रकाश नारायण का आंदोलन हो, ये बिहार की भूमि से ही शुरू हुआ है. लेकिन आज भाजपा को धोखा देकर लालू की गोद में बैठकर नीतीश कुमार ने स्वार्थ और सत्ता की राजनीति का जो परिचय दिया है उसके खिलाफ बिगुज फूंकने की शुरुआत भी यही बिहार की भूमि से शुरुआत होगी. अब नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव की गोद में जाकर बैठ गए हैं. अब यहां डर का माहौल बन गया है. लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि आपके साथ नरेंद्र मोदी की सरकार है. हम स्वार्थ और सत्ता की राजनीति की जगह सेवा और विकास की राजनीति के पक्षधर हैं. प्रधानमंत्री बनने के लिए नीतीश बाबू ने पीठ में छुरा घोंप कर आज आरजेडी और कांग्रेस की गोद में बैठने का काम किया.’

सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि, ‘भारत की जनता अब जागरुक हो चुकी है. स्वार्थ से और सत्ता की कुटिल राजनीति से प्रधानमंत्री नहीं बना जा सकता. विकास के काम करने से, अपनी विचारधारा के प्रति समर्पित रहने से और देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने से ही देश की जनता प्रधानमंत्री बनाती है. नीतीश कुमार कोई राजनीतिक विचारधारा के पक्षधर नहीं हैं. नीतीश समाजवाद छोड़कर लालू जी के साथ भी जा सकते हैं, जातिवादी राजनीति कर सकते हैं. नीतीश समाजवाद छोड़कर वामपंथियों, कांग्रेस के साथ भी बैठ सकते हैं. नीतीश कुमार की एक ही नीति है- उनकी कुर्सी सलामत रहनी चाहिए और इसके लिए वो राजद छोड़कर बीजेपी के साथ भी आ सकते हैं. आज में बिहार की इस विराट सभा से लालू जी और नीतीश जी दोनों से कहना चाहता हूं कि आप जो ये दल-बदल बार-बार करते हो, तो ये धोखा किसी पार्टी के साथ नहीं है, बल्कि ये धोखा बिहार की जनता के साथ है.’

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अमित शाह ने 2024 लोकसभा एवं 2025 विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘नीतीश कुमार, 2014 में भी आपने यही किया था,  ना घर के रहे थे ना घाट के. लोकसभा चुनाव 2024 आने दीजिए, आपकी इस जोड़ी को बिहार की जनता सुपड़ा साफ कर देगी. 2025 में भी यहां भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी.’ वहीं अपने सम्बोधन की शुरुआत में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर उन्हें याद करते हुए उनके प्रणाम किया. उन्होंने कहा कि, ‘दिनकर जी की कविताओं ने आजादी के आंदोलन को धार दी साथ ही उनकी लेखनी ने भारतीय संस्कृति को भी मजबूती प्रदान करने का काम किया.’

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