Politalks.News/ParliyamentSession/NewsWebsites. संसद के मानसून सत्र का आज आगाज हो चुका है. देश की सियासत में जारी महंगाई, डॉलर और अग्निपथ जैसी योजना को लेकर इस मानसून सत्र में जबरदस्त हंगामे के आसार हैं, क्योंकि सत्र शुरू होने से एक दिन पहले हुई सभी दलों की बैठक में विपक्ष ने इसके संकेत दे दिए हैं. बता दें कि 12 अगस्त तक चलने वाले संसद के इस मानसून सत्र में 18 बैठकें होंगी. इसी बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार डिजिटल मीडिया को कानूनों के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है. संशोधित कानून को मंजूरी मिली तो डिजिटल न्यूज वेबसाइट्स को नियमों के उल्लंघन के लिए कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसमें जुर्माना और न्यूज वेबसाइट्स का रजिस्ट्रेशन रद्द करना शामिल है. आज से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में ये बिल लेकर आने की तैयारी में है मोदी सरकार.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने प्रेस एंड पीरिओडिकल्स बिल के रजिस्ट्रेशन में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इसके दायरे में किसी भी इलेक्ट्रानिक माध्यम के जरिये डिजिटल मीडिया पर समाचार (News) को भी शामिल किया है. मीडिया के रजिस्ट्रेशन के नए कानून में देश में पहली बार डिजिटल न्यूज वेबसाइट्स को भी कानून के दायरे में लाया जा रहा है, जो पहले किसी भी सरकारी विनियमन का हिस्सा नहीं रहा है.
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आपको बता दें कि मोदी सरकार द्वारा कानून लागू होने के 90 दिनों के भीतर डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना होगा. इसके लिए डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को प्रेस रजिस्ट्रार के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिसके पास उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई करने का अधिकार होगा कि वे रजिस्ट्रेशन को रद्द कर सकते हैं और जुर्माना भी लगा सकते हैं.
अधिकारियों के मुताबिक, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन के साथ एक अपीलीय बोर्ड की योजना बनाई गई है. सूत्रों के मुताबिक, बिल को अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य हितधारकों से मंजूरी नहीं मिली है. इस संशोधन को मंजूरी मिलने के बाद डिजिटल मीडिया सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन आ जाएगा.
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आपको बता दें कि 2019 में भी नए आईटी नियमों के तहत डिजिटल मीडिया को विनियमित करने की कोशिश हुई थी, जिसको लेकर काफी विवाद हुआ था. तब केंद्र ने एक मसौदा बिल पेश करते हुए डिजिटल मीडिया पर न्यूज को डिजिटल प्रारूप में न्यूज के तौर पर परिभाषित किया था, जिसे इंटरनेट, कंप्यूटर या फिर मोबाइल पर प्रसारित किया जा सकता है, जिसमें ऑडियो, टेक्स्ट और ग्राफिक्स भी शामिल हैं. इसको लेकर काफी विवाद हुआ था और इसे डिजिटिल मीडिया को कंट्रोल करने की कोशिश के तौर पर देखा गया था.