एमपी: उपचुनाव में कांग्रेस को मिल रही 28 में से 27 सीटें, RSS ने करवाया सर्वे, बीजेपी की उड़ी हवाईयां

सिंधिया के गढ़ में जबरदस्त सेंध लगाने में कामयाब हो रही कांग्रेस, जनता में नाराजगी के साथ कमलनाथ का अकेले उप चुनाव की कमान संभालना भी जा रहा कांग्रेस के पक्ष में, अभी प्रियंका और पायलट जैसे दिग्गजों का दौरा है बाकी, अपने वि.स. क्षेत्रों में जाने डरे पूर्व विजयी कांग्रेसी नेता

Madhya Pradesh (9)
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Politalks.News/MP. बिहार चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद अब मध्यप्रदेश उप चुनावों की तारीखों का कभी भी ऐलान हो सकता है. मप्र में 28 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होना है. बीजेपी और कांग्रेस लगातार चुनावी प्रचार में लगी हुई हैं और एक दूसरे पर तीखे हमलों का दौर पर बदस्तूर जारी है. कांग्रेस 15 प्रत्याशियों का चयन कर चुकी है जबकि बीजेपी की ओर से 25 उम्मीदवार करीब करीब फाइनल हैं. तीन पर गहन मंथन जारी है. इसी बीच आरएसएस के द्वारा करवाए गए एक सर्वे रिपोर्ट कर बाद बीजेपी की हवाइयां उड़ गई हैं. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी 28 में से केवल एक सीट पर जीत दर्ज करती दिख रही है, वहीं सर्वे में 27 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीत रहे हैं. चूकिं यह सर्वे आरएसएस द्वारा कराया गया है इसलिए इस बात से बीजेपी की चिंता और भी बढ़ गई है.

खास बात ये भी है कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र को सिंधिया परिवार का अभेद गढ़ माना जाता है लेकिन इस बार बिना ‘महाराज’ के कांग्रेस इस गढ़ में सेंध लगा रही है. यहां कांग्रेस की तरफ से कोई व्यक्ति विशेष नहीं, बल्कि पार्टी के दम पर वोट मिल रहे है जो बीजेपी की हार को पुख्ता कर रहे हैं. ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सिंधिया प्रभाव की 16 सीटें हैं लेकिन अधिकांश इलाकों में सिंधिया के साथ बीजेपी नेताओं के प्रति खासा रोष देखा जा रहा है. कई इलाके तो ऐसे हैं जहां कांग्रेस की तरफ से जीते हुए वे विधायक जो अब बीजेपी के खेमे में जा चुके हैं, उनकी एंट्री तक बंद कर दी गई है, या उनके खिलाफ अच्छी खासी नाराजगी है.

इन सबके अलावा अभी तो ग्वालियर-चंबल इलाके में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और प्रमुख गुर्जर नेता सचिन पायलट का दौरा होना बाकी है. कांग्रेस के इन दोनों दिग्गजों के दौरों के बाद इस इलाके में कांग्रेस की स्थिति पहले से और भी ज्यादा मजबूत हो जाएगी. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार मध्यप्रदेश में बिना महाराज के कांग्रेस ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की इन सीटों पर अपना कब्जा रखने में कामयाब रहेगी.

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वहीं उक्त सर्वे के अनुसार, केवल एक सीट पर बीजेपी बढ़त बनाए हुए हैं. हालांकि वो कौनसी सीट है, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है. कमलनाथ सरकार बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत 22 विधायक पार्टी छोड़ बीजेपी में चले गए. बाद में तीन कांग्रेस विधायक भी बीजेपी में शामिल हो गए. तीन कांग्रेसी विधायकों की असामयिक मौत के बाद यहां 28 सीटें खाली हो गई. कांग्रेस को फिर से सरकार बनाने के लिए इन सभी सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी. सर्वे के मुताबिक ऐसा संभव होते दिख रहा है जिससे बीजेपी में घमासान मचा हुआ है.

मप्र चुनाव प्रचार की कमान कमलनाथ खुद ने संभाल रखी है और वो लगातार उपचुनावो वाली सीटो पर जनता से सीधा संपर्क साध रहे हैं. वहीं जनता की नाराजगी दूर करने के लिए सीएम शिवराज सिंह सिंधिया के साथ जोड़ी बनाकर सभी इलाकों में प्रचार कर रहे हैं और कमलनाथ के 15 महीनों में प्रदेश को बर्बाद करने की बात सिंधिया से कहलवाकर अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं. कर्जमाफी और विकास के मुद्दे को जमकर भुनाया जा रहा है लेकिन माना यही जा रहा है कि जनता में नाराजगी कम नहीं हो रही.

दरअसल, मप्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हाथ 109 तो कांग्रेस के पास 114 सीटें आई. सपा के एक और बसपा की दो विधायकों के साथ कमलनाथ सत्ता की कुर्सी पर आसीन हो गए. सरकार बनने के महज 15 महीने बाद सिंधिया नाराज होकर बीजेपी में शामिल हो गए और कांग्रेस के 22 विधायक भी साथ ले गए. बहुमत के अभाव में कांग्रेस सरकार गिर गई और शिवराज सिंह फिर से मुख्यमंत्री बन गए. बाद में तीन और विधायक इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. बिना विधायकी 13 नेताओं को मंत्री पदों पर भी विराजमान कर दिया. बस यही बात जनता को नागवार गुजर रही है.

कुछ स्थानीय लोगों से बात की तो सामने आया कि उन्होंने जिसको वोट देकर जिताया, वो तो हारने वालों के खेमे में जाकर बैठ गया. अब फिर से उसे जिताए और वो हमारे लिए काम करे, इसका क्या सबूुत है. अंदरूनी तौर पर तो पता ये भी चला है कि इन 25 सीटों पर जीते पूर्व कांग्रेसी नेता डर के मारे अकेले अपने ही विधानसभा क्षेत्रों में जाने से कतरा रहे हैं. सुवासरा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीते हरदीप सिंह डंग अपने इलाके में चुनाव प्रचार के लिए गए थे. यहां वे जनता को ये विश्वास दिला रहे थे कि कांग्रेस में क्या हुआ और बीजेपी में वे क्या कर सकते हैं.

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यहां एक स्थानीयजन का किया कटाक्ष सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ जिसमें उसने कहा, ‘हमने आपको यहां से जिताया, आप अपने मतलब के लिए बीजेपी में चले गए. अब इस बात पर विश्वास कैसे करें कि फिर मतलब के लिए पार्टी नहीं बदलोगे.’ इतना ही नहीं, वहां बीजेपी हाय हाय के नारे भी लगने लगे. नेता जी ने ऐसे में वहां से खिसकना ही सही समझा और लाव लश्कर के साथ वहां से चुपचाप रवाना हो गए.

चाहें शिवराज सिंह और सिंधिया पूर्व सीएम पर कितने भी कटाक्ष करें लेकिन कमलनाथ ने ये कहकर सबको जीत के संकेत दे दिए हैं कि मैं चुप ही रहता हूं और चुप रहकर ही नतीजे देता हूं. ये रिपोर्ट्स कांग्रेस के पास भी पहुंच रही हैं और इससे कांग्रेस को मनोवैज्ञानिक बढ़त तो मिल ही रही है. कोरोना संकट को देखते हुए जिस तरह बिहार में चुनावी रैलियां करने पर बैन लग गया है, यानि केवल वर्चुअल रैली कर चुनाव प्रचार किया जा सकता है, अगर ऐसा ही कुछ मध्य प्रदेश में लागू हुआ तो यहां बीजेपी का पिछड़ना तय है.

वजह है कि जनता जानना चाहती है कि आखिर ऐसा हुआ तो क्यों हुआ. बीजेपी भी काफी फूंक फूंक कर कदम रख रही है लेकिन अन्य निजी सर्वे रिपोर्ट्स में भी कांग्रेस को मिल रही बढ़त से बीजेपी के वे नेता खासे डरे हुए हैं जिन्होंने चुनाव में जिस पार्टी पर आरोप लगाए, अब उसी की तारीफों की माला जप रहे हैं.

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